कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको नीचे दी गई अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी-

अधूरी कहानी - आलसी किसान

बहुत समय पहले की बात है. एक गांव में एक किसान अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था. उसकी ज़िंदगी बेहद ख़ुशहाल थी. उसके पास भगवान का दिया सब कुछ था. सुंदर-सुशील पत्नी, होशियार बच्चे, खेत-ज़मीन-पैसे थे. उसकी ज़मीन भी बेहद उपजाऊ थी, जिसमें वो जो चाहे फसल उगा सकता था. लेकिन एक समस्या थी कि वो ख़ुद बहुत ही ज़्यादा आलसी था. कभी काम नहीं करता था. उसकी पत्नी उसे समझा-समझा कर थक गई थी कि अपना काम ख़ुद करो, खेत पर जाकर देखो, लेकिन वो कभी काम नहीं करता था. वो कहता, “मैं कभी काम नहीं करूंगा.” उसकी पत्नी उसके अलास्य से बेहद परेशान रहती थी, लेकिन वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पाती थी. एक दिन एक साधु किसान के घर आया और किसान ने उसका ख़ूब आदर-सत्कार किया. ख़ुश होकर सम्मानपूर्वक उसकी सेवा की. साधु किसान की सेवा से बेहद प्रसन्न हुआ और ख़ुश होकर साधु ने कहा कि “मैं तुम्हारे सम्मान व आदर से बेहद ख़ुश हूं, तुम कोई वरदान मांगो.” किसान को तो मुंहमांगी मुराद मिल गई. उसने कहा, “बाबा, कोई ऐसा वरदान दो कि मुझे ख़ुद कभी कोई काम न करना पड़े. आप मुझे कोई ऐसा आदमी दे दो, जो मेरे सारे काम कर दिया करे.”

इस कहानी को पूरा करके हमें जो रचनाएं मिलीं हैं उन्हेंझ हम नीचे प्रकाशित कर रहे हैं –

एक

लेखि‍का –कु. रोशनी मरकाम

साधु ने किसान को वरदान दे दिया - जाओ तुम्हारी इच्छा पूरी हो. साधु के जाने के बाद एक आदमी आया और कहने लगा मैं क्या काम करूं? किसान ने कहा -जाकर खेत में अनाज बो आओ. उस आदमी ने कहा - मेरी एक शर्त है. मैं हमेशा काम करूंगा, कभी भी आराम नहीं करूंगा. मैं रुका तो वापस चला जाऊंगा. किसान ने शर्त मान ली. वह आदमी सारे काम तुरंत कर दिया करता था. काम पूरा करके वह तुरंत दूसरा काम मांगता था. किसान के पास अब कोई काम नहीं बचा जो बह उस आदमी को दे सके. निराश होकर किसान ने कहा - अब मेरे पास कोई काम नहीं है. तुम वापस चले जाओ. मैं आपने काम स्व-यं कर लूंगा. अब किसान रोज सुबह उठकर खेत पर जाता और सारे काम स्वयं से काम करता था. यह देखकर उसकी पत्नी बहुत खुश हुई.

दो

लेखिका – कु. कविता कोरी

साधु - मै तुम्हें एक जिन्न देता हूँ जो हर क्षण तुम्हारे लिए कार्य करता रहेगा। तथास्तु!! कह साधु वहां से चला गया।

किसान खुश था अब उसके पास जिन्न था।

जिन्न ने कहा "कुछ काम बताओ"?

किसान - जाओ खेत जोत दो। जिन्न खेत चला गया। किसान जैसे ही खाना खाने बैठा जिन्न वहां आ गया। जिन्न - काम पूरा हुआ मालिक "कुछ काम बताओ"? किसान - जाओ बीज डाल दो । जिन्न खेत चला गया। जैसे ही किसान पहला निवाला खाने वाला था। जिन्न ने आकर कहा - काम पूरा हुआ। "कुछ काम बताओ"?

फिर किसान ने कहा अब कुछ काम नहीं है तुम आराम करो। तब जिन्न ने कहा कुछ काम बताओ वरना मै तुम्हारे सिर के टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा। किसान की सुधबुध चली गई। किसान जो भी काम देता जिन्न झट से कर देता।

तब किसान की पत्नी ने कहा और करो आलस्य व लालच।

किसान - अरे भाग्यवान कोसना बाद में पहले इस जिन्न को यहाँ से चलता करो। यह अभी आएगा और कहेगा "कुछ काम बताओ"।

पत्नी - पहले प्रण लो कि अब से आलस्य नहीं करोगे व स्वयं कार्य करोगे।

किसान - ठीक है।

जिन्न काम निपटाकर फिर आ गया।

जिन्न - काम पूरा हुआ।"कुछ काम बताओ"।

किसान की पत्नी ने कहा जिन्न भाईसाहब हमारे पास शेरू नाम का कुत्ता हैं तुम उसकी पूँछ सीधी कर दो बस बड़ी कृपा होगी।

जिन्न - बस इतनी सी बात मै अभी आया । तुम और कार्य तैयार रखो।

जिन्न चला जाता है।

किसान - भाग्यवान तुमने इतना सरल काम दे दिया उसे ?

पत्नी - तुमने कहावत नहीं सुनी है कि कुत्ते की पूँछ सीधी नहीं होती ?

उधर जिन्न काफी प्रयास करता रहा पर पूँछ फिर से टेढ़ी हो जाती।

जिन्न थक हार कर वापस आता है व क्षमा माँगता है किसान की पत्नी उसे क्षमा कर हमेशा के लिए जाने को कहती है।

किसान की आदत सदा के लिए सुधर गयी।

शिक्षा - अधिक आलस्य सदा ही हानिकारक होता है व लालच बुरी बला होती है।

अगले अंक के लिये अधूरी कहानी

अगले अंक के लिये हमारी अधूरी कहानी भी कविता कोरी जी ने ही भेजी है. इस कहानी को पूरा करके जल्दीी से हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दो.

कंजूस सेठ

एक गांव में सत्यनारायण नाम का एक कंजूस सेठ रहता था। वह सभी से अपना काम मुफ्त में करवाने के लिए चालाकियाँ किया करता था। भोले - भाले गांव वाले उससे बहुत परेशान रहा करते थे।

एक दिन उस गांव में सुखसागर व रामसागर नाम के दो भाई काम की तलाश में आये. संयोगवश उन्होंने उसी सत्यनारायण सेठ से ही काम मांगा. सेठ मन ही मन खुश हुआ पर बाहरी दिखावा करते हुए बोला - चलो जाओ मेरे पास तुम्हारे करने लायक कोई काम नहीं है जो काम है. जो काम है वह तुम कर नहीं पाओगे. दोनों भाइयों को काम की अत्यंत आवश्यकता थी. दोनों ने कहा हम कर लेंगे. सेठ ने कहा यदि मेरे मन मुताबिक कार्य नहीं कर पाये तो एक माह तक तुम्हें बिना पैसे लिए काम करना होगा. दोनों भाई मान गए. सेठ ने जैसे ही तीनों काम बताए दोनों के होश उड़ गए.

पहला काम - दो जग, एक बड़ा व एक छोटा। बड़े जग को छोटे जग के अंदर डालना है।

दूसरा काम - कमरे में गीला अनाज है।

बिना दरवाजा खोले व अनाज को हाथ लगाए बगैर उसे धूप में सुखाना है।

तीसरा काम - मेरे सर के वजन जितनी तरबूज बाजार से खरीद कर लानी है ना कम ना ज्यादा।

क्या कहानी को पुरा करते हुए आप दोनों भाइयों की मदद कर सकते हैं?

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