गणित की गतिविधियां-33


बंडल और खुली


  • यह गतिविधि हम क्यों करे?
    • बच्चे-बच्चियाँ 10-10 चीजों के समूह बनाना सीखेंगे।
    • संख्या पद्धति को समझने की शुरुआत होगी।
  • आवश्य्क सामग्री -
    • तीलियाँ, लकड़ी के टुकड़े, रबर या धागे के टुकड़े।
  • यह गतिविधि हम कैसे करें?
    • सभी बच्चों को लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े लाने के लिए बाहर भेजें।
    • बच्चों द्वारा लाए गए लकड़ी के टुकड़ों को अपने पास इकट्ठा करवा लें।
    • अब सभी बच्चों को हम लकड़ी के टुकड़े बाँट दें। शिक्षक लकड़ी के टुकड़ों को बाँटने के दौरान यह ध्यान रखें की किसी भी बच्चे के पास 19 से ज्यादा टुकड़े न जाने पाएँ।
    • बच्चों को एक-एक रबर या धागे का टुकड़ा देकर उनसे कहें कि वे लकड़ी के टुकड़ों को गिनें और 10 लकड़ी के टुकड़ों को एक साथ बांध दें। इसे बंडल कहेंगे यह बताएँ।
    • प्रत्येक बच्चे से यह पूछें कि रबर या रस्सी से बंधे बंडल के अलावा उनके पास लकड़ी के कितने टुकड़े बचे है?
    • बच्चों को छोटे समूहों में बाँटें। प्रत्येक समूह को लकड़ी के 10 से अधिक टुकड़े दें।
    • अब प्रत्येक समूह के किसी एक बच्चे को टुकड़ों को गिनकर 10 का बंडल बनाने के लिए कहें।
    • उसी समूह का दूसरा बच्चा बंडल खोलकर गिनेगा कि 10 तीलियों से ही बंडल बना है या नहीं।
    • अब दूसरा बच्चा गिनकर बंडल बनाएगा और पहला वाला बच्चा पुनः खोलकर उन्हें गिनेगा और पुनः रस्सी या रबर लगा देगा।
    • अब प्रत्येक समूह से पूछें उनके पास कितने बण्डल और कितनी खुली लकड़ियाँ हैं।
  • क्या यह भी हो सकता है?
    • बच्चों से कुछ बड़ी पत्तियाँ मंगवाकर इस तरह की गतिविधियाँ करवाई जा सकती है।
    • दस कंकड़ों की थैलियाँ बनाकर भी पूछ सकते हैं कितनी थैली और कितने कंकड़ है।
  • इस गतिविधि के कुछ फायदे और भी हैं - 
    • वस्तुओं को एक साथ गिनने के अलावा दस-दस के कुछ समूह और अलग बची हुई चीजों के रुप में बताने की शुरुआत हो सकेगी।
कु. योगिता वर्मा शास.प्राथ.शाला कुम्हारपारा, महासमुंद का अनुभव

जब मैंने बच्चों के साथ काम करना शुरू किया तो यह अनुभव किया कि बच्चों में बहुत ज्यादा उत्साह था। वे हर गतिविधि में हिस्सा लेना चाहते थे। वे यह सोचकर खुश भी हो रहे थे कि वे यह कर सकते हैं। उनके मन में जिज्ञासा भी होती थी कि इसके बाद और क्या होगा? मैं गतिविधियों के द्वारा काम करके बहुत खुश हूं। मुझे बच्चों को सिखाने के नए और बेहतर तरीके मिल रहे हैं। 

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