अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी–

किसान और दो घड़ों की कहानी

AK_Nov23

एक गाँव में एक किसान रहता था.

वह रोज सुबह-सुबह उठकर दूर झरनें से साफ पानी लेने जाया करता था.

इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाया करता था. जिन्हें वह एक डण्डे में बाँधकर अपने कन्धे पर दोनों तरफ लटका कर लाया करता था.

उनमें से एक घड़ा कहीं से थोड़ा-सा फूटा था और दूसरा एकदम सही. इसी वजह से रोज़ घर पहुँचते-पहुँचते किसान के पास डेढ़ घड़ा ही पानी बच पाता था.

ऐसा होना नई बात नहीं थी इसको दो साल बीत चुके थे.

सही घड़े को इस बात का बहुत घमण्ड था, उसे लगता था कि वह पूरा का पूरा पानी घर पहुँचता है और उसके अन्दर कोई भी कमी नहीं है. वहीं दूसरी तरफ फूटा हुआ घड़ा इस बात से बहुत शर्मिंदा रहता था कि वह आधा पानी ही घर पहुँचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है.

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

फूटा हुआ घड़ा ये सोचकर बहुत परेशान रहने लगा कि किसान के घर आधा घड़ा पानी ही पहुँचा पाता हूँ.वह दु:खी होते हुए एक दिन उसने किसान से कहा-'मैं अपने आप पर शर्मिंदा हूँ और आपसे माफी मांगना चाहता हूँ '

किसान ने फूटे हुए घड़े से पूछा -'तुम किस बात के लिए शर्मिंदा हो ?'तब फूटे हुए घड़े ने कहा - 'शायद आप जानते नहीं हो?मैं एक फूटा हुआ घड़ा हूँ.पिछले दो सालों से जितना पानी मेरे द्वारा घर में पहुँचाना चाहिए.मैं उससे आधा पानी ही पहुँचा पा रहा हूँ, यही मेरे अंदर सबसे बड़ी कमी है और मैं आपकी मेहनत को बर्बाद कर दे रहा हूँ.

किसान को घड़े की बात को सुनकर बहुत दु:ख हुआ और उसने फूटे हुए घड़े से कहा -'कोई बात नहीं है,मैं चाहता हूँ की तुम रास्ते में पड़ने वाले पेड़-पौधों एवं झाड़ियों को देखा करो.'

फूटे हुए घड़े ने ऐसा ही किया.सारे रास्ते में उसने सुंदर छोटे-छोटे पौधों में फूल लगे हुए तथा हरे-भरे पेड़ एवं झाड़ियों को देखा लेकिन वह सोचने लगा कि किसान,मुझे इसे देखने के लिए क्यों कहा समझ में नहीं आया.

उसके उदासीपन को देखकर,किसान ने फूटे हुए घड़े से कहा-'शायद तुमने ध्यान नहीं दिया है.रास्ते मे सुंदर छोटे-छोटे पौधों,हरे-भरे पेड़ एवं झाड़ियां सभी तुम्हारी तरफ ही थे.अच्छे वाले घड़े की तरफ एक भी पेड़-पौधे एवं झाड़ियाँ नहीं था क्योंकि मैं तुम्हारे अंदर की कमी को पहले से ही जानता था.इसलिए मैंने उसका लाभ उठाया और मैंने तुम्हारे तरफ के रास्ते मे फूल एवं पेड़ के बीजों को बो दिया था.फूटे होने के कारण तुम रोज थोड़ा-थोड़ा पानी देकर उनको सींचते रहते थे.जिसके फलस्वरूप रास्ता,फूलों से सुगंधित एवं हरे-भरे पत्तियों की शीतल हवा से राहगीर आनंदित होते हैं.अगर तुम फूटे ना होते तो क्या ऐसा संभव हो पाता ? किसान की बातों को सुनकर फूटा घड़ा खुश हुआ.सही घड़े को पूरा का पूरा पानी घर पहुँचाने का एवं उसके अंदर कोई भी कमी नहीं होने का घमंड था वह दूर हुआ.

बच्चों हम सभी लोगों के अंदर एक ना एक कमी जरूर होती है, लेकिन यही कमियाँ हमें अनोखा बनाती हैं.उस किसान की तरह हमें भी जो जैसा है,उसे वैसा ही स्वीकार करना चाहिए.केवल किसी की अच्छाई की तरफ नहीं देखना चाहिए और जब आप ऐसा करेंगे तो फूटा हुआ घड़ा भी एक अच्छे घड़े से कीमती घड़ा बन जाएगा.

श्रीमती योगेश्वरी साहू, बलौदाबाजार द्वारा भेजी गई कहानी

एक दिन सुबह की बात है जब किसान झरने की ओर जाने के लिए निकला तो रास्ते में सही घड़े ने घमंड से फूटे घड़े को कहा-- क्यों भाई तुम्हें बिल्कुल भी शर्म नहीं आती की किसान कितनी मेहनत से पानी लाता है ,और तुम्हारे कारण वह केवल आधे घड़ी पानी को ही पाता है. तुम फूटे हुए हो तुम्हारा तो कोई मोल नहीं है. तुम किसान‌ की मेहनत को बर्बाद कर रहे हो. मुझे देखो मुझे एक भी बूंद पानी बर्बाद नहीं होता है.

फूटा घड़ा, सही घड़े की बात सुनकर रोने और सुबकने लगा .उसने निराशा से कहा-- मैं क्या करूं भाई ......तुम बात तो बिल्कुल सही कर रहे हो ! मेरी कमी के कारण किसान की मेहनत व्यर्थ हो रही है. सही घड़ा गर्व से मुस्कुराने लगा . वह अपने सही होने पर घमंड करने लगा.

लेकिन किसान चुपचाप दोनों घड़ो की बात सुन रहा था. उसने फूट घड़े से कहा-- फूटे घड़े चुप हो जाओ! और मेरी बात ध्यान से सुनो इस रास्ते में खिले फूलों को देखो ? दोनों घड़ो ने रास्ते की ओर ध्यान से देखा और बोले इसके एक तरफ तो बहुत सुंदर फूल खिले हैं ,जबकि दूसरा तरफ बिल्कुल खाली है. किसान ने कहा-- यह सब तुम्हारे मेहनत का नतीजा है जो तुम्हारा थोड़ा-थोड़ा पानी गिरता था.मैंने वही बीज छिड़क दिए थे.जो अब फूलों के सुंदर पौधे बन गए हैं. दूसरी तरफ कुछ भी नहीं हुआ.

यह सब तुम्हारी छोटी सी कमी के कारण हुआ क्योंकि तुम्हारा पानी इधर गिरते जाता था तुम्हारी कमी के कारण यह वीरान जगह में कितने फूल खिल गए देखो.

मुझे तुम पर बहुत गर्व है किसान की बात सुनकर सही घड़े की आंखों में शर्म से नीची हो गई.

किसान ने सही खड़े को कहा हमेशा दूसरों की कमी को ना देखो. कभी उन कमियों से होने वाले फायदे को भी देखो. सबका अपना-अपना हुनर होता है.

यह सब सुनकर फूटा हुआ घड़ा बहुत ही खुश हो गया.

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपने शारीरिक कमजोरीयों के बावजूद हमे अपना काम पूरी ईमानदारी से करना चाहिए.

आयुषी साक्षी साहू धमतरी द्वारा भेजी गई कहानी

एक दिन फूटा घड़ा सोचा कि मेरे से पानी का रिसाव अत्यधिक होता है. किसान से कह कर मुझे फेंकने बोल देता हूं. वह किसान आश्चर्यचकित होकर कहता है कि तुम अपने आप को फूटा घड़ा क्यों कहते हो?तब घड़े ने कहा-मैं फूटा हुआ हूं , तो तुम मुझ पर पानी क्यों भरते हो और अपनी मेहनत को क्यों खराब करते हो. मेरी मानो तो तुम मुझे फेंक दो, तब किसान उससे कहता है, नहीं घड़ा तुम उदास मत हो क्योंकि जब मैं पानी लेकर रास्ते से गुजरता हूं तो तुम्हारे रिसाव होने से जो पानी जमीन पर गिरता है उससे सूखे पेड़ पौधों को पानी मिल जाता है तुम तो महान हो.

सीख -- हमें अपनी कमियों पर निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि हर किसी में कोई न कोई अद्वितीय गुण जरूर होता हैं.

श्रीमती शीला गुरु गोस्वामी, रायपुर द्वारा भेजी गई कहानी

दिन बीतते गए. जो मटका साबूतथा, उसका घमंड दिन दूनी न रात चौगुन बढ़ते ही जा रहा था और वैसे ही उस टूटे हुए मटके की जो महत्वाकांक्षा या जो उसका स्वाभिमान था ,नीचे गिरते जा रहा था. एक दिन की बात है तालाब से घर तक का रास्ता मिट्टी का था कच्चा रास्ता था. तालाब में विसर्जित करने ले जाते समय गेंदे के फूलों के कुछ टुकड़े किनारे पर बिखर गए थे.जब मटके का पानी रिसने लगा तो उन् बीजों पर वह पढ़ने लगा.यह क्रम लगातार चल रहा था.धीरे से उन बीजों में अंकुरण हुआ.फिर वह छोटे-छोटे पौधे के रूप में बढ़ने लगे. कुछ दिनों बाद गेंदे का सुंदर सा पौधा तैयार होने लगा. उसके बाद उन पौधों में फूल भी लगने लगे. पहले कलियां निकली, उसके बाद पीले पीले सुंदर फूल उसमे खिलने लगे. तालाब से घर तक का रास्ता फुल की क्यारी जैसा बन गया और बूंद बूंद पानी उसमें पढ़ने लगता और जितना पानी चाहिए था ,उतना पानी पौधों को मिलने लगता.जो भी उसे रास्ते को देखता, वो बड़ा प्रसन्न हो जाता और किसान को बोलते की तुमने बहुत अच्छा काम किया है. गांव से तालाब तक का रास्ता कितनी सुंदर फूलों से भर गया है. प्रकृति कितनी सुंदर लगती है किसान मुस्कुरा देता और बड़े प्यार से टूटे हुए घड़े को हाथ से छूता. धीरे-धीरे यह सारी बातें सुनते सुनते घडे को अच्छा लगने लगा उसे लगा कि टूटा होना भी उसका सौभाग्य बन गया.हमें इस चीज पर ध्यान नहीं देना चाहिए कि हममे क्या कमी है हम अपनी कमी से भी कुछ बढ़ी हुई चीज प्राप्त कर सकते हैं.दूसरों को भी हम खुशी दे सकते हैं और यह सोचकर वह मुस्कुराने लगा उधर जो घड़ा साबूतथा वह रोज-रोज सुन सुन के सुन सुन के उसका पूरा दिमाग खोलने लगता है उसको क्रोध आता है उसको लगता है मैं साबूत. हूं पूरा-पूरा पानी घर में दे रहा हूं फिर भी लोग मेरे से ज्यादा इस टूटे घडे की तारीफ करते हैं.एक दिन भरा हुआ घड़ा कुछ इतना ज्यादा तिल मिलाया कि वह तिलमिला कर कंधे से गिर गया और गिरकर वह चूर-चूर हो गया. जो टूटा हुआ घड़ा था, उसको बहुत दुख हुआ क्योंकि वह उसका साथीं था. लेकिन किस ने कहा जो ज्यादा भर जाता है चाहे घमंड से हो या अभिमान से हो वह गिरकर चूर हो जाता है इससे अच्छा तो मेरा यह टूटा हुआ घड़ा था जिसने गांव के रास्तों को चमन बना दिया बच्चों इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें किसी भी व्यक्ति की या अपनी कमी को नजर अंदाज करना चाहिए क्योंकि क्या पता हमारी कमी से कुछ खुशी के फूल ही खील जाए.

कुमारी संगीता, कक्षा-आठवीं, शाला-शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय ककेड़ी, विकासखण्ड-पथरिया, जिला-मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

सही घड़े की बात को सुनकर फूटा हुआ घड़ा बहुत परेशान होने लगा.वह दु:खी होते हुए एक दिन उसने किसान से कहा-'मैं अपने आप पर बहुत शर्मिंदा हूँ और आपसे माफी मांगता हूँ.'

किसान ने फूटे हुए घड़े से पूछा - तुम किस बात के लिए शर्मिंदा हो ?तब फूटे हुए घड़े ने कहा -'मैं एक फूटा हुआ घड़ा हूँ.पिछले दो सालों से जितना पानी मेरे द्वारा घर में पहुँचाना चाहिए.मैं उससे आधा पानी ही पहुँचा पा रहा हूँ, यही मेरे अंदर सबसे बड़ी कमी हैऔर मैं आपकी मेहनत को बर्बाद कर दे रहा हूँ.' तब किसान ने कहा-तुम्हें दुःख होने की जरूरत नहीं है.कभी-कभी जो काम भरा हुआ घड़ा नहीं कर सकता,वह काम फूटा घड़ा कर सकता है.इस कारण अपना कार्य करते रहो, दूसरे की बात पर ध्यान मत दो.

कुछ क्षण पश्चात किसान झरने से पानी लेने के लिए गया.घड़ों में पानी भरकर वापस आ रहा था.तभी उसे थकान लगा और वह पेड़ की छाया में दोनों घड़ों को रखकर आराम करने लगा.थोड़ी देर पश्चात घर जाने के लिए उठा तो देखता है कि चूहा सामने में आकर खड़ा हो गया और किसान को कहने लगा-किसान भाई!आपने यह क्या किया?मेरे बिल में आपके घड़े के द्वारा पूरा पानी भर दिया,जिसके कारण मुझे बाहर आना पड़ा.किसान ने चूहा से क्षमा मांगा और आगे निकल गया.

दूसरे दिन किसान ने पानी भरकर आया और चूहा की हाल-चाल जानने के लिए वहीं रुक गया.चूहा और किसान बात ही कर रहे थे तभी बिल से सांप (सर्प) को निकलते हुए दोनों ने देखा.तब चूहा ने कहा -'किसान भाई!कल ये घड़ा के द्वारा मेरे बिल पर पानी नहीं भरा होता तो,आज मुझे यह सांप काट ही देता. मुझे क्षमा करना कल मैं आपको बुरा भला सुनाया था.

तभी किसान ने फूटा घड़ा को कहा-'देखा,आपके द्वारा फूटा होते हुए भी चूहा की जान बचाई.जो सही घड़ा नहीं कर सकता,वो आपने कर दिखाई.

इस कारण कहा गया है कि सभी लोगों के अंदर एक न एक कमी जरूर होती है.लेकिन यही कमियाँ हमें दूसरों से अलग करती है.किसान की तरह हमें भी जो जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करना चाहिए.केवल किसी की अच्छाई की तरह नहीं देखना चाहिए और जब आप इस तरह का व्यवहार करेंगे तो टूटा हुआ घड़ा भी एक अच्छे घड़े से कीमती बन जाएगा.

आस्था तंबोली कक्षा चौथी केवी जांजगीर द्वारा भेजी गई कहानी

जब एक दिन किसान पानी लेकर वापस घर आ रहा था.उस दिन बहुत तेज धूप थी. किसान ने कुछ खाया पिया भी नहीं था क्योंकि वह सुबह-सुबह ही पानी के लिए निकल जाता था. अचानक तेज धूप के कारण किसान को चक्कर आने लगा उसका पैर डगमगाने लगा उसके मटके भी इधर-उधर हिले डुलने लगे क्योंकि एक मटका फूटा हुआ था इसलिए उसमें पानी कम था लेकिन एक मटके में पानी पूरा भरा हुआ था जो मटका भरा था वह भारी होने के कारण किसान उसे संभाल नहीं पाया अचानक ही वह जमीन पर गिर गया और टूट गया सारा पानी जमीन में बह गया. लेकिन एक मटके में पानी कम था जिसके कारण किसान ने उस मटके को संभाल लिया और वह फूटने से बच गया. किसान उस फूटे हुए मटके को देखा तो कहने लगा पानी ज्यादा भरा हुआ होने के कारण नहीं संभाल पाया यह कहकर वह बचे हुए मटके से पानी निकाल कर पीने लगा थोड़ी देर पेड़ के नीचे आराम किया.फिर उस एक मटके को लेकर घर आया आखिर में वह मटका ही काम आया जो टपक रहा था वह मटका पहले शर्मिंदा महसूस करता था कि वह पूरा पानी नहीं पहुंचा पता है लेकिन आज किसन की मदद उसी ने की वह मटका खुश हुआ कि मैं भी कुछ कर सकता हूं . किसी प्रकार की कमी होने पर हमें अपने आप में शर्मिंदा नहीं होना चाहिए और ना ही दूसरों को देखकर उनसे अपनी तुलना करनी चाहिए क्योंकि सब का समय एक जैसे नहीं होता जो मटका पूरा भर कर पानी लाता था उसे अपने आप पर बहुत घमंड था कि वह पूरा पानी घर पहुंचता है लेकिन उसके भरे हुए पानी के कारण ही आज वह मटका किसी काम का नहीं रहा टूट गया.दूसरे को वह नीचा दिखाना चाहता था. अर्थात हमें अपने आप पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए और ना ही दूसरों को कभी नीचा दिखाना चाहिए. हम जिस स्थान पर है उसमें अपने आप को संतुष्ट रखना चाहिए और सब के साथ मिलजुल कर काम करना चाहिए. समय का कुछ कहा नहीं जा सकता किस समय क्या हो जाएगा.अब उस किसन के पास केवल एक ही मटका है जिसमें किसान अपने घर पानी लाता है.इस कहानी से शिक्षा हमें अपने आप पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए घमंड करने वालों का अंत होता है.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

माँ-पापा का कहना मानो

AK_Dec23

सर्दियों का मौसम था. नन्हे खरगोश के घर को चारों ओर घास-फूस लगाकर गर्म रखा जाता था.

रात होने वाली थी. नन्हे खरगोश के मम्मी-पापा ने उससे कहा, आ जाओ नन्हे, सो जाओ. रात होने वाली है और बाहर ठंड भी बहुत है.

लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही. मुझे बाहर जाकर खेलना है. नन्हे ने कहा.

बेटा, कल सुबह खेल लेना. रात में बाहर जाओगे तो बीमार हो जाओगे.

मम्मी ने उसे समझाया. मम्मी की बात मानकर नन्हे आकर लेट गया.

लेकिन उसे जरा भी नींद नहीं आ रही थी. वह थोड़ी देर लेटा. फिर मम्मी-पापा से छिपकर बाहर आ गया और जंगल में घूमने निकल पड़ा.

वह चलता जा रहा था. इस तरह कभी भी वह जंगल की ओर नहीं आया था.

लेकिन वह रास्ता ध्यान से देख रहा था. मिट्टी में उसके पाँवों के छोटे-छोटे निशान बनते जा रहे थे.

इनकी मदद से मैं घर वापिस पहुँच जाऊँगा, उसने सोचा.

वह काफी दूर आ गया था. तभी जोर से आँधी चलने लगा. वापिस जाने का रास्ता उसके पाँवों के वो निशान ही बता सकते थे.

लेकिन तेज आँधी ने इतनी धूल उड़ाई थी कि निशान मिट गए थे. वह घबराकर इधर-उधर भागने लगा. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें ?

इसके आगे क्या हुआ होगा? इस कहानी को पूरा कीजिए और इस माह की पंद्रह तारीख तक हमें kilolmagazine@gmail.com पर भेज दीजिए.

चुनी गई कहानी हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

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