सामान्य ज्ञान

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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने शुरू किया था सर्वानिक गणेशोत्स्व

गणेशोत्सोव हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक दस दिनों तक चलता है. महाराष्ट्र में यह त्योहार विेशष रूप से मनाया जाता है. सात वाहन, राष्ट्रकूट, चालुक्य जैसे राजाओं ने गणेशोत्सव की प्रथा चलाई. छत्रपति शिवाजी महाराज भी गणेश की उपासना करते थे. पेशवाओं ने गणेशोत्सव को बढ़ावा दिया. पुणे में कस्बा गणपति की स्थापना राजमाता जीजाबाई ने की थी. पहले गणेश पूजा घर में होती थी. वर्ष 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे सार्वजनिक रूप दिया. ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, मैं इसे लेकर रहूंगा’, की घोषणा करने वाले तिलक महान राष्ट्र वादी नेता थे. तिलक ने इसे केवल धार्मिक कर्मकांड तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि आजादी की लड़ाई, छूआछूत दूर करने, समाज को संगठित करने और आम आदमी के ज्ञानवर्धन करने का उसे ज़रिया बनाया.

इस आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. सार्वजनिक गणेशोत्सव से अंग्रेज घबरा गए थे. इस बारे में रोलेट समिति की रिपोर्ट में गंभीर चिंता जताई गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन का विरोध करती हैं और ब्रिटेन के ख़िलाफ़ गीत गाती हैं. स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं, जिनमें अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाने और शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है.

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