चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी–

CKAugust23

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

एक भारतीय किसान की कहानी

त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है किसान.वह जीवन भर मिट्‌टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है.तपती धूप,कड़ाके की ठंड तथा मूसलाधार बारिश भी उनकी इस साधना को तोड़ नहीं पाते.हमारे देश की लगभग सत्तर प्रतिशत आबादी आज भी गांवों में निवास करती है.जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है.एक कहावत है कि भारत की आत्मा किसान है.जो गांवों में निवास करते हैं.किसान हमें खाद्यान्न देने के अलावा भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी सहेज कर रखे हुए हैं.यही कारण है कि शहरों की अपेक्षा गांवों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता अधिक देखने को मिलती है.किसान की कृषि ही शक्ति है और यही उसकी भक्ति है.

समय अभाव के कारण उसकी आवश्यकतायें भी बहुत सीमित होती हैं.उसकी सबसे बड़ी आवश्यकता पानी है.यदि समय पर वर्षा नहीं होती है तो किसान उदास हो जाता है.लेकिन उसकी आस्था ईश्वर पर रहता हैं जिसके कारण वह सफलता प्राप्त करती है.इसी से संबंधित- बच्चों,आओ हम इस चित्र के माध्यम से मेहनत करने वाले 'एक भारतीय किसान श्यामलाल की कहानी'के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं.

एक छोटे से गांव में एक किसान रहता था.उसका नाम श्याम लाल था.श्याम लाल एक बहुत ही मेहनती और परिश्रमी किसान था.वह गांव के खेतों में दिन-रात अपने परिवार के साथ मेहनत करता और अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरी तरह से संतुष्ट करता था.

एक समय की बात है,गांव में कुछ वर्षों से वर्षा नहीं होने के कारण लगातार अकाल पड़ रहा था.जमीन सूख गई थी.बारिश नहीं होने की वजह से गांव के रहने वाले दूसरे सभी किसानों को अपनी खेती बाड़ी का कार्य छोड़कर अन्य जगह पलायन कर गए और कुछ किसान दूसरे कार्य में जुट गए.श्याम लाल को भी अपनी फसल के लिए चिंता होने लगी.लेकिन श्याम लाल डरने वाले किसान में से नहीं थे.वह जानता था कि मेहनत से किया हुआ काम कभी बेकार नहीं जाता है.उसे ईश्वर पर आस्था था कि इस वर्ष निश्चित ही बारिश होगी.जिसके वजह से वह दिन-रात अपने परिवार के साथ खेतों के कार्य में मेहनत करते रहते थे.श्याम लाल को कार्य करते देख दूसरे किसान उसे हँसते और मजाक उड़ाते रहे,पर ध्यान ना देते हुए श्यामलाल अपने लक्ष्य के प्रति सदा संकल्पबद्ध रहा.

कुछ समय बाद,बादल उमड़ आए और बारिश शुरू हो गई.श्याम लाल की खेती के पौधे जीवंत हो गए और उनकी फसल बढ़ने लगी वह खुशी से झूम उठा,क्योंकि उसका मेहनत और धैर्य उसे उनके सपनों की प्राप्ति तक पहुँचा रहे थे.पूरे परिवार साथ मिलकर फसल काटने का कार्य किया.फसल काटने के बाद, श्याम लाल ने अपनी परिवार के साथ आराम से खुशहाल जीने का आनंद लिया.उसकी मेहनत और परिश्रम ने उसे गर्व महसूस करवाया.वह गांव के बाकी किसानों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया.

आखिरकार, गांव की जनता ने उनकी मेहनत और समर्पण को मान्यता दी और उन्हें सम्मानित किया.श्याम लाल की कहानी ने गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरित करते रहे.

बच्चों इस कहानी से हमने यह सिखा कि किसान की भांति मेहनत,परिश्रम,त्याग और समर्पण हर व्यक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.यदि हम इन बातों को ध्यान में रखकर,ईश्वर पर भरोसा करके, कठिनाइयों का सामना करते हुए परिश्रम करें तो हमें हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी.

आस्था तंबोली, जांजगीर द्वारा भेजी गई कहानी

बरसात का मौसम था सभी किसान अपने खेतों में धान बोने की तैयारी कर रहे थे. चारों तरफ बरसात के मौसम में हरियाली ही हरियाली होती है. बरसात में जब किसान खेतों पर जाते हैं तो उन्हें यह ध्यान नहीं रहता कि वह किस समय काम कर रहे हैं.सुबह से शाम, ठंडी ,गर्मी ,बरसात हर समय काम में लगे रहते हैं. किसान हमारे लिए बहुत मेहनत करते हैं उनकी मेहनत के फलस्वरुप ही हमें पौष्टिक भोजन प्राप्त होता है.हमें किसानों की इस मेहनत को बेकार नहीं जाने देना चाहिए हमें अन्न का एक भी दाना फेंकना नहीं चाहिए.इन किसानों की वजह से ही हम विभिन्न प्रकार के त्यौहार मना पाते हैं.बच्चे हो या बूढ़े सभी खेतों में काम करते हैं बरसात के दिनों में धान के साथ-साथ बाड़ी में विभिन्न प्रकार की सब्जियां बोया एवं उसे बाजार तक ले जाने आदि का काम करते हैं.कुछ किसान तो खेतों में धान की बुवाई निदाई, कटाई ,रोपाई आदि का काम बड़े ही लगन एवं साहस के साथ करते हैं कितनी भी बारिश हो बिजली चमक रही हो फिर भी किसान मेहनत करना नहीं छोड़ते और उनके मेहनत का ही फल है कि हमारी धरती हरी-भरी एवं चारों तरफ से हरी भरी रहती है.

अगले अंक की कहानी हेतु चित्र

Sep23CK

अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर अगले माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे

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