छत्तीसगढ़ी बालगीत

बादर हर बरसाही पानी

रचनाकार- बलदाऊ राम साहू, दुर्ग

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देखत रहिबे गुड़िया रानी
बादर हर बरसाही पानी.

बादर अइसे घपटे हावय
जइसे ओला छाय जवानी.

हवा-गरेर चलत हे अइसे
जइसे लिखही नवा कहानी.

धार बोहाही सूपा सही
दस - दस आँसू रोही छानी.

खेत-खार अउ नदिया-नरवा
छलकत हावय बनके दानी.

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हरेली तिहार मनाबो

रचनाकार- आदित्य बघेल, कक्षा- 8 वीं, शास. पूर्व माध्य. शाला बिजराकापा न, संकुल- लालपुर थाना, वि.ख. लोरमी, जिला- मुंगेली

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किसान मन के पहली तिहार आगे,
सबके मन के मन मा खुशी समागे.

खेत-खार मा धान बोआगे हे सुग्घर
गेंड़ी बर लइका मन बाँस ल पागे ओग्गर.

पीसान के लोंदी बनाके बईला ल खवाथे,
लइका मन ह गेंड़ी पा के मने मे मुसकाथे.

नांगर धोहीं, कुदरी धोहीं अउ धोहीं टंगिया,
माईलोगिन मन सुग्घर राँधथे ठेठरी,खुरमी,भजिया.

दीदी-बहनी, लइका-सियान सब ल बलाबो,
छत्तीसगढ़ के पहली तिहार हरेली ल मनाबो.

जय छत्तीसगढ़, जय किसान,
हरेली तिहार हे सबले पावन.

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लहरावय देश म तिरंगा

रचनाकार- अशोक पटेल 'आशु', शा उ मा विद्यालय बेलौदी

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लहरावय देश म तिरंगा
फहरावय देश म मोर झंडा
ऊंचा गगन म
नीला गगन म
बरसावत हे फूल जन-जन ह,
राष्ट्र-गान गावय जन-जन ह.
लहरावय देश म तिरंगा
फहरावय देश म मोर झंडा

जग में हे प्यारा
सब्बो ले न्यारा
रंग हे अनोखा
रंग हावे चोखा
माथा नावावय सब जन-जन ह
खुशी मनावय सब जन-जन ह.
लहरावय देश म तिरंगा
फहरावय देश म मोर झंडा

जयकारा होवय
तनमन ल मोहय
तीन रंग सब रँगय
तिरंगा मन भावय
झुमय नाचे गाए कण-कण ह
उत्साह हर छाए हे तन-मन ह.
लहरावय देश म तिरंगा
फहरावय देश म मोर झंडा

बापू के कहना
बापू के सपना
अपन घर अंगना
धरती रहे अपना
जनता के झुमय मन-मन ह
सेनानी मन म चढय सुमन ह.
लहरावय देश म तिरंगा
फहरावय देश म मोर झंडा

रंग केशरिया हे
त्याग-बलिदान के
रंग हावे सादा हे
शांति-सद्भावना के
रंग भावत हे हरियर मनभावन ह
आगे हमर अब सुराज-सुहावन ह.

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गाँव-हर शहर होत जात हे

रचनाकार- अशोक पटेल'आशु', तुस्मा,शिवरीनारायण

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गाँव-हर शहर होत जात हे
गाँव-गली-गली, नंदावत हे
खोर-गली, हर सांकुर होगे
रद्दा- डहर, हर चपलात हे.

सिरमेंट के रद्दा ल बनात हे
बालू-कुधरालू ह नंदावत हे
उबड़-खाबड़, रद्दा हर होगे
रेंगे घलो, म गोड़ जनात हे.

पहटिया ह अब नई आत हे
कुहकी- टेर अब नंदावत हे
गो-धुली, बेरा ह नोहर होगे
गाय-गरु अब नई रंभात हे.

खोर-मुहटा ह नई लिपात हे
छरा-छिटका हर, नंदावत हे
गाय-गोबर हर,अब लुकागे
घर-अंगना नई महमहात हे.

चरागन-परिया, ह सिरात हे
धरसा-पैडगरी ह, नंदावत हे
बखरी-बारी सब भुलावत हे
टेड़ा-पाटी, नई चरचरात हे.

नांगर-बईला ह नई फंदात हे
जुड़ा-जोतावर ह, नंदावत हे
नवा उदिम म ही मोहावत हे
ददरिया तान नई सुनावत हे.

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स्कूल बलावत हे

रचनाकार- कन्हैया साहू 'अमित', भाटापारा

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टन-टन घंटी बाजत हे. चल-चल, स्कूल बलावत हे.
पढ़ई-लिखई जिनगी हे. सार बात समझावत हे.

टाँग पीठ मा बस्ता, नइ हे दुरिहा रस्ता.
खाँध जोर सँगवारी, चलव स्कूल सरकारी.
भरती तिहार चलत हवय, सबके नाव लिखावत हे.
टन-टन घंटी बाजत हे. चल-चल, स्कूल बलावत हे.

कापी, किताब मिलही, नवा ड्रेस, तन खिलही.
तात भात सब खाहू, खेले कूदे पाहू.
नइ लागय पइसा-कौड़ी, सरकार ह समझावत हे.
टन-टन घंटी बाजत हे. चल-चल, स्कूल बलावत हे.

मुस्कान लाइब्रेरी, कविता, कहिनी ढेरी.
जतके जादा पढ़हू, वतके आगू पढ़हू.
लीपे-पोते विद्यालय, मन ला गजब लुहावत हे.
टन-टन घंटी बाजत हे. चल-चल, स्कूल बलावत हे.
पढ़ई-लिखई जिनगी हे. सार बात समझावत हे.

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तीजा के तिहार

रचनाकार- कु भावना साहू, कक्षा 11 वीं, शा उ मा वि करेली बड़ी मगरलोड, जिला धमतरी

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बिहनिया बिहनिया नहावत हे,
चीला रोटी ल सुग्घर बनावत हे.
पूजा करे बर आरती ल सजाबो,
तीजा के तिहार ल सुग्घर मनाबो.

तीजा ले बर आही हमर भाई हर,
रद्दा जोहत होही हमर दाई हर.
ठेठरी अउ खुरमी ला खाबों,
तीजा के तिहार ल सुग्घर मनाबो.

कतका सुग्घर तीजा के तिहार हे,
राॅंधे करूं करेला के सब साग हे.
करेला साग ल जुरमिल खाबों,
तीजा के तिहार ल सुग्घर मनाबो.

नदिया बइला ल बाबू मन चलाही,
चुकी पोरा ल नोनी मन पोगराही.
हमन आस परौस मा बइठे बर जाबो,
तीजा के तिहार ल सुग्घर मनाबो.

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बेंदरा

रचनाकार- दीपक कंवर

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बेंदरा खईस केरा,
संझा के बेरा.
फेंक दिस फोकला,
अउ करे चोचला.
रुख ले कुदीस
छम ले,
फोकला म छिंदल गे,
धम ले.

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बरसातें

रचनाकार- सालिनी कश्यप, बलौदाबाजार

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आ गे हाबय बरसात के दिन,
अब्बड़ मजा आवत हे धुररा के बिन.
पानी मे भिगत-भिगत स्कूल जाना,
अउ चिखला में जाके धूम मचाना.
गुरुजी मन के बार -बार चिल्लाना,
अउ लइका मन के पानी म बिदबिदना.
मत भिगव रे बीमार पड़ जाहू,
पढ़ई के होही नुकसान जब स्कूल नई आहू.
लइका मन ल भीगे के काय डर हे,
जम्मो डाहर तो चिखला अउ गोबर हे.
भिगे रहिके दिन भर कक्षा में बैठना,
कब घण्टी बाजहीं दुबारा हे भीगना.
अइसने भिगे अउ चिखला में तो,बचपन के मजा हे,
सियान होयके बाद भिगबो तब तबियत के सजा हे.
तेकर सेती संगवारी हो,मजा लो सौगात के,
काबर लौट के नई आवय ये दिन बरसात के.

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कुसियार

रचनाकार- शांति लाल कश्यप, कोरबा

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दो एकम दो, दो दूने चार - हमरो बारी म हावय कुसियार.
दो तिया छै, दो चौके आठ - हसिया ल धर के कुसियार ल काट.
दो पंचे दस, दो छक्के बारह - एक ठन कुसियार ल पारी पारी खावा.
दो सत्ते चौदह, दो अठ्ठे सोलह - कुसियार ल पेर के नीबू रस घोला.
दो निया अठ्ठारह, दो दहम बीस - गरमी महीना म कुसियार रस पी.

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बादर करिया आही

रचनाकार- बलदाऊ राम साहू, दुर्ग

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जब-जब बादर करिया आही
खुश हो के पानी बरसाही.

सुरुर-सुरुर चलही पुरवाई
झींगुरा मन ह गीत सुनाही.

नाच देखाही मछरी रानी
मेंचका भैया ढोल बजाही.

अउ अगास मा इंदर देव ह
तड़-तड़, तड़-तड़ तीर चलाही.

नरवा-नदिया कूद-कूद के
मन हरसाही, खुशी मनाही.

छिपीर-छापर गली-खोर मा
लइका मन हर मजा उड़ाही.

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माटी हमर धरोहर

रचनाकार- अशोक पटेल 'आशु', तुस्मा,शिवरिनारायन

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छत्तीसगढ़ के पावन भुईयाँ
जेमा देव-धामी के डेरा हे
महामाई जिहाँ शीतला बिराजे,
जेमा ठाकुर-देवा के बसेरा हे.

दया-धर्म, कला-संस्कृति के,
जिहाँ राम-कथा के चौरा हे,
अईसे जिहाँ देवी-दाई बिराजे
जेकर सेवा म जवांरा-पचरा हे.

इही भुईंया हर तीरथ बरोबर
इहिच म बसे चारो धाम हे
इहें बहे पुण्य पतीत-पावनी
दाई चित्रोत्पल्ला गंगा नाम हे.

जुग-जुग ले इहाँ धार बोहावय
जेकर लहरा हर यशगान करे हे
इहाँ के प्राचीन देव-देवाला ह
कला-संस्कृति के बखान करे हे.

ए माटी हर हमर धरोहर आए
पुरखा हमर ऋषि संत-बानी हे
गुरु-चेला जिहाँ महाप्रसाद के
मोक्ष-दुवार के अमर-कहानी हे.

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रीत बनईया ए भारतीय देश के

रचनाकार- अशोक पटेल 'आशु', शिवरिनारायण

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रीत बनईया ए भारतीय देश के
भला करईया हमर ए समाज के.
सियनहा के जयकारा ल लगाबो
चलव न संगी तिरंगा ल फहराबो.

ए तिरंगा हर देश के पहिचान हे
एखरे से ही हमर सब के मान हे.
एखर से ही हमर म अभिमान हे
इही हर हमर धरम अउ ईमान हे.

आवव मिल के तिरंगा ल लहराबो
जुरियाके स्वतन्त्रता दिवस मनाबो.
पंद्रह अगस्त ल चला अमर बनाबो
चल न बिधि-विधान ल अपनाबो.

चल संगी सुमता के सोर बगराबो
दया-मया-पिरित के जोत जलाबो.
चल न ऊंच-नीच के डबरा पाटबो
गाँव-गरीब-गुरबा ल चल बहुराबो.

ए भारत देश हर हमर महतारी हे
इही माटी हर हमर पालनहारी हे.
जेहा तियाग-अर्पण के चिन्हारी हे
इही म हावे हम सब के पुछारी हे.

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लइका मन ला बिगाड़त हस

रचनाकार- यशवंत पात्रे, कक्षा- 8 वीं, शास. पूर्व माध्य. शाला बिजराकापा न, संकुल- लालपुर थाना, वि.ख. लोरमी, जिला- मुंगेली

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फोटू अउ बांटी जुरिया के करा मन संग मिलत हे.
लइका मन हा किसिम-किसिम के खेल खेलत हें.
झटकुन नहइया मनखे मन अबेर करके नहावत हें.
झटकुन जगइया मन उठके करा खेले ला जावत हें.
दुकानदार ह करा अउ फोटू लाके दुकान ल सजावत हे.
लइका मन हा रो-रो के ओ फोटू अउ करा ल लेवावत हे.
दाई-ददा मन परेसान होके दुकानदार ल कहत हे.
घुलंड- घुलंड के बिटोके ओमन अब्बड़ डहत हें.
कस रे चुनू तैं हा ओ करा,फोटू ल लाके देखावत हस.
गांव के जम्मों लइका मन ला तहिच ह बिगाड़त हस.
आगु म रखके फोटू, करा ला, मन ला बहकावत हस.
लइका मन ला किसिम-किसिम के खेल खेलात हस.

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स्वतंत्रता हमर गरब

रचनाकार- रुद्र प्रसाद शर्मा, रायगढ़

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चल फहराबो तिरंगा झंडा,
घर-घर, चउक, इसकूल म.
पूजबो छत्तीसगढ़ महतारी,
नरियर, उदबत्ती, फूल म.

फरफर फरफर उड़य धजा,
जैजैकार के नारा गरजय.
राजधानी के लालकिला ले,
सेना के परताप म छाती लरजय.
जोश देखबो ब्रह्मोस, त्रिशूल म.
चल फहराबो तिरंगा झंडा,
घर-घर, चउक, इसकूल म.

मयारु माटी के अब्बड़ गुन,
भारत देश के महिमा बखानबो.
जेन जंजीर ले मुक्ति मिलिस,
आजादी के गोठ ल जानबो.
माथ नवाबो बलिदानी चरन धूल म.
चल फहराबो तिरंगा झंडा,
घर-घर, चउक, इसकूल म.

राष्ट्रगान गाबो सम्मान म सचेत रहिके.
गीत गाबो अमर जवान के जय कहिके.
जनम भुईया के हमन आदर करबो,
निज अधिकार कर्तव्य ल थहिके.
प्रस्तावना ल जानबो संविधान के मूल म.
चल फहराबो तिरंगा झंडा,
घर-घर, चउक, इसकूल म.

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चलो झण्डा ला फहराबो

रचनाकार- महेन्द्र साहू 'खलारीवाला', बालोद

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केसरिया,सादा अऊ हरियर
हे तीन रंग के झण्डा हमर.
झण्डा लहर-लहर लहराबो,
चलो झण्डा ला फहराबो.

देश खातिर जऊन मर मिटिस
जेखरे सेती मिलिस अजादी.
ऊंकर गौरव - गाथा गाबो,
चलो झण्डा ला फहराबो.

धरती दाई ला अजाद करे बर
हाँसत झूल गिन फाँसी मा.
सब ला,किस्सा ऊंकर सुनाबो
चलो झण्डा ला फहराबो.

अंगरेजन के सहिन अतियाचार
लथपथ होइन भूख-पियासी मा
करबो सुरता अऊ सुरता कराबो
चलो झण्डा ला फहराबो.

खुशहाली अऊ भाईचारा,
संग गीत खुशी के गाबो.
अजादी के जशन मनाबो
चलो झण्डा ला फहराबो.

हर घर झण्डा,घर-घर झण्डा
तिरंगा के परचम लहराबो.
अजादी के अंजोर बगराबो.
चलो झण्डा ला फहराबो.

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अंगना म शिक्षा 3.0

रचनाकार- श्रीमती योगेश्वरी साहू, बलौदाबाजार

Angna

काकी अउ दाई के हाबे परीक्षा,
काबर कि आगे हे अंगना म शिक्षा.

सीता अउ गीता के बढ़िया हे इच्छा,
काकी अउ दाई दिही अंगना म शिक्षा.

टिकली लगवाही अउ चुरी गिनवाही,
नवा नवा गीत घलो हमला सिखाही.

आलू देखाही अउ भाटा देखाही,
नवा नवा जानिब के रंग बताही.

थारी देखाही अउ माली देखाही,
छोटे बड़े के भेद कराही.

खेलही हमर संग नवा- नवा खेल,
बनही दाई ह हमर संग रेल.

अंगना म शिक्षा 3.0 के बगरथ है अंजोर,
सबो लइका जुरमिल के सीखय घर,गली अउ खोर.

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