अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी–

बाज की उड़ान

AKOct23

एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया.

कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमें से एक था .

वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिट्टी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीं की तरह चूँ-चूँ करता .

बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोड़ा सा ही ऊपर उड़ पाता ,और पंख फड़-फड़ाते हुए नीचे आ जाता .

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बडे शान से बेधड़क आसमान की ऊंचाईयों को मापते हुए एक राजा की तरह उड़ान भर रहा था.

तब बच्चा बाज ने बाकी चूजों से पूछा-'इतनी ऊंचाईयों को छूने वाला वो शानदार पक्षी कौन हैं ?'

तब चूजों ने कहा- 'अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है,लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योकि तुम तो एक चूजे हो.'

वह थोड़ी देर के लिए चुप रहा, लेकिन उनके मन में हलचल होने लगी.बच्चा बाज ने मन ही मन सोचने लगा-मैं चूजा नहीं हूँ.मैं भी बाज का बच्चा हूँ.मैं बाज की तरह उड़ सकता हूँ.ऐसा सोच कर रोज उन्होंने उड़ने का अभ्यास करने लगा.साथी चूजे उसे उड़ते हुए देखकर उसकी हंसी उड़ाने लगता है लेकिन बाज उनकी बातों को ध्यान न देते हुए अपना कार्य में सतत अभ्यास करते रहता है.

एक दिन वह बच्चा बाज पुनः बाज को आकाश में राजा की तरह उड़ते हुए देखा.वह अपने आप को रोक नहीं सका और पूरी शक्ति के साथ आकाश में उड़ने की कोशिश करने लगा.जैसे-जैसे वह बाज आकाश में उड़ान भरता था.वैसे-वैसे बाज बच्चा भी आकाश में उड़ान भरने लगा.कुछ समय पश्चात स्वतंत्र रूप से वह बाज की तरह आकाश में उड़ने लगा.वह समझ गया कि मैं चूजा नहीं बाज का ही बच्चा हूँ.अपनी उड़ान भरने के बाद पुनः साथी चूज़े के पास आया और उनसे कहा- मैं चूजा नहीं बाज का बच्चा हूँ. हाँ भाई! तुम ठीक बोल रहे हो हमने भी आपका उड़ान देखा है.आप वास्तव में बाज के ही बच्चे हो.आपने सतत अभ्यास एवं लगन से उड़ने का अभ्यास किया. जिसके फलस्वरूप राजा बाज की तरह आसमान में उड़ सके.

बच्चों इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि-बच्चा बाज की तरह अपने हौसलों को बुलंद रखना चाहिए.सतत अभ्यास के द्वारा कठिनाइयों को दूर कर,सफलता प्राप्त किया जा सकता है.

कहा गया है कि -

मंजिल उन्हीं को मिलती है,

जिनकी सपनों में जान होती है.

पंखों से कुछ नहीं होता,

हौसलों से उड़ान होती है.

अनन्या तंबोली, जांजगीर द्वारा भेजी गई कहानी

जब बाकी चूंजों की तरह बाज का बच्चा भी बस थोड़ा सा ही उड़ पाता और पंख फड़फड़ाते हुए नीचे आ जाता तो उसे लगता था कि मैं ज्यादा ऊपर नहीं उड़ पाऊंगा. लेकिन उसने एक दिन अपने जैसे पक्षी को आसमान में उड़ते देखा तो वह अपनी मां से जाकर पूछा मां हम आसमान में क्यों नहीं उड़ पाते तब मां ने जवाब दिया.भगवान ने हर पक्षी को अलग-अलग बनाया है उन्होंने हमें थोड़ा ही उड़ने वाला पक्षी बनाया है हम जमीन पर ही रहते हैं वह मान गया और बाकी चूंजों के पास खेलने के लिए चला गया. अगले दिन जब मुर्गी अपने बच्चों के लिए दान ढूंढने गई उस वक्त वह छोटा बाज आसमान में उड़ रहे अपने सामान पक्षी को पुनः देखने के लिए गया.जब वह गया तो इस बार आसमान से एक बाज़ नीचे जमीन पर आया उसने देखा यह बाज का बच्चा जमीन से ऊपर उड़ने की कोशिश कर रहा है लेकिन थोड़ा ही उड़ने के बाद फिर नीचे आ जा रहा है. तब उसने उस बाज के बच्चे से पूछा तुम इतनी ही ऊंचाई पर उड़कर पुनः नीचे क्यों आ जा रहे हो बाज के बच्चे ने ठीक वैसा ही जवाब दिया जैसा की मुर्गी ने बताया था की हर पक्षी अलग-अलग होते हैं और मैं इतना ही उड़ सकता हूं मैं आसमान में नहीं उड़ सकता. लेकिन तुम तो मेरी तरह ही दिखती हो तुम इतने ऊंचे आसमान में कैसे उड़ लेती हो उसने कहा.तब बाज ने जवाब दिया तुम भी ऐसा कर सकते हो चाहो तो मैं तुम्हें उड़ना सिखा दूं. बाज का बच्चा उड़ना चाहता था इसलिए वह बहुत खुश हुआ और बोला ठीक है उस दिन से बाज उसे उड़ना सिखाने लगा जैसे-जैसे वह उड़ना सीखने लगा उसके पंख फड़फड़ाने लगे और अधिक ऊंचाई तक जाने लगा वह बहुत खुश हो रहा था. एक दिन ऐसा आया जब वह ऊंचे आसमान में स्वतंत्र रूप से आसानी से उड़ रहा था.

प्रिया राजपूत, कक्षा-आठवीं, शाला-शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय ककेड़ी, जिला मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

धीरे-धीरे समय गुजरता गया.एक दिन बच्चा बाज ने खुले आकाश में उड़ते हुए दूसरे बाज को देखकर,चूजों से कहा-देखो तो बाज बड़े शान से आसमान में उड़ रहा है.मेरी इच्छा है कि मैं भी इस बाज की तरह आकाश में उड़ना चाहता हूँ.ऐसा कहकर वह मन ही मन मुस्कुराने लगा.थोड़ी देर पश्चात बाज की तरह उड़ने के लिए अभ्यास करने लगा.वह बच्चा बाज,बार-बार उड़ता,कुछ दुर उड़ने के बाद,पेड़ की डाल पर जाकर बैठ जाता.दिन भर यह कार्य चलता रहा.उसे देखकर चूजें ने बच्चा बाज को हंसते हुए कहा-'तुम उस डाल पर बैठना बंद करोगे,तभी उस बाज की तरह उड़ सकते हो.'बच्चा बाज ने कहा-हाँ भाई!मैं जब भी उड़ने की कोशिश करता हूँ.मुझे वह पेड़ की डाल ही नजर आती है.जिसकी वजह से मैं लंबी उड़ान भर नहीं सकता.

वे दोनों की बातें पेड़ के नीचे बैठे किसान सुन रहा था.वह समझ गया कि जब तक यह डाल रहेगा,तब तक वह बच्चा बाज उड़ नहीं सकता.उन्होंने कुल्हाड़ी उठाई और उस डाल को काट दिया.

थोड़ी देर पश्चात बच्चा बाज ने पुनः पूरी हिम्मत के साथ आसमान में उड़ते-उड़ते उस डाल के पास पहुँच गया,जहाँ वह बैठते थे.लेकिन वह डाल कट जाने के कारण वहाँ बैठ नहीं पाया और वह आगे आकाश की ओर बढ़ते गया.उन्होंने देखा कि बाज आसमान में फिर से उड़ान भर रहा है.जैसे-जैसे बाज आसमान में उड़ रहा था.वैसे-वैसे बच्चा बाज भी आसमान में उड़ान भरने लगा.अब बच्चा बाज भी राजा की तरह की उड़ान भरने लगा.कुछ समय आकाश में उड़ने के पश्चात नीचे चूजों के पास आया कहा-मैं भी अब आकाश में उड़ सकता हूँ.हाँ भाई!आप राजा बाज की तरह उड़ान भर रहे थे.आपको उड़ने से रोकने वाला वह डाल ही था,जिसके वजह से आसमान में नहीं उड़ पा रहे थे.

साथियों इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि बच्चा बाज,उस डाल पर बैठने का आदी हो गया था.जिसके कारण उड़ नहीं सकता था.इसी प्रकार हम लोग जो भी कार्य करते हैं.उनमें नकारात्मक या अनावश्यक बातें आ जाती है और अपनी आदत से मजबूत भी हो जाते हैं,जो ऊंची उड़ान भरने में रूकावट पैदा करती है.जिसके कारण हम लोग अपने कार्य में असफल हो जाते हैं.हमें उन अनावश्यक बातों को ध्यान न देते हुए,अपने कार्य को निरंतर करते रहना चाहिए जिससे कि हम अपने कार्य में सफल हो जायें.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

किसान और दो घड़ों की कहानी

AK_Nov23

एक गाँव में एक किसान रहता था.

वह रोज सुबह-सुबह उठकर दूर झरनें से साफ पानी लेने जाया करता था.

इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाया करता था. जिन्हें वह एक डण्डे में बाँधकर अपने कन्धे पर दोनों तरफ लटका कर लाया करता था.

उनमें से एक घड़ा कहीं से थोड़ा-सा फूटा था और दूसरा एकदम सही. इसी वजह से रोज़ घर पहुँचते-पहुँचते किसान के पास डेढ़ घड़ा ही पानी बच पाता था.

ऐसा होना नई बात नहीं थी इसको दो साल बीत चुके थे.

सही घड़े को इस बात का बहुत घमण्ड था, उसे लगता था कि वह पूरा का पूरा पानी घर पहुँचता है और उसके अन्दर कोई भी कमी नहीं है. वहीं दूसरी तरफ फूटा हुआ घड़ा इस बात से बहुत शर्मिंदा रहता था कि वह आधा पानी ही घर पहुँचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है.

इसके आगे क्या हुआ होगा? इस कहानी को पूरा कीजिए और इस माह की पंद्रह तारीख तक हमें kilolmagazine@gmail.com पर भेज दीजिए.

चुनी गई कहानी हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

Visitor No. : 6794936
Site Developed and Hosted by Alok Shukla