पहेलियाँ
बाल पहेलियाँ
रचनाकार- डॉ० कमलेन्द्र कुमार, जालौन
- प्रथम हटे तो बनूँ 'समान',
नीला नीला रंग.
अंत हटे तो बनू 'आसमा',
हूँ प्रकृति के संग.
- मैं ईंधन हूँ अजब निराला,
काला काला रंग.
धरती माँ के रहूँ गर्भ में,
ज्वलनशील है अंग.
- स्वर्ग धरा का इसको कहते,
झेलम कल-कल बहती.
झट बतलाओ बच्चों प्यारे,
है अतीत को कहती.
- घर की मैं रखवाली करता,
घर-घर पाया जाता हूँ.
ताला मुझको समझ न लेना,
वफादार कहलाता हूँ.
उत्तर - 1-आसमान, 2-पत्थर कोयला , 3-कश्मीर पटरियां, 4-कुत्ता
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छत्तीसगढ़ी पहेली
रचनाकार- कन्हैया साहू 'अमित', भाटापारा
- दू आखर के हावय नाम, हरदम रहिथे सरद जुकाम.
काजग हावय मोर रुमाल, काम मोर हे गजब कमाल.
- रोवाना हे एखर काम, लाली बाई हावय नाम.
हरियर पहिरे लुगरा लाम, दू पइसा हे एखर दाम.
- हरियर हँव, पाना झन जान, करँव नकल, झन बंदर मान.
मिरचा खाथँव मैं हा पोठ, तपत कुरू के करथँव गोठ.
- हरियर पींयर हवै मकान, रहँय इहाँ करिया इंसान.
रहै रंधनीघर मा धाक, फागुन मा ये जाथे पाक.
- पाँव नहीं पर जाथे पार, खलबल-खलबल बड़ रफ्तार.
भागय सरपट पानी चीर, बिन पतवार हाल गंभीर.
- आगू-पाछू डोलय मोर, करय कभू नइ काँही शोर.
अँधियारी मा कहाँ लुकाय, देख अँजोरी तुरते आय.
- सबके घर रहिथँव बिन खाय, कोन्हों नइ पानी पीयाय.
करँय भरोसा सब संसार, महीं हरँव घर के रखवार.
- कुकरा नो हे, मुँड मा मौर, जंगल झाड़ी एखर ठौर.
नाचय बरखा बादर देख, सतरंगी हे, नाँव सरेख.
- करिया हे पर नो हे काग, लंबा हे पर नो हे नाग.
अँइठन हे पर नो हे डोर, झटपट संगी करलव शोर.
- खाथे येहा गोली गोल, डरथे जम्मों सुनके बोल.
दबथे घोड़ा भागय सोज, ठाठ हाथ मा, गोली खोज.
1-पेन, 2-मिरचा, 3-मिट्ठू, 4-सरसों, 5-डोंगा, 6-अपन छँइहाँ, 7-तारा (ताला), 8-मँजूर, 9-बेनी (चोटी,) 10-बंदूक
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ज्यामिति बाल पहेलियाँ
रचनाकार- गौरीशंकर वैश्य विनम्र, लखनऊ
- विषय कौन - सा आकृति वाला
समतल, दो या तीन आयामी
कोण, वृत्त, घन, वर्ग बोध की
गणित की शाखा है अति नामी
- वर्षा की बूँदें, ग्रह, तारे
चेरी, चीकू, प्याज, अनार
गोभी, टमाटर, काशीफल का
बोलो है कैसा आकार
- साँप, पैर, धड़, घीया, तरोई
तने वृक्ष के, सभी उँगलियाँ
बतलाओ आकार है कैसा
बैंगन, ककड़ी, मटर की फलियाँ
- अंडा, मछली, आम, पपीता
अनन्नास, अंगूर या दाल
इन आकृतियों को क्या कहते
उत्तर दे दो, सरल सवाल
- फ्रिज, कमरे, खिड़की, दरवाजे
बाक्स, मेज, बिस्तर, आलमारी
कंप्यूटर, टीवी, मोबाइल
कैसी हैं आकृतियाँ प्यारी
- दिखता लंबे वृत्त का जैसा
जिसके न कोई शीर्ष या रेखा
समतल, बंद आकृति होती
ज्यों मुर्गी का अंडा देखा
- दियासलाई, ईंट, डायरी
डिब्बे जैसा है आकार
छह फलक हैं, बारह किनारे
जिसकी भुजाएं आयताकार
उत्तर - 1 ज्यामिति 2 गोल 3 बेलनाकार 4 शंक्वाकार 5 चौकोर 6 अंडाकार 7 घनाकार
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बाल पहेलियाँ
रचनाकार- टीकेश्वर सिन्हा 'गब्दीवाला', बालोद
- सौरमंडल का एक ग्रह,
है सूर्य के सबसे पास.
बूझो... बूझो... बूझो,
बच्चों न होना हताश.
- सावन महीने का उपहार,
भाई-बहन का प्यार.
भाई की कलाई सजती,
कौन सा वह त्यौहार ?
- अगस्त माह पंद्रह तारीख,
दिवस वीरों की कुर्बानी.
मिली हमें अमोल सौगात,
जो है हर हिंदुस्तानी की.
- 'झंडा ऊँचा रहे हमारा',
एक सुंदर गीत न्यारा.
राष्ट्र का है जो गौरव गान,
लिखा किसने गीत प्यारा.
- पंछियों में ईश्वर भक्त,
करता तप सरोवर तट.
खड़ा रहता एक पैर से,
नाम बताओ झटपट.
उत्तर - (1) बुध (2) रक्षाबंधन (3) स्वतंत्रता दिवस
(4) श्री श्याम लाल गुप्त (5) बगुला
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