कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिए दी थी –

आकाश का फ्रिज

लेखिका – पुष्पा शुक्ला

कल रात बादलों से बर्फ गिरने लगी. बड़ी - बड़ी, गोल - गोल, तड़- तड़, तड़ – तड़. टॉमी बाहर सोया था, बेचारे के सर पर एक जमकर पड़ी. कूँ- कूँ करता अंदर आया. मुझे तो बड़ा मजा आ रहा था. मैंने तो चुपके से दो - चार खाई भी. ठंडी- ठंडी, सफेद -सफेद रसगुल्ले जैसी. मुझे देख टॉमी भी खाने लगा. वह जैसे ही खाने को करता वे घुल जातीं. पर मुझे एक बात समझ नहीं आई की बादलों में बर्फ़ जमी कैसे? क्या उनके पास बहुत बड़ी - सी फ्रिज है?

इस कहानी को पूरा करके बहुत से पाठकों ने भेजा है. कुछ को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं –

पद्यमनी साहू व्दारा पूरी की गई कहानी

यही सोचते-सोचते मैं सो गया. जब घड़ी में 6 बजे तब मम्मी मुझे जगाने आई. जागो बेटा स्कूल जाना है. मैं झट से जाग गया क्योंकि मुझे देर से स्कूल जाना पसंद नहीं है. हमे समय पर स्कूल जाना चाहिए. मैं जल्दी स्कूल पहुँचने के लिए उतावला हो रहा था. रात वाली बात दोस्तो को जो बतानी जो थी.

कक्षा में पहुँचते ही मैंने बर्फ गोले वाली बात बताई. मेरे सभी दोस्त मेरी बातें ध्यान से सुन रहे थे. मेरे एक दोस्त ने बताया कि उसने भी बादल से बर्फ के गोले गिरते देखे हैं. मुझे समझ नही आया कि इतने सारे बर्फ गोले कहां से आये.

इतने में हमारी शि‍क्षिका कक्षा में आ गईं. हमे बातें करते देख बहुत प्यार से पूछने लगीं कि किस बात पर चर्चा हो रही है. मैने रात वाली सारी बात बताई और पूछने लगा कि क्या बादल में बहुत बड़ा फ्रिज है. मेरे सवाल पर शिक्षिका हँसने लगीं. इसके बाउ उन्होबने प्रोजेक्ट र ऑन किया और हमे बताया – “बच्चो वर्षा का जल नदी तालाब झील नाले सागर व महासागर में जमा होता है. वह पानी लगातार वाष्पित हो कर ऊपर जाता है और बादल बनता है. ये बादल धरती से बहुत ऊँचाई पर होते हैं. जैसे जैसे हम ऊपर जाते हैं तापमान कम होता जाता है. शून्य डिग्री तापमान पर पानी बर्फ बन जाता है. अधिक ऊंचाई पर मौजूद बादल में पानी की बूंदे बर्फ बन जाती हैं जो बर्फ के गोले के रूप में गिरती हैं. हमे यह सब जान कर बहुत अच्छा लगा. मेरे दोस्त ने कहा अब पता चला कि ऊपर फ्रिज कैसे बना. हम सब हँसने लगे.”

कन्हैया साहू (कान्हा) व्दारा पूरी की कहानी

मैंने सोचा क्यूं न दादी से पूछ लिया जाए कि क्या आसमान में बहुत बड़ा फ्रिज है. दादी ने बताया कि नही बेटा ऐसा नही है. कभी कभी बारिश की बूंदे बर्फ के छोटे छोटे गोले के रूप में गिरती हैं. उसे ओला कहते हैं. जो आज यहाँ पर गिर रहा है वह भी ओला ही है. मैं और मेरी बहन टॉमी को लेकर ओला खाने और उससे खेलने के लिए घर के बाहर गली में आ गए. गली में बहुत सारे बच्चे खेल रहे थे. टॉमी ओला खाने को दौड़ता तो ओला उसके मुंह मे जाने से पहले ही पिघल कर पानी बन जाता. टॉमी परेशान होकर दूसरा ओला पकड़ता तो फिर वही होता. वह परेशान होकर वह एक जगह बैठ गया और हम बच्चो को मस्ती करते हुए देखने लगा. मैं और मेरी बहन व आसपास के सभी बच्चे ओलों को खाने व उन्हें एक दूसरे पर फेंकने लगे. सभी अधिक से अधिक ओले इक्कठा करने की कोशिश करते पर ओला देखते ही देखते पानी मे बदल जाता. ऐसा तब तक चलता रहा जब तक ओला गिरना बंद नही हुआ. जब धूप निकली तब मैंने अपने घर के छोटे से बगीचे जहाँ मम्मी ने कुछ सब्जियां लगाई हैं, देखा कि ओले गिरने से लौकी कद्दू और टमाटर के फल व पौधे पूरी तरह से खराब हो गए है और घर की खपरैल भी कई जगह से टूट गयी है. पापा ने बाद में उसे ठीक किया. पापा ने बताया कि ओला गिरने से खेत मे लगी गेहूं की फसल को भी बहुत नुकसान हुआ है. आज हम सभी बच्चो को प्रकृति की शक्ति का अहसास हुआ और आसमान से गिरने वाली आफत का भी पता चला. हम सभी ने मिलकर ओले के साथ बहुत मस्ती मज़ा किया व खेलते रहे. कुल मिलाकर आज का दिन हम बच्चो के लिए मस्ती मज़ा व एकदम नया अनुभवों से भरा हुआ रहा.

अगले अंक के लिये इस मज़ेदार कहानी को पूरा करके हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दीजिये. अच्छी कहानियां हम अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

अधूरी कहानी – झील का राक्षस

एक जंगल था. उसमे बहुत से जानवर रहते थे. जंगल के बीच में एक झील थी जिसका पानी जंगल के सभी जीव जंतु पीते थे. एक दिन की बात है जंगल की झील से एक राक्षस निकला. उसने सभी जंगल में रहने वालों से कहा – “आज के बाद अगर किसी ने इस झील का पानी पिया तो में उसे खा जाऊंगा.” यह सुन सभी जानवर भयभीत हो गये. उस दिन के बाद से कोई भी उस झील का पानी पीने नही जाता था.

कुछ समय बाद जंगल में सूखा पड़ गया. जंगल के सभी छोटी–छोटी नदियाँ सूख गयी. फिर एक दिन सभी जानवर इकट्ठा हो कर उस झील के पास गए जहाँ राक्षस रहता था. सभी जानवरों ने बोला – “इस झील के महाराज कृपया बाहर आए और हमारी परेशानी सुने.” इतना बोलते ही राक्षस बाहर आ गया. वह बहुत विशाल और डरावना था. वह गुस्से से बोला- क्यों मुझे जगा दिया?”

सभी जानवर ने बोला – “महाराज कृपया कर जब तक इस जंगल में सुखा परा है तब तक इस जंगल के सभी जानवरों को पानी पीने दीजिये महाराज..!!”

यह सुन राक्षस तिलमिला उठा उसने कहा - “इस झील के अंदर किसी ने पैर भी रखे तो में उसे खा जाऊंगा..!!” यह बोल राक्षस वापस पानी में चला गया. अब सभी जानवर दुखी होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गए. तभी उस जंगल के एक सबसे बूढ़े बंदर ने कहा – “सुनो में एक उपाय बताता हूँ ..!!”

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