अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी–

सच्ची जीत

AKAugust23

एक गांव में एक किसान रहता था.

उसका नाम था शेरसिंह.

शेरसिंह शेर-जैसा भयंकर और अभिमानी था. वह थोड़ी सी बात पर बिगड़कर लड़ाई कर लेता था.

गांव के लोगों से सीधे मुंह बात नहीं करता था.

न तो किसी के घर जाता और न रास्ते में मिलने पर किसी को प्रणाम करता था.

गांव के किसान भी उसे अहंकारी समझकर उससे नहीं बोलते थे.

उसी गांव में एक दयाराम नाम का किसान आकर बस गया.

वह बहुत सीधा और भला आदमी था.

सबसे नम्रता से बोलता था, सबकी कुछ-न-कुछ सहायता किया करता था.

सभी किसान उसका आदर करते थे.

और अपने कामों में उससे सलाह लिया करते थे.

गांव के किसानों ने दयाराम से कहा -'भाई ! दयाराम तुम कभी शेरसिंह के घर मत जाना उससे दूर ही रहना.

वह बहुत झगड़ालू है.'

दयाराम ने हंसकर कहा – 'शेरसिंह ने मुझसे झगड़ा किया तो मैं उसे मार ही डालूंगा.'

दूसरे किसान भी हंस पड़े.

वे जानते थे कि दयाराम बहुत दयालु.

है वह किसी को मारना तो दूर किसी को गाली तक नहीं दे सकता.

लेकिन यह बात किसी ने शेरसिंह से कह दी.

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा पूरी की गई कहानी

दयाराम के द्वारा मजाक किए हुए शब्दों को सुनकर शेरसिंह क्रोधित हो गया.वह उसी दिन से दयाराम से झगड़ने की चेष्टा करने लगा.

शेरसिंह,दयाराम के खेत को नुकसान करने के लिए अपने एवं गांव के पूरे जानवर छोड़ दिए. किंतु दयाराम प्रेम पूर्वक सभी जानवर को अपने खेत से बाहर कर दिए.दयाराम को शांत देखकर, शेरसिंह ने कभी उसके खेत के पानी को निकाल देता, वह चुपचाप जाकर उसे बांध देता.कभी उसके घर में बंधे हुए बैल को छोड़कर भाग जाते,वह अपने बैल को लाकर पुनः उसी स्थान पर बांध देता था.

इसी प्रकार शेरसिंह बार-बार दयाराम की हानि करता रहा,किंतु दयाराम ने एक बार भी उसे झगड़ने का अवसर नहीं दिया.उससे बात नहीं बनी तो हार-थक्कर शेरसिंह,दयाराम के लड़के के पास उलझ गया और गाली गलौज करते हुए उसे मारपीट करने लगा.गांव के लोगों ने दौड़कर दयाराम को बुलाया. जहाँ शेरसिंह उसके लड़के को मारपीट कर रहा था.दयाराम वहाँ पहुँचकर अपने लड़के को समझा कर लड़ाई शांत कराया और शेरसिंह से क्षमा याचना किया.

दयाराम के शांत स्वभाव को देखकर थोड़ी देर के लिए उसके मन में अपने प्रति हिन की भाव जगा.लेकिन उसके अहंकारी भावना, झगड़ालू स्वभाव अपने आप को सुधरने नहीं दिया.

कुछ दिन पश्चात शेरसिंह अपने लड़के के साथ खेत में काम कर रहा था.तभी अचानक एक जहरीला सांप,उसके लड़के को काट दिया.लड़का के मुंह में झाग आना चालू हो गया,बेहोश की स्थिति और शरीर ठंडा होने लगा.शेरसिंह का एक ही लड़का था.वह अपने लड़के को देखकर कुछ अनहोनी घटना हो न जाए सोचकर,डर से कांपने लगा.उसे समझ में नहीं आ रहा था क्या करें?गांव वालों को थोड़ी ही देर में आग की तरह शेरसिंह के लड़के को सांप काटने का खबर प्राप्त हो गया.लेकिन उसे बचाने कोई सामने नहीं आया क्योंकि वह गांव वाले से हमेशा झगड़ा और दुश्मनी करता था.वहअपने बच्चे को गाड़ी में भरकर शहर ले जाना चाहा.लेकिन गाड़ी का चक्का कीचड़ में घुस गया.बैल कमजोर होने के कारण गाड़ी खींच नहीं सका और ना ही किसी को सहायता के लिए बुला सके. शेरसिंह अपने लड़का के खो जाने की डर सता रहा था. वह मन ही मन रो रहा था.

‌ तभी अचानक दयाराम अपने गाड़ी और बैल के साथ वहाँ पर पहुँचते हैं और उसे जल्दी ही बिना समय गवाएं शहर के अस्पताल पहुँचाते हैं.वहाँ तुरंत डॉक्टरों की टीम के द्वारा इलाज किया जाता है.डॉक्टर ने बताया कि थोड़ी देर होती तो,इसका जान नहीं बचाया जा सकता.इलाज करने के कुछ समय पश्चात स्वास्थ्य में सुधार होता गया.डॉक्टर ने शेरसिंह को जानकारी देता है कि आपके लड़का खतरे से बाहर है.तभी शेरसिंह,दयाराम के पैर पकड़कर क्षमा माँगता है और कहता है कि मैं आपके लड़के को जबरदस्ती सताया, मारपीट किया.फिर भी आप मेरे लड़के को बचाने आ गए.आप देवता हो, देवता! दयाराम उसको अपने गले लगाया और कहा-'भाई दो दिन की जिंदगी है हंस कर जियो.किससे दुश्मनी करोगे.गांव भी तो हमारा परिवार ही है.

शेरसिंह का दुष्टस्वभाव उसी दिन से बदल गया.वह कहता था -'दयाराम ने अपने उपकार के द्वारा मुझे मार ही दिया.'

अब मैं वह अहंकारी शेरसिंह कहाँ रहा.उस दिन से अब वह सबसे नम्रता और प्रेम का व्यवहार करने लगा.गांव वाले सब खुशी से एक परिवार की भांति रहने लगे.

बच्चों आप सबने देखा शेरसिंह अभिमानी,अहंकारी और झगड़ालू होने के कारण उसे दु:ख का सामना करना पड़ा.जिसके वजह से विपत्ति आने पर भी उसे किसी का सहयोग नहीं मिल रहा था.लेकिन दयाराम बार-बार शेरसिंह के सताने के बाद भी वह अपना कार्य धीरज रहकर,प्रेम पूर्वक करता रहा.जिसकी वजह से उसे कभी दु:ख का सामना नहीं करना पड़ा और वह हमेशा सुख पूर्वक अपना जीवन बिताया. हमें भी दयाराम की तरह अपने जीवन में धीरज रहकर,प्रेम पूर्वक कार्य करना चाहिए.

अनन्या तंबोली, जांजगीर द्वारा पूरी की गई कहानी

जब शेरसिंह को पता चला गांव में एक दयाराम नाम का किसान आया है. जो यह कह रहा था कि जब मैं शेर सिंह से मिलूंगा तो मैं उसे मार ही डालूंगा.यह सुनकर शेर सिंह को बहुत ही गुस्से में आ गया और उसने कहा मैं उसे मिलना चाहता हूं.वह मेरे बारे में ऐसा कैसे बोल सकता है वह मुझे जानता भी नहीं मैं क्या कर सकता हूं.ऐसा कह कर एक दिन शेरसिंह गुस्से में दयाराम के घर चला गया.दयाराम ने शेर सिंह को देखकर नमस्कार किया उसे बड़े ही आदर के साथ अपने घर में बैठाया.शेरसिह दयाराम के इस आदर को नजरअंदाज करते हुए झगड़ने लगा .लेकिन दयाराम शांत था वह कुछ नहीं बोल रहा था उसके मन में लड़ाई झगड़े का कोई भाव नहीं था वह तो शेरसिंह के स्वभाव में बदलाव लाना चाहता था. बड़े ही प्यार से दयाराम शेर सिंह को कहता है देखिए भाई साहब आपकी और मेरी कोई दुश्मनी नहीं है आप बहुत ही अच्छे इंसान हैं लेकिन आपका व्यवहार थोड़ा सख्त है यदि व्यवहार में परिवर्तन कर लिया जाए तो हम पूरे गांव वालों को जीत लेंगे ऐसा कह कर दयाराम शेरसिंह को लेकर खेत जाने के लिए बाहर निकले रास्ते में एक व्यक्ति ने दयाराम को सम्मान पूर्वक राधे-राधे कहा यह देखकर शेरसिंह आश्चर्यचकित हो गया और दयाराम से पूछा तुम्हें सारे लोग इतना सम्मान क्यों देते हैं? मैं लोगों को इस चीज के लिए डरा धमका देता हूं फिर भी मुझसे कोई ढंग से बात नहीं करता और ना ही मेरी कोई बात मानते हैं. तुमने आते ही गांव वालों के साथ क्या किया कि सारे लोग तुम्हारे बस में हो गए सभी लोग तुम से सहयोग और सलाह लेते हैं लेकिन मुझसे बात भी नहीं करते तब दयाराम ने बताया कि लोग सम्मान डर की वजह से नहीं करते उनके मन में जगह बनाना पड़ता है .विश्वास, सहयोग से ही लोगों पर राज किया जा सकता है जैसा व्यवहार हम उनके साथ करते हैं वैसे ही वह हमारे साथ करते हैं अगर आप गांव वालों की सहायता करेंगे तो वह आपकी भी सम्मान करेंगे यह सुनकर शेर सिंह भी सोचने लगा क्यों न एक बार इसे आजमा लिया जाए. देखते ही देखते गांव वाले शेर सिंह का भी सम्मान करने लगे. शेर सिंह का दिल भी जाग गया .और उस दिन से शेरसिंह गांव वालों से अच्छे से व्यवहार करने लगा उनसे सम्मान पूर्वक बात करता उनके कामों में मदद करता और उनसे सलाह भी लेता यह देखकर दयाराम बहुत खुश हो गया दयाराम और शेर सिंह में अच्छी दोस्ती हो गई और अब दोनों के साथ साथ पूरे गांव वाले भी सब मिलजुल कर रहने लगे यह थी दयाराम की सच्ची जीत. उसने शेर सिंह जैसे डरावने झगड़ालू एवं भयानक व्यक्ति को सीधे-साधे व्यवहार कुशल एवं सहयोगी व्यक्ति अपने व्यवहार से बना दिया.

मनोज कुमार पाटनवार, बिलासपुर द्वारा पूरी की गई कहानी

शेर सिंह क्रोध से लाल पीला हो गया. वह उसी दिन से आत्माराम से झगड़ने की चेष्टा करने लगा.उसने आत्माराम के खेत में अपने बैल छोड़ दिए. बैल बहुत सा खेत चर गए, किंतु आत्माराम ने उन्हें चुपचाप खेत से बाहर हांक दिया.

शेर सिंह ने आत्माराम के खेत में जाने वाली पानी की नाली तोड़ दी. पानी बहने लगा, आत्माराम ने आकर चुपचाप नाली बांध दी. इसी प्रकार से शेरसिंह बराबर आत्माराम की हानि करता रहा किंतु आत्माराम ने एक बार भी उसे झगड़ने का अवसर नहीं दिया.

कुछ दिन बाद शेर सिंह गाड़ी में अनाज भरकर दूसरे गांव से आ रहा था बरसात के कारण रास्ते में कीचड़ की वजह से उसकी गाड़ी फंस गई, शेर सिंह के बैल दुबले थे वह गाड़ी को कीचड़ से बाहर निकाल नहीं पा रहे थे .जब गांव में इस बात की खबर पहुंची तो सब लोग बोले- शेर सिंह बड़ा दुष्ट है, उसे रात भर कीचड़ में पड़ा रहने दो लेकिन आत्माराम ने अपने हृष्ट-पुष्ट बैल लेकर उस ओर चल पड़ा तब लोगों ने उसे रोका और कहा -आत्माराम! शेर सिंह ने तुम्हारी बहुत हानि की है. तुम तो कहते थे यदि वह मुझसे लड़ेगा तो उसे मार ही डालूंगा फिर तुम तो आज उसकी सहायता करने क्यों जा रहे हो? आत्माराम बोला- मैं आज सचमुच उसे मार डालूंगा, तुम लोग सवेरे देखना. जब शेर सिंह ने आत्माराम को बैल लेकर आते देखा तो गर्व से बोला तुम अपने बैल लेकर लौट जाओ मुझे किसी की मदद नहीं चाहिए. आत्माराम ने कहा तुम्हारे मन में आए तो गाली दो, मन में आए तो मुझे मारो, इस समय तुम संकट में हो. तुम्हारी गाड़ी फंसी है और रात होने वाली है मैं तुम्हारी बात इस समय नहीं मान सकता. आत्माराम के तगड़े बैलों ने गाड़ी को खींचकर कीचड़ से बाहर कर दिया शेरसिंह गाड़ी लेकर घर आ गया. उसका दुष्ट स्वभाव उसी दिन से बदल गया, वह कहता था आत्माराम ने अपने उपकार द्वारा मुझे ही मार दिया. मेरा अहंकार चूर चूर कर दिया, अब वह सबसे नम्रता और प्रेम का व्यवहार करने लगा. बुराई को भलाई से जितना ही सच्ची जीत है आत्मा राम ने सच्ची जीत प्राप्त की.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

चूहों की समझदारी

Sep23AK

एक छोटे से जंगल मे हाथी रहते थे. उस जंगल मे एक झील थी. झील का पानी पीकर सभी हाथी अपनी प्यास बुझाते थे. उस समय गर्मी बहुत पड़ रही थी.

ज्यादा गर्मी के वजह से झील का सारा पानी सूख गया था. अब हाथी पानी के लिए बहुत परेशान रहने लगे.

कई दिनों तक वे बिना पानी के रहे. एक दिन उनमे से एक हाथी जोर से कहता है – अब आप सब चिंता मत कीजिये. पानी मिल गया है.

यह सुनकर सभी हाथी बहुत खुश हो जाते है ओर कहते है – तुम्हें कहाँ मिला पानी ?

इसके आगे क्या हुआ होगा? इस कहानी को पूरा कीजिए और इस माह की पंद्रह तारीख तक हमें kilolmagazine@gmail.com पर भेज दीजिए.

चुनी गई कहानी हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

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