अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी–

माँ-पापा का कहना मानो

AK_Dec23

सर्दियों का मौसम था. नन्हे खरगोश के घर को चारों ओर घास-फूस लगाकर गर्म रखा जाता था.

रात होने वाली थी. नन्हे खरगोश के मम्मी-पापा ने उससे कहा, आ जाओ नन्हे, सो जाओ. रात होने वाली है और बाहर ठंड भी बहुत है.

लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही. मुझे बाहर जाकर खेलना है. नन्हे ने कहा.

बेटा, कल सुबह खेल लेना. रात में बाहर जाओगे तो बीमार हो जाओगे.

मम्मी ने उसे समझाया. मम्मी की बात मानकर नन्हे आकर लेट गया.

लेकिन उसे जरा भी नींद नहीं आ रही थी. वह थोड़ी देर लेटा. फिर मम्मी-पापा से छिपकर बाहर आ गया और जंगल में घूमने निकल पड़ा.

वह चलता जा रहा था. इस तरह कभी भी वह जंगल की ओर नहीं आया था.

लेकिन वह रास्ता ध्यान से देख रहा था. मिट्टी में उसके पाँवों के छोटे-छोटे निशान बनते जा रहे थे.

इनकी मदद से मैं घर वापिस पहुँच जाऊँगा, उसने सोचा.

वह काफी दूर आ गया था. तभी जोर से आँधी चलने लगा. वापिस जाने का रास्ता उसके पाँवों के वो निशान ही बता सकते थे.

लेकिन तेज आँधी ने इतनी धूल उड़ाई थी कि निशान मिट गए थे. वह घबराकर इधर-उधर भागने लगा. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें ?

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

कुछ देर पश्चात आंधी थम गई.जैसे ही वह आगे बढ़ा, उसे एक सुंदर तालाब मिला. पानी इतना साफ था कि वह नीचे तक देख सकता था और चारों ओर तैरती मछलियाँ छोटे-छोटे इंद्रधनुष की तरह लग रही थी.वह नन्हें खरगोश तालाब से इतनी प्रभावित हुआ कि उसने इसे करीब से देखने का फैसला किया.वह पानी के किनारे पर पहुँचकर बेहतर दृश्य देखने के लिए झुक गया लेकिन जैसे ही उसने पानी की ओर झुका,वह अपना संतुलन खो बैठा और वह तालाब में गिर गया.पानी के नीचे जाते ही नन्हें खरगोश घबरा गया. उसने कभी तैरना नहीं सीखा था और उसे यकीन हो गया कि वह पानी में डूबने ही वाला है.लेकिन जैसे ही वह हार मानने वाला था,वैसे ही तेज छलांग मारते हुए टांमी तालाब में कूदकर,उसे बचा लिया.टांमी कोई और नहीं,वह नन्हे खरगोश का दोस्त ही था.

नन्हे खरगोश ने अपने दोस्त टांमी को धन्यवाद देते हुए कहा-' मैंने अपने मम्मी-पापा से छुपकर यहाँ आया,उसका कहना नहीं माना.जिसके कारण मुझे मुसीबतों का सामना करना पड़ा.' दोस्त अगर आप सही समय में नहीं आते और मुझे तालाब से नहीं निकालते तो मेरी मृत्यु निश्चित थी.मैं अपने घर का पता भी भूल चुका हूँ.चलिए मुझे आप मेरे मम्मी-पापा के पास पहुँचा दीजिए.मेरी मम्मी-पापा भी मेरे घर न पहुँचने पर,बहुत परेशान हो रहे होंगे.तभी टॉमी,ठीक है दोस्त कहते हुए दोनों उसके घर पहुँचते हैं.उसके मम्मी-पापा भी बहुत परेशान थे.इधर-उधर ढूंढकर, हार-थककर घर में निराश बैठे थे. अचानक अपने नन्हें खरगोश को आते देखकर उसके मम्मी गले लगाकर उसका हाल-चाल पूछते हैं.नन्हें खरगोश 'आप बीती' जानकारी को अपनी मम्मी-पापा को बताते हैं.उन दोनों ने टाॅमी को धन्यवाद देते हैं.जिसके कारण उसके बच्चे उन्हें मिल पाया.

बच्चों हमें इस कहानी से समझा कि हमें अपने मम्मी-पापा एवं अपने से बड़ों का कहना मानना चाहिए.अगर इन बातों को हम अनदेखा करते हैं तो निश्चित ही नन्हे खरगोश की तरह हमें भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.और हमें इस कहानी से एक और जानकारी प्राप्त होती है कि जिस तरह टाॅमी ने अपने दोस्त नन्हें खरगोश की जान बचाई.इसी तरह हमें भी अपने दोस्त के ऊपर आए हुए मुसीबतों को दूर करना चाहिए.

कु. भूमिका राजपूत,आठवीं, शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय ककेड़ी, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

कुछ देर पश्चात आंधी थम गई.आंधी में फंसे हुए हंस को देखकर,नन्हे खरगोश ने कहा- तुम कौन हो? यहाँ क्या कर रहे हो?हंस ने बताया कि वह जंगल में घूमने के लिए निकला था.अचानक आंधी आ गई,जिसमें मैं बुरी तरह से यहाँ फंस गया हूँ.फिर हंस ने,नन्हे खरगोश से पूछा-तुम यहाँ क्या कर रहे हो?तुम्हारे माता-पिता कहाँ है?नन्हे खरगोश ने अपने सारी बातें बताई.

दोनों घर का रास्ता भूल गए थे.जिसके कारण वे दोनों जंगल में इधर-उधर भटक रहे थे.कुछ देर बाद उन्हें एक जामुन का पेड़ देखा.जिसमें पूरे वृक्ष,फलों से लदे हुए थे.दोनों भूख से तड़प रहे थे.हंस ने जामुन के ऊपर चढ़कर पेड़ से कुछ जामुन लाया और फिर दोनों ने जामुन खाकर वहाँ से घर की ओर निकल गए.

कुछ क्षण पश्चात वहाँ एक शेर आकर नन्हे खरगोश को शिकार बनना चाहा.लेकिन हंस बहुत ही बुद्धिमान था.शेर के निशाना बनाने के पहले उन्होंने नन्हे खरगोश को पकड़ कर आकाश की ओर उड़ गये.कुछ देर बाद उन्हें खरगोश का घर मिल गया. नन्हे खरगोश के माता-पिता अपने बच्चों को देखकर बहुत खुश हुए.नन्हे खरगोश ने अपने माँ-पापा को बीती हुई घटना की जानकारी दिया.उसके माता-पिता ने हंस को धन्यवाद दिया.जिसके कारण शेर के शिकार से हमारे बच्चे बच गए.दोनों में दोस्ती हो गई.हंस भी उन्हीं लोगों के साथ रहकर खुशी से अपना जीवन बिताए.

कु. प्रिया राजपूत, आठवीं, शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय ककेड़ी, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

नन्हे खरगोश अपने घर जाना चाहता है.लेकिन रास्ता भूल जाने के कारण हार थककर,पास में एक बड़ा-सा पेड़ के नीचे बैठकर वह रोने लगा.उसे अपनी मम्मी-पापा का याद सताने लगा.ठंड के कारण उसकी तबीयत भी खराब हो जाती है.उधर उसके माँ-पापा जब उसे देखने के लिए उसे कमरे में जाते हैं.तब नन्हे खरगोश को न पाकर,वह परेशान हो जाते हैं और जंगल की ओर वे दोनों ढूंढने निकल जाते हैं.

इधर नन्हा खरगोश चलते-चलते अचानक गड्ढे में गिर जाता है.वह बचाओ-बचाओ की आवाज देकर जोर-जोर से रोने लगता है.तभी दूसरा खरगोश उसी रास्ते से गुजर रहा था.वह उसकी आवाज सुनकर गड्ढे को देखता है.खरगोश को गड्ढे में देखकर उसकी मदद करने को सोचता है.लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आता कि गड्ढे में गिरे हुए खरगोश को कैसे निकाले?तभी उसे,पास में एक रस्सी दिखाई देता है.उस रस्सी को गड्ढे में गिराकर,खरगोश को पकड़ने के लिए कहता है.खरगोश उस रस्सी के सहारे बाहर निकल जाता है. नन्हे खरगोश बाहर आने के बाद मदद किये हुए खरगोश को धन्यवाद देता है.

नन्हे खरगोश की तबीयत खराब होने के कारण चल फिर नहीं सकता था.इस कारण दूसरा खरगोश उसे अपने घर ले जाने का विचार करता है.तभी नन्हे खरगोश के माँ-पापा उसे ढूंढते-ढूंढते आ जाता है.नन्हे खरगोश अपने माँ-पापा को देखकर उसके पास चले जाते हैं और अपनी बीती हुई घटनाओं को बताते हैं.उसके माँ-पापा, दूसरे खरगोश को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं.जिसकी वजह से उसके बच्चा,मौत के मुंह से वापस आए हैं.दोनों में दोस्ती हो जाती है उन दोनों खुशी से परिवार की तरह एक साथ रहते हैं.

वागेश (डाकिया बाबू) पिता श्रीमान लेखराम साहू मरोद कुरूद ,धमतरी द्वारा भेजी गई कहानी

नन्हा खरगोश जंगल के कपा देने वाली ठंडी रात में बहुत घबरा गया था, उसे यह अंदाजा नहीं था कि रात में तेज आंधी और धूल का सामना करना पड़ेगा क्योंकि वह बहुत छोटा था और उनके मम्मी पापा उसका इस तरह से ख्याल रखते थे कि आज तक उसे इस तरह की कोई भी मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ा था, जैसे-जैसे रात बीतता गया नन्हे खरगोश के दिल की धड़कन बढ़ने लगी और उन्हें अपने मम्मी पापा की बातों की याद आने लगा नन्हा खरगोश रोते हुए सोचने लगा कि काश मैं अपने मम्मी पापा का बात मान लेता तो मैं आज इस मुसीबत में नहीं पड़ता, तेज आंधी के कारण उनके पांव के निशान भी मिट गए थे जिसके कारण वह घर भी नहीं जा पा रहा था वह हिम्मत हार चुका था, तभी उनके मम्मी पापा उन्हें ढूंढते हुए अचानक से मिले मिलते ही मानो नन्हे खरगोश के जान में जान आई फिर सभी खुशी-खुशी घर गए,

सीख - यह कहानी हमें यह सिखाती है कि ' सदैव अपने मम्मी पापा का बात मानो ' क्योंकि वे सदैव हमारे भलाई के बारे में ही सोचते हैं.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

गरीब किसान और कंजूस जमींदार

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एक गांव में एक अमीर जमींदार रहता था. उसे अपने पैसों पर बड़ा घमंड था. जितने अधिक पैसे उसके पास थे, उतना ही वह कंजूस भी था. अपने खेतों में काम करने वाले किसानों से वह खूब काम करवाता, मगर पगार कौड़ी भर भी न देता. मजबूर गरीब किसान मन मारकर उसके खेत में काम करते. उसी गांव में रामू नामक एक किसान रहता था. उसके पास थोड़ी सी जमीन थी. उसी में खेती-बाड़ी कर वह अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाता था. रामू बड़ा मेहनती था. वह दिन भर अपने खेत में काम करता और अपनी मेहनत के दम पर इतनी फसल प्राप्त कर लेता कि अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटा सके. गांव के बाकी किसानों के पास रामू के मुकाबले अधिक जमीनें थीं. वे रामू की मेहनत देखकर हैरान होते कि कैसे इतनी सी जमीन में वह इतनी फसल उगा लेता है. एक साल गांव में भयंकर सूखा पड़ा.

इसके आगे क्या हुआ होगा? इस कहानी को पूरा कीजिए और इस माह की पंद्रह तारीख तक हमें kilolmagazine@gmail.com पर भेज दीजिए.

चुनी गई कहानी हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

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