चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी–

CKNov23

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

चिड़ियाघर की सैर

बच्चों चिड़ियाघर की सैर बहुत आनंददायक और शिक्षाप्रद होता है.हम नए-नए पशु,पक्षियों से परिचित होते है.जिससे हमें एक अलग अनुभव प्राप्त होता है.हम अपने पसंद के जानवरों के बारे में अधिक से अधिक जानने की इच्छा रखते हैं.विभिन्न प्रकार के जानवरों और पक्षियों को देखने और उनके बारे में जानने के लिए बच्चे बड़े ही उत्सुक रहते हैं.इसके लिए वो चिड़ियाघर जाने के लिए हमेशा ही तैयार रहते है.

कुछ दिन पहले हमारे विद्यालय के बच्चों को शैक्षिक भ्रमण हेतु पास के चिड़ियाघर में ले गए थे.कक्षा में शिक्षक के द्वारा सभी बच्चों को उनके बारे में अपना अनुभव लिखने को कहा,जिसमें कक्षा के सर्वश्रेष्ठ कुमारी कविता ने अपना अनुभव साझा किया वह यह है-

मेरा अनुभव--

मुझे प्रकृति से बहुत प्यार है और मुझे प्राकृतिक जगहों पर घूमना बहुत पसंद हैं.पक्षी और जानवर ही हमारी प्रकृति की सुंदरता को बढ़ाते है और मुझे ऐसा लगता है की इनके बिना प्रकृति अधूरी है.ये सभी प्रकृति की सुंदरता और लोगों की आजीविका को आपस में जोड़ते हैं.मैं पहली बार अपने शिक्षकों के साथ चिड़ियाघर गयी थी.मै इस सैर पर जाने के लिए बहुत उत्सुक थी.मुझे याद है जब मै चिड़ियाघर गयी थी,मैंने पहली बार भालू देखी.वहाँ सारस, मोर, हाथी,तोता जैसे पशु,पक्षी थे.मैंने वहाँ एक मादा हाथी को देखी,जो अपने बच्चे को प्यार कर रही थी. बहुत बड़े पिंजरे में शेर बंद था.उसे देखकर बच्चे खुश हो रहे थे.आगे बढ़ा तो नर हाथी को बच्चे लोग चारों ओर से घेर कर खड़े हुए थे.उसके विशाल शरीर को देखकर बच्चे आनंद का अनुभव कर रहे थे.मैंने वहाँ पर उन पशु,पक्षियों की तस्वीर भी ली.मैंने पूरे चिड़िया घर में विचरण किया और वहाँ के प्रत्येक जानवरों व पक्षियों को नजदीक से देखकर उनके बारे में जानकारी प्राप्त किया.

चिड़ियाघर में पाये जाने वाले जानवर और पक्षी--

चिड़ियाघर में तरह तरह के पशु पक्षी पाए जाते है.जिनमे साइबेरियन पक्षी, ऑस्ट्रेलियन तोता, दरियाई घोडा, कठफोड़वा, बाज़, गेंडा, हाथी, पांडा, जिराफ, किंगफ़िशर, पेंगुइन, शुतुरमुर्ग जैसे पशु-पक्षी प्रमुख रूप से पाए जाते है.चिड़ियाघर में हिरण, तेंदुआ आदि जैसे दुर्लभ पशु-पक्षी भी पाए जाते है.

चिड़ियाघर सीखने एवं मनोरंजन का स्थान-

चिड़ियाघर घूमने के लिए एक बहुत ही मनोरंजक और रोचक जगह है.हम इसमें विभिन्न जानवरों को अपनी आंखों के सामने देख सकते हैं.हम शेर, भालू, गैंडा, सफेद बाघ इत्यादि जानवरों को चिड़ियाघर में देख सकते हैं जो की केवल जंगलों में ही देखे जा सकते है.हमने इन सभी जानवरों के रहने और उनके व्यवहार करने के तरीकों को बहुत ही नजदीक से देख सकते हैं और इनके बार में अधिक जानकारी इकठ्ठा कर सकते हैं.चिड़ियाघरों में हमें विभिन्न प्रकार के नए जानवरों को देखने और उनके बारे में भी पता चलता हैं.जिन्हें हमने पहले केवल किताबों या टी.वी. पर ही देखा था.चिड़ियाघर में जाने के बाद हम उनके साथ अधिक समय और उनके बारे में अधिक जानकारी इकठ्ठा करने की सोचते है.वहाँ से बहार निकलने का हमारा मन नहीं करता है.

अंत में मैं यही कहना चाहती हूँ कि हम सभी को चिड़ियाघर की सैर करनी चाहिए.चिड़ियाघर की सैर से हमें प्रकृति से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त होता है.हमें प्रकृति की सुंदरता का आभास होता है.

बच्चों जब भी अपने शिक्षकों या अपने माता-पिता के साथ चिड़ियाघर जाते हैं.वहाँ जगह-जगह पर आवश्यक निर्देश लिखे रहते हैं उसका पालन करना चाहिए और आपको कोई भी नई जानकारी प्राप्त होती है.उसे अपनी डायरी में नोट कर अपने विद्यालय में शनिवार के दिन बाल सभा कार्यक्रम में,साथियों के साथ साझा करना चाहिए. ताकि वह जानकारी सभी को प्राप्त हो सके.

आस्था तंबोली, जांजगीर द्वारा भेजी गई कहानी

जब बाकी चूंजों की तरह बाज का बच्चा भी बस थोड़ा सा ही उड़ पाता और पंख फड़फड़ाते हुए नीचे आ जाता तो उसे लगता था कि मैं ज्यादा ऊपर नहीं उड़ पाऊंगा. लेकिन उसने एक दिन अपने जैसे पक्षी को आसमान में उड़ते देखा तो वह अपनी मां से जाकर पूछा मां हम आसमान में क्यों नहीं उड़ पाते तब मां ने जवाब दिया.भगवान ने हर पक्षी को अलग-अलग बनाया है उन्होंने हमें थोड़ा ही उड़ने वाला पक्षी बनाया है हम जमीन पर ही रहते हैं वह मान गया और बाकी चूंजों के पास खेलने के लिए चला गया. अगले दिन जब मुर्गी अपने बच्चों के लिए दान ढूंढने गई उस वक्त वह छोटा बाज आसमान में उड़ रहे अपने सामान पक्षी को पुनः देखने के लिए गया.जब वह गया तो इस बार आसमान से एक बाज़ नीचे जमीन पर आया उसने देखा यह बाज का बच्चा जमीन से ऊपर उड़ने की कोशिश कर रहा है लेकिन थोड़ा ही उड़ने के बाद फिर नीचे आ जा रहा है. तब उसने उस बाज के बच्चे से पूछा तुम इतनी ही ऊंचाई पर उड़कर पुनः नीचे क्यों आ जा रहे हो बाज के बच्चे ने ठीक वैसा ही जवाब दिया जैसा की मुर्गी ने बताया था की हर पक्षी अलग-अलग होते हैं और मैं इतना ही उड़ सकता हूं मैं आसमान में नहीं उड़ सकता. लेकिन तुम तो मेरी तरह ही दिखती हो तुम इतने ऊंचे आसमान में कैसे उड़ लेती हो उसने कहा.तब बाज ने जवाब दिया तुम भी ऐसा कर सकते हो चाहो तो मैं तुम्हें उड़ना सिखा दूं. बाज का बच्चा उड़ना चाहता था इसलिए वह बहुत खुश हुआ और बोला ठीक है उस दिन से बाज उसे उड़ना सिखाने लगा जैसे-जैसे वह उड़ना सीखने लगा उसके पंख फड़फड़ाने लगे और अधिक ऊंचाई तक जाने लगा वह बहुत खुश हो रहा था. एक दिन ऐसा आया जब वह ऊंचे आसमान में स्वतंत्र रूप से आसानी से उड़ रहा था.

श्रीमती नंदिनी राजपूत, कोरबा द्वारा भेजी गई कहानी

चिड़ियाघर की सैर

जिस स्थान पर अलग-अलग तरह के जीव जंतुओं को रखा जाता है उसे चिड़ियाघर कहते हैं. पिछले रविवार को मैं अपने परिवार के साथ चिड़ियाघर गई. वहाँ चारों ओर हरे भरे पेड़ पौधे, रंग-बिरंगे फूल देखे ,ऐसे लग रहा था हम किसी जंगल में आ गए हैं. सबसे पहले हमने हाथी को देखा जो बहुत बड़ा और काले रंग का था. हाथी को देखकर हमने और वहां सभी बच्चों ने फल खिलाया. उसके लंबे-लंबे सूड़ हमें बार-बार छू रहे थे ,वह हम सभी के साथ बहुत अच्छे से घुल - मिल गया था ऐसा लग रहा था जैसे कि उसने हमें पहले कभी देखा हो. हम सभी ने हाथी के साथ खूब मस्ती किया. उसके बाद हमने वहाँ पर पिंजरे में बंद दो चीते को देखा जिसमें से एक शांत बैठा हुआ था और एक हमें देखकर हमारी ओर आया और जोर से गुर्राने लगा उसकी आवाज सुनकर हम सभी कांपने लग जाए और थोड़ी देर बाद हम वहां से आगे की ओर चले गए जहां पर पिंजरे में दो चिम्पाजी बंदर थे , वह हमें देखते ही हमारी ओर लपका और हमारे हाथ में रखे हुए केले को देखकर छिन्ने लगा. हमने अपने हाथ में रखे हुए केले को उसकी ओर फेका और जीभ निकालकर उसको चिढ़ाने लग गए वह भी हमें देखकर चिढ़ाने लग गया. जैसे-जैसे हम कर रहे थे वैसे- वैसे वह हमारी नकल उतारने लग गया. इस प्रकार हमने चिंपांजी बंदर के साथ खूब मस्ती की. कुछ दूर जाने पर हमें लंबी गर्दन वाला जिराफ दिखा, जिसे देखकर ऐसे लगा मानो अपनी लंबी गर्दन से हमें गला मिलने को बुला रहा हो. चलते चलते हम बहुत दूर चले गए और थोड़ी देर विश्राम करके हम सभी ने वहाँ पर नाश्ता ,कुरकुरे और चिप्स का आनंद लिया.वहां पर विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं, सांप, शेर ,हिरण, रंग-बिरंगे पक्षी भी देखें. हम सभी ने विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं के स्वभाव और आदतों के बारे में भी जाना. चिड़ियाघर की सैर करते हुए शाम हो गई और हम सभी घर की ओर लौट आए . इस प्रकार चिड़ियाघर की सैर करके हम सभी ने खूब मस्ती किया और हमें बहुत ही आनंद आया.

प्रशांत पात्रे, कक्षा 5वीं, शा. प्रा. शा. शीतलकुण्डा, संकुल -बाँकी, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

चिड़ियाघर

शनिवार को स्कूल की छुट्टी थी. प्रधानाध्यापक ने सभी बच्चों को उनके अभिभावकों के साथ चिड़ियाघर जाने की योजना बनायी हैं. बच्चे आज बहुत खुश लग रहे हैं. वे सभी मस्ती करते, नाचते -गाते -झूमते हुए कब चिड़ियाघर पहुँचे इसका पता ही नहीं चला.जैसे ही चिड़ियाघर पहुँचे टिकट काउंटर में उनके प्रधानाध्यापक ने बच्चों के हिसाब से टिकट खरीदें. इसके बाद सभी बच्चे समूह में बंटकर घूमने लगे. पशु पक्षी, जीव जन्तु के तरह तरह की आवाज से चिड़ियाघर का वातावरण गूँज रहा था. आज का मौसम भी बहुत ही सुन्दर व खुशनुमा था. शरद ऋतू का अपना अलग ही महत्व होता है. न सर्दी न गर्मी और न ही बरसात. ऐसे में बाग बगीचे, फूल फूलवारी की सुंदरता देखते ही बन रही थी. सभी अपने माता -पिता और प्रधानाध्यापक के साथ एक -एक करके बारी बारी से काउंटर वाली जगह पर जाकर उन अनोखे दृश्यों को देखें. रंग बिरंगे, मोर, मछली, तोते, खरगोश को देखकर बच्चे भीतर से प्रफुल्लित हो गए. जंगली जानवरों शेर, भालू, हाथी, हिरण और विषधारी साँपों को देखकर आश्चर्य चकित हो गए थे. बच्चे अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति के आगे बेबस होते हैं.उनके लिए सभीकुछ अपरिचित और नया होता है. वे उन चीजों को जानने व सीखने कीतीव्र जिज्ञासा होती है. जिन्हें टेलीवीजन, अखबारों, वर्चुअल दुनिया में देखते थे. आज वे प्रत्यक्ष अपनी आँखों से देख रहे हैं. उनकी ख़ुशी की कोई सीमा नहीं है. वे थके हुए हैं फिर भी घूमने व देखने के रोमांच के कारण अपनी भावना को व्यक्त नहीं करते हैं.

अंतिम में सबने एक जगह इकट्ठे होकर नाश्ता, चाय, ठंडा, फल का आनंद लिए. इसके बाद सभी घर जाने के लिए रवाना हो गए.आज बच्चे बहुत खुश व प्रसन्न हैं. सबके माता पिता ने स्कूल के प्रधानाध्यापक जी को धन्यवाद दिए एवं आभार प्रकट किये. इस तरह चिड़ियाघर की यात्रा बहुत ही मनोरंजनदायक थी.

कुमारी किर्ती निषाद, कक्षा-आठवीं, शाला-शासकीय, पूर्व माध्यमिक विद्यालय ककेड़ी, विकासखण्ड-पथरिया,जिला-मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

कहानी चिड़ियाघर की

एक गांव में राम अपने परिवार के साथ रहते हैं. उसके मिंटू नाम का छोटा सा बच्चा है.राम अमीर होते हुए भी अपने अमीरीपन का घमंड थोड़ा भी नहीं करते हैं.वह अपने गांव में जरूरत लोगों की मदद हमेशा करते रहते हैं.एक दिन मिंटू अपने मम्मी-पापा के साथ चिड़ियाघर घुमने जाते हैं.कुछ दूर जाने के पश्चात रास्ता में तड़पते हुए चिड़िया को देखा.मिंटू के मम्मी-पापा ने उसे अपने साथ रखा.उसके घाव में मलहम-पट्टी एवं देखभाल किया और उसे चिड़ियाघर ले गया.वहाँ चिड़ियाघर के मुखिया से मिला.उसके इलाज हेतु कुछ पैसा देकर उस चिड़िया को वही सौंप दिया.

तत्पश्चात मिंटु को उसके मम्मी-पापा ने चिड़ियाघर का शैर कराया.उसने देखा-एक तालाब है,उसमें ढेर सारे बत्तख और बगुला तैर रहे हैं.उसे बहुत ही अच्छा लगा.फिर उसने देखा बच्चें वहाँ छोटे-छोटे बंदरों को कुछ खिला रहे हैंऔर उसके पीछे छोटे-छोटे बंदर भाग रहे हैं.मिंटु ने फिर आगे भालू,जिराफ और ढेर सारे शेर को भी देखा.उसके तेज आवाज से छोटे-छोटे बच्चे डर कर भाग रहे थे.

फिर कुछ देर आगे चलने के पश्चात उसने देखा-एक विशाल हाथी वहाँ पर खड़ा था.छोटे-छोटे बच्चे हाथी के चारों ओर खड़े थे और कुछ बच्चे आपस में खेल रहे थे.उसके विशाल शरीर को देखकर बच्चे खुश हो रहे थे.मिंटू अपने मम्मी की गोदी पर ही बैठा था.उसने देखा वहाँ छोटे-छोटे बच्चे आए हैं.वह अपने पैर पर चल रहा है.कोई भी अपने मम्मी-पापा के गोदी में नहीं बैठा है.मिंटू चलते हुए छोटे-छोटे बच्चे को देखकर प्रेरित हुआ और वह भी अपने छोटे-छोटे पैरों से चलने लगा.इस पर मिंटू के मम्मी-पापा को बहुत खुशी हुई क्योंकि अब उसका बेटा चलना सीख रहा था.मिंटू को चिड़ियाघर में रेलगाड़ी से भी शैर कराया.और सब अच्छी यादों के साथ वापस घर आ गए.

साथियों इस कहानी से हमने सीखा-मिंटू के मम्मी-पापा की तरह कोई भी जीव जंतु घायल मिले तो उसकी सेवा करनी चाहिए और जिस प्रकार मिंटू ने छोटे-छोटे बच्चों को देखकर वह चलना सीखा. उसी प्रकार हमें अच्छी बातों का अनुकरण करना चाहिए.

आयुषी साक्षी साहू धमतरी द्वारा भेजी गई कहानी

चिड़ियाघर

एक बार की बात है, एक गांव में तीन बच्चे रहते थे. सोनू मोनू और रीना .एक बार रीना की चाची अपने बेटे सूरज के साथ उनके घर आई. फिर बच्चों को चिड़िया घर जाने का सुझा. सभी बच्चे और चाचा जल्दी से तैयार होकर चिड़िया घर चले गए. वहां शेर ,हाथी और बंदर जैसे बहुत से जानवर थे. हाथी बहुत नेक दिल था , जो सभी को करतब दिखा था .

रीना के पास एक बच्चा खड़ा था, जो हाथी को भूखा देख कर उसे केला खिलाने की कोशिश कर रही थी. रीना यह देख कर बच्चे के पास गई और उन्होंने मिलकर हाथी को केला खिलाया, हाथी राजा ने भी चिंधाड़ के उनका शुक्रिया किया .यह देख के सभी बच्चे खुश हो गए .फिर बच्चो ने वह और भी जानवर देख , खूब मस्ती किए और घूमे.इतने में बच्चे थक गए थे . उन्होंने एक पेड़ देखा और सब वहां जाकर बैठ गए और कब सो गए पता नहीं चला. जब वह उठे तो देखा रात हो गई थी और चिड़िया घर के दरवाजे में ताला लग गया था. तब उन्होंने देखा कि हाथी उनके पीछे है. सब डर गए थे . लेकिन वह हाथी आगे बड़ा और दरवाजा को तोड़ा , जिससे सब खुशी से घर चले गए.

सीख- हम किसी की मदद करेंगे तो वह भी किसी न किसी साधन से भी हमारी मदद करेगा.

अनन्या तंबोली कक्षा आठवीं केवी जांजगीर द्वारा भेजी गई कहानी

चिड़ियाघर

आस्था अपने दोस्तों के साथ स्कूल टूर में इस बार चिड़ियाघर देखने गई थी. वहां उसने बहुत से जानवर देखें जो उसने पहले कभी नहीं देखा था.केवल चित्रों में या टीवी में ही उसे देखा था .प्रत्यक्ष रूप से जानवरों को देखकर आस्था बहुत खुश थी चिड़ियाघर में उसने हाथी शेर बंदर जिराफ तोता हिरन आदि जानवर देखें. जब वह हाथी देखी तो लगा हाथी यहां कैसे रह लेता होगा. अपने शिक्षक से पूछने लगी सारी जानकारी वह अपने कॉपी में नोट करती जाती थी. हाथी पिंजरे के बाहर था लेकिन शेर पिंजरे में था यह देखकर फिर आस्था के मन में सवाल आने लगा शेर को पिंजरे के अंदर क्यों रखा गया है बाहर क्यों नहीं जब हाथी को बाहर रख सकते हैं तो शेर तो छोटा जानवर है तब उस शिक्षक नहीं फिर उसे समझाया कि शेर खतरनाक जंगली जानवर है वह बाहर आएगा तो लोगों को नुकसान पहुंचाएगा वह मांसाहारी जानवर है इसलिए उसे पिंजरे के अंदर रखा जाता है आस्था पहली बार अपने दोस्तों के साथ गई थी उसे बहुत मजा आ रहा था सभी बच्चे समूह में इधर-उधर अपने शिक्षक के साथ

घूमने लगे मजे करने लगे आवश्यकता अनुसार वह जानकारी नोट भी करते जा रहे थे फिर वहां को घूमने के बाद सभी मस्ती करते हुए वापस घर आ गए.

अगले अंक की कहानी हेतु चित्र

CKDec23

अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर अगले माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे

Visitor No. : 6794848
Site Developed and Hosted by Alok Shukla