चित्र देखकर कहानी लिखो
पिछले अंक में हमने आपको कहानी लिखने के लिये यह चित्र दिया था –
इस चित्र पर हमें अनेक कहानियां प्राप्त हुई हैं. उनमें से कुछ अच्छी कहानियां हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं –
सच्चा मित्र
लेखिका - कु. कविता कोरी
दो दोस्त (Friend) सत्य और स्वयं एक घने जंगल (Jungle) से होकर कहीं जा रहे थे. दोनों काफ़ी गहरे दोस्त (Best friend) थे और अपनी दोस्ती (Friendship) को लेकर दोनों ही बातें करते हुए जा रहे थे. Jungle बहुत (Very) ही घना था. सत्य डर रहा था, लेकिन स्वयं ने कहा कि मेरे होते हुए तुम्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं. मैं तुम्हारा (Your) सच्चा (True) और अच्छा (Good) friend हूं. इतने में ही सामने (Front) से ही बहुत ही बड़ा (Big) भालू (bear) उन्हें नज़र आया. स्वयं bear को देखते ही भाग खड़ा हुआ. सत्य कहता रहा कि मुझे छोड़कर मत भागो, लेकिन वो भागते हुए एक पेड़ (Tree) पर चढ़ गया. यह देख सत्य और भी डर गया, क्योंकि वो tree पर चढ़ना नहीं जानता था. इतने में वो bear और भी नज़दीक आ गया था. जब वो बेहद क़रीब आने लगा, तो सत्य के पास कोई चारा नहीं रहा और वो वहीं नीचे ज़मीन (Ground) पर आंखें बंद करके लेट गया. Tree पर चढ़ा स्वयं यह सारा नज़ारा देख रहा था और वो सोचने लगा कि ऐसे तो यह मर जाएगा. इतने में ही वो bear नीचे लेटे सत्य के क़रीब आकर उसे देखने लगा, उसे सूंघा और उसके शरीर (Body) का पूरी तरह मुआयना (Inspection) करके आगे बढ़ गया. Ground पर लेटे सत्य ने राहत की सांस ली और वो सोचने लगा कि अच्छा हुआ जो मैंने सांस (Breath) रोक ली थी, क्योंकि bear मरा हुए शरीर (dead bodies) को नहीं खाते और वो bear मुझे मरा (Dead) हुआ जानकर आगे बढ़ गया. Tree पर चढ़ा स्वयं बहुत हैरान (Astonished) था। Bear के जाने के बाद वो नीचे उतरा और उसने अपने सत्य से पूछा कि आख़िर उसने क्या किया था और वो bear उसके कान (Ear) में क्या कह रहा था? Dead body होने का नाटक कर रहे सत्य ने कहा कि bear ने मेरे ear में कहा कि बुरे समय (bad time) में ही सही दोस्तों (True friends) की पहचान होती है, इसलिए कभी भी ऐसे friends के साथ मत रहो, जो Bad times में तुम्हें अकेले (Alone) छोड़कर भाग जाएं और जो व़क्त (Time) पर काम ही न आएं. स्वयं को समझते देर न लगी और फिर दोनों आगे बढ़ गए.
सीख - सच्चा दोस्त वही होता है, जो बुरे से बुरे व़क्त में भी अपने मित्र का साथ नहीं छोड़ता और मुसीबत के समय अपने मित्र की मदद करता है.
मतलबी दोस्त
लेखक - श्रीकांत सिंह
बहुत पुरानी बात है. जंगलों के बीच बसा एक गाँव था गढ़कटरा. गाँव में पहुँचने के लिये कोई पक्की सड़क नहीं थी. लोग जंगल के पगडंडी रास्ते से शहर के लिये सफर करते थे. इसी गाँव में दो अच्छे दोस्त थे साहिल और शशांक.
एक दिन दोनों जंगल के रास्ते शहर जा रहे थे. अचानक उनके रास्ते में भालू आ गया. साहिल दौड़ा और पास के पेड़ में चढ़ गया. शशांक को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था, पर उसने दिमाग लगाया. वह आंखें बंदकर और साँस रोककर ज़मीन पर लेट गया. भालू पास आया और सूंघ कर चला गया.
जब भालू चला गया तो साहिल पेड़ से उतरकर शशांक के पास आया. उसने शशांक से पूछा कि 'भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?' शशांक ने उत्तर दिया - 'भालू ने तुम जैसे मतलबी दोस्तों से दूर रहने को कहा.'
बुध्दिमान बालक
लेखक - भगवान सिंह, कक्षा सातवीं, नवापारा कर्रा
एक गांव में चैतू नाम का एक बालक रहता था. उसकी मां बहुत बीमार थी. चैतू दिन-रात कड़ी मेहनत करता था और अपना घर संभालता था. वह उसी गांव के मुखिया के यहां काम करता था. गांव और शहर के बीचो-बीच एक जंगल पड़ता था. उसी जंगल में लोमड़ी, भालू आदि कई जानवर रहते थे. एक दिन चैतू की मां को बहुत बुखार था. चैतू अपने मालिक के पास जाकर ₹1000 मांगा. मालिक ने पूछा तुम इतने रुपयों का क्या करोगे ? चैतू ने कहा – ‘मालिक मेरी मां बहुत बीमार है. मुझे मां के इलाज के लिए रुपयों की जरूरत है.’ मालिक ने उसे रुपये देकर कहा – ‘तुम अकेले कैसे शहर जाओगे ? रास्ते में तो जंगल पड़ता है. एक काम करो मेरे बेटे राम सिंह के साथ चले जाओ.’
चैतू और रामसिंह शहर से डॉक्टर को बुलाने गए. दोनों बहुत दूर चलते रहे. दोनों को दूर से भालू आता नजर आया. दोनों सोचने लगे क्या करें? राम सिंह ने कहा चलो जल्दी किसी पेड़ पर चढ़ जाते हैं. रामसिंह जल्दी पेड़ पर चढ़ गया, पर चैतु को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था. चैतू को एक उपाय सुझा. वह झट से लेट गया और उसने अपनी सांस रोक ली. भालू आ गया. उसने चैतू को देखा और उसे मरा समझ कर भालू चला गया. चैतू डॉक्टर साहब को लेकर गांव पहुंचा. उसने अपनी मां की इलाज कराया. चैतु की मां कुछ ही दिन में ठीक हो गई.
मूर्ख भालू
लेखिका - कु. प्रमिला, कक्षा सातवीं, नवापारा कर्रा
एक बार राम अपने दोस्तों के साथ जंगल घूमने गया था. उसने कई प्रकार के पशु-पक्षी देखे. उन लोगों ने खूब मस्ती की. एक सुबह सभी दोस्त स्कूल जा रहे थे. तब उन्होंने एक भालू को देखा. एक मदारी उस भालू को खेल दिखाने के लिए लाया था. सभी खेल देखने के बाद स्कूल चले गए. शाम को राम खाना खाकर जल्दी सो गया. उसने सपना देखा कि वह अपने दोस्त के साथ जंगल घूमने जा रहा था, तो एक भालू अचानक उनके सामने आ गया. उसका दोस्त पास के ही पेड़ पर चढ़ गया, परन्तु राम पेड़ पर चढ़ नहीं पाया. अपनी जान बचाने के लिए वह ज़मीन पर लेट गया और कुछ देर के लिए उसने अपनी सांस रोक ली. भालू ने राम के करीब जाकर उसे सूंघा तो उसे लगा कि राम मर गया है. भालू राम को छोड़कर वहां से चला गया. भालू के जाने के बाद दोनों दोस्त खुशी-खुशी अपने घर वापस आ गए.
इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए और उनका डटकर मुकाबला करना चाहिए.
धोखेबाज दोस्त
लेखक - घनश्याम सिंह
एक गांव में नरेंद्र और मोहन नाम के दो दोस्त रहते थे. वे दोनों एक दूसरे के लिए जान भी देने को तैयार रहते थे. नरेंद्र बहुत समझदार था और कक्षा में बहुत होशियार था. मोहन पढ़ाई में कमजोर था, इसलिए उसे अंदर ही अंदर नरेंद्र से ईर्ष्या होती थी.
एक बार स्कूल की छुट्टी हो जाने पर दोनों जंगल घूमने गए. जंगल के रास्ते उन्हें एक गुफा दिखाई पड़ी. भालू की आवाज सुनकर दोनों भागे. मोहन ने सोचा कि यह अच्छा अवसर है कि नरेंद्र को भालू खा ले. वह जल्दी से पेड़ पर चढ़ गया परंतु नरेंद्र पेड़ पर नहीं चढ़ पाया. वह बुध्दिमान था. उसने अपनी बुध्दि से उपाय सोचा और जमीन पर सांस रोक कर लेट गया. भालू नजदीक आया तो उसने नरेंद्र को मरा हुआ समझा. भालू पेड़ चलने में माहिर होता है. उसने पेड़ पर मोहन को देखा तो वह भी पेड़ पर चढ़ गया. जब वह मोहन के पास पहुंचा तो मोहन डर के मारे नीचे गिर गया. उसे चोट लगी. यह देखकर नरेंद्र अपने दोस्त के पास गया और उसे उठाया. फिर दोनों जल्दी से जंगल से बाहर भाग आए. नरेंद्र ने मोहन की जान बचाई. मोहन को अपनी धोखेबाजी और ईर्ष्या पर बहुत पछतावा हुआ.
शिक्षा- हमें दोस्ती में धोखेबाजी नहीं करना चाहिए.
दो मित्र
लेखक - मनोज कश्यप स. शिक्षक मुंगेली
रामू और श्यामू नाम के दो मित्र थे. दोनो में बहुत ही गहरी मित्रता थी. एक दिन की बात है दोनो मित्र जंगल घूमने गए. दोनों खूब मस्ती कर रहे थे, तभी अचानक एक भालू दिखा. रामू डर के मारे झट से पेड़ पर चढ़ गया किन्तु श्यामू पेड़ पर नही चढ़ पाया क्योकि उसको पेड़ चढ़ना नही आता था. फिर रामू को तरकीब सूझी और अपने मित्र श्यामू को कहा कि झट से वही जमीन पर लेट जाओ और साँसे रोक दो. इतने में भालू श्यामू के पास आकर खड़ा हो गया. श्यामू को तो बहुत डर लग रहा था, तथा डर के कारण साँस ऊपर नीचे हो रही थीं. वह मन ही मन सोच रहा था कि वह आज जीवित नही बच पायेगा. भालू उसे निश्चित ही मार डालेगा. डर ही डर में अपनी पूरी साँसे रोककर लेटा ही रहा. तभी भालू उसके समीप आकर के सूँघकर देखने लगा. फिर भालू को लगा कि यह तो मर चुका है और भालू आगे की ओर चला गया. भालू के चले जाने पर रामू झट से उतरकर आया और उसने अपने मित्र को उठाकर गले से लगा लिया. इस प्रकार रामू ने अपनी सूझ-बूझ से अपने मित्र की जान बचा ली.
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नीचे दिये चित्र को देखकर जल्दी से एक कहानी लिखो और हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दो. अच्छी कहानियां हम अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.