कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी -

चतुर बिल्ली

एक चिड़ा पेड़ पर घोंसला बनाकर मजे से रहता था. एक दिन वह अच्छी फसल वाले खेत में पहुंच गया. वहां खाने पीने की मौज से बड़ा ही खुश हुआ. उसके दिन मजे में वहीं बीतने लगे. इधर शाम को एक खरगोश उस पेड़ के पास आया जहां चिड़े का घोंसला था. पेड़ जरा भी ऊंचा नहीं था. खरगोश ने झांक कर देखा. घोंसला खाली पड़ा था. उसे यह बना बनाया घोंसला पसंद आ गया और वह उसमें रहने लगा. कुछ दिनों बाद वह चिड़ा वापस लौटा. उसने देखा कि घोंसले में खरगोश आराम से बैठा हुआ है. उसे बड़ा गुस्सा आया, उसने खरगोश से कहा, ‘‘चोर कहीं के, मैं नहीं था तो मेरे घर में घुस गए हो ? चलो निकलो मेरे घर से’’. खरगोश ने जवाब दिया – ‘‘कौन सा तुम्हारा घर? यह तो मेरा घर है. कुआं, तालाब या पेड़ एक बार छोड़कर कोई जाता हैं तो अपना हक भी गवां देता है. अब यह घर मेरा है. बेकार में मुझे तंग मत करो’’. चिड़े ने कहा – ‘‘ऐसे बहस करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला. किसी धर्मपण्डित के पास चलते हैं. वह जिसके हक में फैसला सुनायेगा उसे घर मिल जाएगा’’.

उस पेड़ के पास से एक नदी बहती थी. वहां पर एक बड़ी सी बिल्ली बैठी थी. वह कुछ धर्मपाठ करती नजर आ रही थी. वैसे तो यह बिल्ली इन दोनों की जन्मजात शत्रु है लेकिन वहां और कोई भी नहीं था इसलिए उन दोनों ने उसके पास जाना और उससे न्याय लेना ही उचित समझा. सावधानी बरतते हुए बिल्ली के पास जा कर उन्होंने अपनी समस्या बताई.

बहुत से पाठकों ने हमें यह कहानी पूरी करके भेजी है. उनमें से कुछ को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं –

कु. कविता कोरी व्दारा पूरी की गई कहानी

सावधानी बरतते हुए बिल्ली के पास जा कर उन्होंने अपनी समस्या बताई. उन्होंने कहा, 'हमने अपनी उलझन तो बता दी, अब इसका हल क्या है ? जो भी सही होगा उसे वह घोंसला मिल जाएगा और जो झूठा होगा उसे आप खा लें.'

यह तुम कैसी बातें कर रहे हो. हिंसा जैसा पाप इस दुनिया में नहीं है. मैं तुम्हें न्याय देने में तो मदद करूंगी लेकिन झूठे को खाने की बात है तो वह मुझसे नहीं हो पाएगा. मैं एक बात तुम लोगों को कान में कहना चाहती हूं. जरा मेरे करीब आओ तो !!'

खरगोश और चिड़ा खुश हो गए कि अब फैसला हो कर रहेगा, और उसके बिलकुल करीब गए. फिर क्या था ? करीब आए खरगोश को पंजे में पकड़ कर मुंह से चिड़े को बिल्ली ने नोंच लिया. दोनों का काम तमाम कर दिया. अपने शत्रु को पहचानते हुए भी उस पर विश्वास करने से खरगोश और चिड़े को अपनी जान गवांनी पड़ी.

शिक्षा - सच है, शत्रु से संभलकर दूर ही रहने में भलाई है.

कु. राजेश्वरी मरपच्ची व्दारा पूरी की गई कहानी

सावधानी बरतते हुए बिल्ली के पास जाकर उन्होंने अपनी समस्या बताई. बिल्ली ने उन दोनों की बातें ध्यान से सुनी फिर फैसला किया कि यह घर चिड़ा का होना चाहिए, क्योंकि उसने मेहनत करके खून-पसीने से यह घोंसला बनाया था. कुछ दिनों के लिए भोजन की तलाश में अन्यत्र चला गया था. जिस पर खरगोश आकर जबरदस्ती कब्जा कर लिया था. खरगोश तो पेड़ के नीचे भी रह सकता है. इस तरह से चिड़ा और खरगोश ने बिल्ली के चतुराई भरे निर्णय को मान लिया और तीनों में दोस्ती हो गई. अब घोंसले में चिड़ा, पेड़ में बिल्ली और पेड़ के नीचे बिल में खरगोश रहने लगा.

देवेन्द्र कुमार आर्मो व्दारा पूरी की गई कहानी

सावधानी बरतते हुए बिल्ली के पास जाकर उन्होंने अपनी समस्या बताई. बिल्ली ने उन दोनों की बात चुपचाप सुनी, फिर मौका देख कर खरगोश के पास गयी और खरगोश को झपट्टा मारकर मार डाला. यह देखकर चिढ़ा उड़ने लगा तो बिल्ली ने उछाल भरते हुए अपने पंजे में चिड़े को दबोच लिया. उन दोनों को बिल्ली ने खा लिया और घोसले पर स्वयं ही कब्जा कर लिया.

शिक्षा- दुश्मन पर कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए.

अगले अंक के लिये अधूरी कहानी

वह लड़की

लेखिका - रामेश्वरी चंद्राकर, पी.जी. उमाठे कन्या विद्यालय

एक लड़की थी. उसका पढ़ाई में बहुत मन लगता था पर उसके पापा उसे काम पर भेजते थे. जब वो बोलती थी की मुझे स्कूल जाना है तो उसके पाप कहते थे कि‍ स्कूल नहीं काम पर जाओ. जब उस लड़की ने अपने पापा की बात नहीं मानी और पढ़ने के लिये स्कूल चली गई तो उसके पापा उस लड़की के स्कूल गये और उसकी सहेलियों से कहने लगे की तुम लोगों ने ही इसे बिगाड़ा है. इसके बाद उसके पापा ने उसे स्कूल नहीं जाने दिया बल्कि किसी के घर कम पर भेज दिया. एक दिन उस लड़की की तबीयत ख़राब हो गयी और वह काम पर नहीं गयी. उसके पापा ने उससे पूछा की तुम काम पर क्यों नहीं गयी ? उस लड़की ने कहा कि मेरी तबियत ख़राब है इसीलिए मैं काम पर नहीं गयी. यह सुनकर उस लड़की के पापा उसे बहुत मारा.

अब आप इस कहानी को पूरा करके हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दीजिये. अच्छी कहानियां हम अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

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