चार मितान

लेखक - पुष्पेन्द्र तिवारी

जुन्ना समय के बात आय एक ठन जंगल मा चार झन जानवर रहे खरगोश, केछवा, हिरन अऊ कउंवा,चारो झन जुर मिल के बन मा रहय अऊ खेलय कूदय. एक दिन सब्बो मितान मन बर पेंड तरी बैठे रहय अऊ हिरन के रद्दा देखत देखत बेरा हा पहाय लागिस त खरगोश हा कहिथे कस गा संगवारी हो अतेक बेरा पहागे हमर मितान हिरन हा काबर नई आवत हे तब कौआ हा कहिथे तुमन सब्बो झन एही मेर रुका मै हा उडत उडत जावाथौ और मितान हिरन के पता लगाके झट् ले आवाथौ कउवा हा उडत जाथे और देखथे कि हिरन ला तो शिकारी हा अपन फांदा मा फँदो ले हे अऊ हिरन हा फांदा मा फसे फसे रुवांसी होथे और फेर निकले बर फडफडात रहिथे. झटकुन कौआ हा उडत जाथे और अपन मितान खरगोस,केछवा ला बताइस कि हिरन हा कैसे फांदा मा फस गे हे सब्बो झन जुर मिल के हिरन ला बचाये बर उदिम करे ला धर लेथे कउवा हा कइथे मोर एक ठन संगी मुसवा जोन हा पहाडी के ओपार रहिथे मै हा जाथव और झटकुन ओला लेके आहू और बताहू त वोह हमार संगी हिरन ला बचाही.

फेर कउवा हा उडत जाथे और मुसुवा ला अपन संग मा ला के हिरन जहा फसे रहिथे उही मेर छोड देथे मुसवा हा अपन दांत ले जाल ल कतर देथे अऊ हिरन हा फांदा ले निकल के दुरिहा जंगल के रद्दा भाग जाथे. मुसवा हा बिला मा घुसर जाथे अउ कौवा हा उड जाथे बपुरा केछवा ला शिकारी हा देख डारथे अउ वोहा शिकारी के हाथ धरा जाथे. सब्बो झन भागत भागत बर पेड़ तरी जाके सुस्ताथे त देखते के केछवा ह तो नइ आए पईस त फेर कउवा ह कइथे सबचला जुरमिल के अपन मितान केछवा ल बचाबो. सब्बो झन जाथे और थोर कन दूर मा हिरन हा शिकारी ल देख के सुत जाथे हिरन ला देख के शिकारी हा सोच म पर जाथे अउ उही मेल केछवा ल जमीन मा धर के हिरन ला पकड़े बर झटकुन भागथे हिरन हा शिकारी ला अपन डहर आवत देख भाग के जंगल अंदर चल देथे अऊ केछवा घलो शिकारी के चंगुल ले छूट के रेंगत रेंगत पाना पताउवा मा लुका जाने. शिकारी कोनो ल नइ पावय और खिसीयात अपन रद्दा चल देथे. फेर चारो मितान मन थोकन देर बाद जंगल मा पेड तरी बैठ के अपन सुख दुःख ला गुठियाथे और अइसने जुर मिल के रहे के बात ला कहिथे.

सीख: - सब्बो झन ल जुर मिल के रहेबर चाही.

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