बालगीत

तितली

लेखिका - अणिमा उपाध्याय

नन्हीं तितली डोल रही थी ,

फूलों को वो तोल रही थी ।

रंग बिरंगे फूलों से वो,

हंस के नाता जोड़ रही थी ॥

थोड़ा सा मैं रस पी लूँगी,

पंख पराग से भर लूँगी ।

दूजे फूलों पे जाकर मैं,

यह पराग कण उनको दूंगी ॥

इठलाते पौधे भी उसको,

अपने पास बुलाते होंगे ।

अपने बीजों को तितली से,

चहुं ओर बिखराते होंगे ॥

कैसी अदभुत क्रीड़ा करते,

रंग प्रकृति में हैं भरते ।

लाते हैं मुस्कान लबों पर ,

छोटे से यह कीट पतंगे ॥

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