चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी–

CKOct23

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

हमारा परिवार संयुक्त परिवार

परिवार एक ऐसी सामाजिक संस्था है,जो आपसी सहयोग व समन्वय से क्रियान्वित होती है और जिसके समस्त सदस्य आपस में मिलकर अपना जीवन प्रेम,स्नेह एवं भाईचारे से निर्वाह करते हैं.संस्कार,मर्यादा,सम्मान, समर्पण,आदर,अनुशासन आदि किसी भी सुखी-संपन्न एवं खुशहाल परिवार के गुण होते हैं.कोई भी व्यक्ति परिवार में ही जन्म लेता है,उसी से उसकी पहचान होती है और परिवार से ही अच्छे-बुरे लक्षण सीखता है.परिवार सभी लोगों को जोड़े रखता है और दुख-सुख में सभी एक-दूसरे का साथ देते हैं.

‌ ‌कहते हैं कि परिवार से बड़ा कोई धन नहीं, पिता से बड़ा कोई सलाहकार नहीं,माँ के आंचल से बड़ी कोई दुनिया नहीं, भाई से अच्छा कोई भागीदार नहीं, बहन से बड़ा कोई शुभचिंतक नहीं होता,इसलिए परिवार के बिना जीवन की कल्पना करना ही कठिन है.एक अच्छा परिवार बच्चे के चरित्र निर्माण से लेकर व्यक्ति की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.परिवार-एकल परिवार हो या संयुक्त परिवार हो.अपनी अपनी विशेषताएं होती है.आज हम'हमारा परिवार संयुक्त परिवार' को कहानी के माध्यम से समझते हैं.--

मीरा की शादी एक भरे पूरे घर में हुई थी,सास ससुर,जेठ जेठानी और एक छोटा देवर.'मीरा के ससुराल में सबमे बेहद स्नेह और प्रेम था.सभी एक दूसरे का आदर करते थे.

‌ एकल परिवार में जन्मी और अपनी माता-पिता की इकलौती संतान मीरा को हमेशा ही संयुक्त परिवार आकर्षित करते थे और उसकी इस इच्छा को जान कर ही उसके पिता ने इस परिवार से रिश्ता जोड़ा था.मीरा भी अपने ससुराल में बेहद खुश थी.

‌ मीरा शादी से पहले जॉब के लिए फॉर्म भरी थी.कुछ महीनों बाद मीरा को ऑफिस में ज्वाइन करने का कॉल आने लगा तो मीरा ने अपनी जेठानी से कहा,'भाभी मेरे ऑफिस से ज्वाइन करने का कॉल आ रहा है, क्या जवाब दूँ?

तब जेठानी ने कहा-'ये तो बहुत अच्छी बात है.कल मैं और माँ जी यही तो बात कर रहे थे की तुम्हें अब ऑफिस ज्वाइन कर लेना चाहिये।'

तब मीरा ने कहा-'वो तो ठीक है भाभी लेकिन अब इस घर की जिम्मेदारी मेरी भी है सब कुछ आप पे अकेली छोड़ मैं कैसे जाऊँ.'

ऐसे क्यों सोच रही हो मीरा घर के कामों का क्या है?वो तो पहले भी होते थे और आगे भी हो जायेंगे लेकिन इतनी पढ़ाई करने के बाद तुम्हारा यूं घर पे बैठना उचित नहीं तुम आराम से जाओ यहाँ माँ जी और मैं है ना,सब संभल जायेगा।'अपनी जेठानी की बातें सुन मीरा के दिल में उनके लिये मान सम्मान दुगना हो गया.

अब मीरा हर सुबह नाश्ते में अपनी जेठानी की मदद कर ऑफिस निकल जाती और शाम को भी वापस आ खाना बनाने में मदद कर देती.मीरा के ससुराल में खाना सब साथ ही खाते थे.अगर कभी किसी दिन मीरा को देर भी होती तो सब उसका इंतजार करते, ऐसा प्यारा परिवार पाकर मीरा बेहद ख़ुश थी.

सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था इतने में मीरा के मायके में उसके चाचा जी के बेटे की शादी की ख़बर आयी.मीरा की शादी के बाद उसके मायके की पहली शादी थी तो मीरा बेहद उत्साह से तैयारी कर रही थी.चाचा जी भी मीरा के पापा के साथ उसके ससुराल आ सबको विवाह में शामिल होने का स्नेह भरा निमंत्रण दे गए थे.

मीरा ने कहा-'माँ जी, भाभी आप सब का इंतजार रहेगा मुझे, आप जल्दी आना शादी में।'

'हाँ-हाँ,मीरा हम सब आयेंगे और तुम भी मायके जा खुब मज़े करना',जेठानी की बातें सुन मीरा ख़ुश हो गई।'

अगले दिन मीरा के चाचा जी आकर मीरा को ले गए.इतने दिनों बाद सबका साथ पा मीरा बहुत ख़ुश थी.वहाँ जाते माँ के गले लग गई,'कैसी हो माँ?'

मैं तो तुझे देखकर ही खुश हो गई,तू बता मीरा खुश है ना बेटा?' माँ ने अपनी लाडो को प्यार से गले लगाते हुए पूछा।

हाँ माँ मैं बहुत ख़ुश हूँ.अभी मीरा अपनी माँ से बातें कर ही रही थी. कि तभी मीरा की मुंहफट और तेज़तर्रार बुआ वहाँ आ गई और उसका हाथ पकड़ अंदर रूम में ले गई वहाँ सारे भाई बहन बुआ, चाची सब मीरा को घेर कर बैठ गये बस फिर क्या था मीरा की बुआ ने मीरा को कुरेद उसके ससुराल की बातें करनी शुरु कर दिया. उसने पूछने लगा-'बता मीरा तेरे ससुराल का हाल.तेरी सास का स्वभाव कैसा है? और वो तेरी जेठानी तेरे साथ अच्छे से तो रहती है ना? मुझे तो तेरी जेठानी बहुत घमंडी लगी.'

तभी मीरा ने कहा-'हाँ बुआ!सब बहुत अच्छे है और मुझे बहुत प्यार भी करते है.' मीरा को अपनी बुआ का यूं सबके सामने पूछना बिलकुल अच्छा नहीं लगा क्योंकि अपनी बुआ के स्वभाव से मीरा भलीभांति परिचित थी.

मीरा की बुआ बहुत ही तेज़ स्वभाव की महिला थी.जो खुद अपने ससुराल में कभी एडजस्ट नहीं कर पायी और अपने पति को भी उनके परिवार से दूर कर दिया था.'

बुआ की मंशा जानते हुए भी मीरा ने उस वक़्त ज्यादा कुछ कहना उचित ना समझ उन्हें शांति से ही जवाब दिया.लेकिन बुआ कहाँ मानने वाली थी वो वापस शुरु हो गई....'चल मीरा अब ज्यादा झूठ ना बोल.क्या मैं जानती नहीं...' संयुक्त परिवार का मतलब ही जी का जंजाल होता है' ना मन का खा पाओ,ना मन का कुछ कर पाओ.हर वक़्त सब सिर पे बैठे रहते है.ऐसे जेल से तो अकेला रहना ही भला है.अब मुझे देखो अकेली मज़े से रहती हूँ और जब जो जी करता है करती हूँ.जाने भैया को क्या सूझी तेरे जैसी पढ़ी लिखी लड़की की इतने बड़े परिवार में शादी कर दी.आजाद लड़की के जैसे बेड़ियाँ ही डाल दी पैरों में.इतना कह बुआ हँसने लगी.'

मीरा को बहुत बुरा लगा अपने ससुराल की बुराई सुन और अब उसने बुआ को जवाब देने की ठान ली.

उन्होंने कहा'आप ऐसा इसलिए बोल रही है बुआ क्योंकि आप संयुक्त परिवार में कभी रही ही नहीं.या यूं कहो रहना चाहा ही नहीं संयुक्त परिवार में.'

'माफ़ करना बुआ संयुक्त परिवार तो आशीर्वाद के समान होता है. जहाँ हर वक़्त बड़ों का आशीष मिलता है तो छोटों का प्रेम और सम्मान भी मिलता है.कोई तकलीफ हो या कोई दुःख पूरा परिवार चट्टान की तरह मेरे सामने खड़ा रहता है.क्या अकेली रहती तो मैं नौकरी कर पाती?जब तक बच्चे नहीं है तक तक तो शायद कर भी लेती लेकिन बच्चे होने के बाद तो बिलकुल भी नहीं कर सकती थी.मेरी नौकरी पे जाने से वहाँ कोई मुँह नहीं बनाता उल्टा मेरी जेठानी जो आपको घमंडी लगती है उन्होंने बिना चेहरे पे शिकन लाये मेरे हिस्से के काम भी अपने नाम कर लिया ताकि मैं नौकरी कर सकूँ.और हाँ बुआ हमारे घर में किसी बात की रोक नहीं,ना खाने की और ना ही पहनने की.हम अपने ससुराल में बहुएँ नहीं बेटियों के सामान ही रहते है.मेरा ससुराल जेल नहीं मंदिर है बुआ.'

काश बुआ, आपने भी इस आशीर्वाद को स्वीकार किया होता. तब आप समझते संयुक्त परिवार कभी श्राप नहीं होता बल्कि रिश्तों का आधार होता है.'

बुआ के पास एक शब्द नहीं था कहने को और वहाँ मौजूद सभी ने मीरा की बातों का समर्थन किया.दरवाजे के पास खड़ी मीरा की माँ के चेहरे पे सुकून भरी मुस्कान तैर गई उनकी बिटिया को उनसे भी ज्यादा प्यार करने वाला ससुराल जो मिल गया था.

कहानी का सार यही है की संयुक्त परिवार में शायद बहुत आजादी ना मिले लेकिन बल बहुत मिलता है.हर मुसीबत में पूरा परिवार साथ खड़ा रहता है.बच्चों को जो संस्कार अपने बुजुर्गो से मिलता है वो एकल परिवार में संभव नहीं !

आस्था तंबोली, जांजगीर द्वारा भेजी गई कहानी

जब बाकी चूंजों की तरह बाज का बच्चा भी बस थोड़ा सा ही उड़ पाता और पंख फड़फड़ाते हुए नीचे आ जाता तो उसे लगता था कि मैं ज्यादा ऊपर नहीं उड़ पाऊंगा. लेकिन उसने एक दिन अपने जैसे पक्षी को आसमान में उड़ते देखा तो वह अपनी मां से जाकर पूछा मां हम आसमान में क्यों नहीं उड़ पाते तब मां ने जवाब दिया.भगवान ने हर पक्षी को अलग-अलग बनाया है उन्होंने हमें थोड़ा ही उड़ने वाला पक्षी बनाया है हम जमीन पर ही रहते हैं वह मान गया और बाकी चूंजों के पास खेलने के लिए चला गया. अगले दिन जब मुर्गी अपने बच्चों के लिए दान ढूंढने गई उस वक्त वह छोटा बाज आसमान में उड़ रहे अपने सामान पक्षी को पुनः देखने के लिए गया.जब वह गया तो इस बार आसमान से एक बाज़ नीचे जमीन पर आया उसने देखा यह बाज का बच्चा जमीन से ऊपर उड़ने की कोशिश कर रहा है लेकिन थोड़ा ही उड़ने के बाद फिर नीचे आ जा रहा है. तब उसने उस बाज के बच्चे से पूछा तुम इतनी ही ऊंचाई पर उड़कर पुनः नीचे क्यों आ जा रहे हो बाज के बच्चे ने ठीक वैसा ही जवाब दिया जैसा की मुर्गी ने बताया था की हर पक्षी अलग-अलग होते हैं और मैं इतना ही उड़ सकता हूं मैं आसमान में नहीं उड़ सकता. लेकिन तुम तो मेरी तरह ही दिखती हो तुम इतने ऊंचे आसमान में कैसे उड़ लेती हो उसने कहा.तब बाज ने जवाब दिया तुम भी ऐसा कर सकते हो चाहो तो मैं तुम्हें उड़ना सिखा दूं. बाज का बच्चा उड़ना चाहता था इसलिए वह बहुत खुश हुआ और बोला ठीक है उस दिन से बाज उसे उड़ना सिखाने लगा जैसे-जैसे वह उड़ना सीखने लगा उसके पंख फड़फड़ाने लगे और अधिक ऊंचाई तक जाने लगा वह बहुत खुश हो रहा था. एक दिन ऐसा आया जब वह ऊंचे आसमान में स्वतंत्र रूप से आसानी से उड़ रहा था.

माही बंजारे, कक्षा-आठवीं, शाला-शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय ककेड़ी, जिला-मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

मेरा परिवार

एक गांव में राम और श्याम नाम के दो भाई रहते हैं.उसका परिवार संयुक्त परिवार है.राम के पत्नी का नाम गीता एवं श्याम के पत्नी का नाम रीता है.दोनों के तीन-तीन बच्चे हैं.राम और श्याम का हृदय अत्यंत उदार हैं तो उसकी पत्नी गीता और रीता का स्वभाव अति मधुर हैं.

राम और श्याम दोनों भाई योग्य किसान है.वह सदैव खेती का कार्य करके परिवार चलाते हैं.वे अपनी जमीन पर परिश्रम करके पर्याप्त मात्रा में अनाज,सब्जी,फल उगाते हैं. उसके घर में एक सुंदर सी एक गाय हैं.जो पर्याप्त मात्रा में दूध देती है.साथ में अपनी आय बढ़ाने के लिए मुर्गी पालन भी करते हैं. गीता और रीता रीता अच्छे ढंग से घर को संभालती है.घर का पूरा काम दोनों मिलकर करते हैं.दोनों भाई अपने-अपने पत्नी का बहुत सम्मान करते हैं.इस प्रकार से वह आपसी प्रेम व सौहार्दपूर्ण ढंग से अपना जीवन गुजारते हैं.

एक दिन राम और श्याम आपस में बैठकर बातचीत कर रहे थे.तभी खेलते हुए बच्चों को देखकर दोनों उदास हो जाते हैं क्योंकि बच्चे पढ़ने योग्य हो गए हैं.लेकिन गांव में स्कूल नहीं होने के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.बच्चे दिन भर खेलने व घूमने में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं. उन दोनों की बातों को सुनकर राम की पत्नी गीता कहती है.आप लोगों की इच्छा हो तो मैं बच्चों को पढ़ाऊॅ॑गी क्योंकि मैं पढ़ी लिखी हूँ. डी.एड.भी की हूँ. मुझे पढ़ाने का अनुभव भी है. अगर आप सब लोग चाहेंगे तो पूरे गाँव के बच्चों को इकट्ठा करके, एक जगह पढ़ा सकते हैं.तभी श्याम की पत्नी रीता कहती है.तुम ठीक कह रही हो दीदी;मैं घर को संभाल लूंगी,आप बच्चों को पढ़ायें.दोनों की बातों को सुनकर राम और श्याम का चिंता दूर हो जाता है.राम गाँव की मुखिया को बुलाकर स्कूल खोलने का प्रस्ताव उच्च कार्यालय को प्रेषित करते हैं. इधर गीता सभी बच्चों को एक जगह इकट्ठा कर मन लगाकर पढ़ाते हैं.उनके कार्य और लगन को देखकर कुछ दिन पश्चात,सरकार के द्वारा शाला भवन का निर्माण होता है. जिसमें गीता को शिक्षिका के पद पर नियुक्त करते हैं.इस तरह गीता के प्रयास से पूरे गाँव के बच्चों को पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.गीता,रीता को धन्यवाद दिया.जिसके के सहयोग से बच्चों को पढ़ाने का कार्य सफल हुआ.

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CKNov23

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