कहानी-1

बगुला भगत

एक तालाब में बहुत सी मछलियां रहती थी. तालाब के किनारे एक धूर्त और दुष्ट बगुला साधु का भेष बनाकर बैठा था. वह तालाब की मछलियों से अपना पेट भरने का उपाय सोच रहा था..

तालाब की मछलियों ने बगुले को उदास देखकर पूछा – क्या बात है मामा ! आज बहुत चिंतित हो.

बगुले ने कहा - बस तुम्हीं लोगों की चिंता में हूं. इस तालाब का पानी दिनोंदिन कम हो रहा है.

मछलियां घबरा गईं. उन्होंने पूछा - तो हम क्या करें.

बगुला बोला - अब एक ही उपाय है. मैं एक-एक करके तुम सबको अपनी चोंच में पकड़ कर दूर एक बड़े तालाब में छोड़ आऊं.

मछलियों को शंका हुई. उन्होने कहा - लेकिन मामा ! इस दुनिया में आज तक कोई बगुला ऐसा नहीं हुआ जिस ने मछलियों की भलाई के बारे में सोचा हो. भला हम तुम पर कैसे विश्वास कर लें.

बगुले ने अब अपनी चाल चली. उसने कहा - तुम लोग किसी एक मछली को मेरे साथ भेजो. मैं उसे वह तालाब दिखा लाऊंगा. तुम उससे पूछ लेना. अगर विश्वास हो जाए तो तुम सब एक-एक कर चलना.

मछलियां धूर्त बगुले की चाल में आ गई. उन्होंने एक मछली को बगुले के साथ भेज दिया. बगुला उसे बड़ा तालाब दिखा कर ले आया. उस मछली ने बड़े तालाब का बड़ा सुंदर वर्णन किया. उससे प्रभावित होकर सभी मछलियां चलने को तैयार हो गई.

अब बगुला उस तालाब में से एक मछली को ले जाता और दूर जंगल में एक बड़े तालाब के किनारे बड़ी चट्टान पर उसे मार कर खा जाता. इस तरह उसने तालाब की सारी मछलियां खा लीं. चट्टान के पास मछलियों की हड्डि‍यों का ढेर लग गया.

तालाब में अब केवल एक केकड़ा बचा था. बगुला उसे भी खाना चाहता था. केकड़ा चालाक था. बोला मैं तुम्हारी चोंच में दब कर नहीं चल सकता. कहो तो, मैं गर्दन पर बैठकर चलूं. बगुले ने सोचा, तू किसी तरह चट्टान तक तो चल. फिर तो मैं खा ही जाऊंगा. इस तरह उसने केकड़े की बात मान ली. बगुला अपनी गर्दन पर केकड़े को लेकर चट्टान के पास पहुंचा. मछलियों की हड्डियां देखकर केकड़ा सारा मामला समझ गया. उसने बगुले की गर्दन पर अपने कांटे गड़ाए और बोला - तू मुझे सही तरह से तालाब के किनारे ले चलता है या गर्दन दबा दूं. बगुला पीड़ा से कराह उठा. वह केकड़े को चुपचाप तालाब के किनारे ले गया.

केकड़े ने कहा अब तुझे अपनी करनी का फल मिलना चाहिए. उसने बगुले की गर्दन दबा कर उसे खत्म कर दिया. केकड़ा तालाब के पानी में चला गया. उसने जाते-जाते कहा - धूर्त और दुष्ट व्यक्ति सदा सुखी नहीं रहते. एक ना एक दिन उनकी यही दशा होती है.


कहानी-2

होशियार लड़का

लेखक – हिमांशु मधुकर

एक नन्हे– पाठक ने चित्रमय कहानी लिखी है जो हम आपके लिये यहां प्रकाशित कर रहे हैं-

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