अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी–

गरीब किसान और कंजूस जमींदार

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एक गांव में एक अमीर जमींदार रहता था.

उसे अपने पैसों पर बड़ा घमंड था.

जितने अधिक पैसे उसके पास थे, उतना ही वह कंजूस भी था.

अपने खेतों में काम करने वाले किसानों से वह खूब काम करवाता, मगर पगार कौड़ी भर भी न देता.

मजबूर गरीब किसान मन मारकर उसके खेत में काम करते.

उसी गांव में रामू नामक एक किसान रहता था.

उसके पास थोड़ी सी जमीन थी. उसी में खेती-बाड़ी कर वह अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाता था.

रामू बड़ा मेहनती था.

वह दिन भर अपने खेत में काम करता और अपनी मेहनत के दम पर इतनी फसल प्राप्त कर लेता कि अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटा सके.

गांव के बाकी किसानों के पास रामू के मुकाबले अधिक जमीनें थीं.

वे रामू की मेहनत देखकर हैरान होते कि कैसे इतनी सी जमीन में वह इतनी फसल उगा लेता है.

एक साल गांव में भयंकर सूखा पड़ा.

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

बिना बारिश के खेत खलिहान सूखने लगे.गरीब किसानों के पास सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं था.वे सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर थे.इसलिए उनकी सारी फसल बर्बाद हो सकते हैं.रामू के साथ भी यही हुआ.अपने छोटे से खेत में वह किसी तरह अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था.अब उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गई.मजबूर होकर रामू एवं उनके साथी गरीब किसान,गांव के अमीर जमींदार के पास कर्ज मांगने गये.ताकि उन पैसों से बोरवेल खुदाई कराकर,फसल बर्बाद होने के पहले खेत में सिंचाई किया जा सके.

किसानों ने जमींदार के पास अपनी बातें रखी.किसानों की बात सुनकर जमींदार ठहाका मारकर हंसने लगे और उसने कहा-'तुम लोग बोरवेल से खेत में सिंचाई करोगे?इतना जल्दी कभी तुम्हारे सोचे हुए कार्य पूरा नहीं होंगे.अगर बोरवेल में पानी नहीं निकला तो तुम मेरे पैसे कैसे दे पाओगे.यह कहकर उन सभी को अपने घर से भगा दिया.

सभी किसान वापस आ रहे थे.तभी गांव में सर्वे कर रहे कृषि विकासखंड अधिकारी को देखा.सभी किसान को चिंतित देखकर,अधिकारी महोदय ने उनकी चिंता के कारण पूछा.किसानों ने अपनी समस्याओं को बताया.वह अधिकारी सरकार के द्वारा किसानों को दिए जाने वाले कृषि से संबंधित लाभों का जानकारी दिया और वह तत्काल किसान के खेत में बोरवेल खुदाई कराया तथा मशीन लगाकर फसल को नष्ट होने से बचाया.उस बोरवेल से सभी गरीब किसानों के खेतों में पर्याप्त मात्रा में पानी हो गया.जिसके कारण सभी किसानों को अधिक फसल प्राप्त हुआ.सभी गरीब किसानों ने उस अधिकारी को धन्यवाद दिया.जिसके कारण उसके जीवन में खुशहाली आया.इधर कंजूस जमींदार की फसल को पानी प्राप्त नहीं हुआ.जिस कारण से उसकी पूरी फसल नष्ट हो गया.वह किसानों के खेत से प्राप्त फसल को देखकर पश्चाताप करने लगा.सोचने लगा कि अगर किसानों से मिलजुल कर रहता तो निश्चित ही मुझे भी अधिक मात्रा में फसल मिलता.उस जमींदार को पैसों का घमंड था.वह पूरी तरह टूट गया और उन्होंने सभी किसानों से मिलजुल कर रहने की बात कहकर,उसने किसानों से क्षमा मांगा.सभी किसानों ने उस जमींदार को क्षमा कर,एक साथ सभी खुशी से रहने लगे.

बच्चो इस कहानी से हमने सीखा कि सदा जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए.अपने संपत्ति पर घमंड नहीं करनी चाहिए.

कु. भूमिका राजपूत,आठवीं, शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय ककेड़ी, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

बिना बारिश के खेत खलिहान सूखने लगे.गरीब किसानों के पास सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं था.वे सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर थे.इसलिए उनकी सारी फसल बर्बाद हो सकते थे.फसल के बर्बादी को रोकने के लिए कोई भी तरीका से पानी की व्यवस्था करना है.इस कारण रामू ने सभी किसानों को बुलाकर अपने सोचे हुए विचारों की जानकारी दिया. जिसमें जमीदार को भी बुलाया गया था.रामू ने कहा कि हम सभी किसान मिलकर क्यों न तत्काल एक कुआं खुदाई किया जाए. ताकि कुएं में वाटर पंप लगाकर फसल का सिंचाई किया जा सके. सभी किसानों ने रामू के विचारों का स्वागत किया.लेकिन जमींदार को अपने पैसों का अधिक घमंड था.जिसके कारण वह इस कार्य में शामिल न होने की बात कह कर अपने घर चले गए.

सभी किसान बारी-बारी से कुआं की खुदाई प्रारंभ कर दिया. कुछ ही दिन पश्चात कुआं में पर्याप्त मात्रा में पानी आ गया. सभी किसान मिलकर वाटर पंप की व्यवस्था किया और फसल सूखने के पहले किसानों के खेत में जरूरत अनुसार पानी डाला गया.जिसके कारण किसानों को पहले से अधिक मात्रा में फसल का उत्पादन हुआ.चुकी जमींदार को पानी नहीं मिलने के कारण उसकी फसल पूरी तरह नष्ट हो गया और उसे आकाल का सामना करना पड़ा. जमींदार,किसानों के पर्याप्त मात्रा में फसल के उत्पादन देखकर अपने किए गए कार्यों पर शर्मिंदा हुआ.

श्रीमती ज्योति बनाफर, बेमेतरा द्वारा भेजी गई कहानी

बारिश का नामोनिशान न था. सभी किसानों के साथ-साथ रामू भी बहुत परेशान होने लगा. किसान गांव की जमींदार के पास जाकर मजदूरी और काम की गुहार लगाने लगे.जमींदार ने काम तो दिया पर वह इन लोगों से ज्यादा काम लेकर बहुत कम मजदूरी देता था.रामू ने कहा ऐसे में तो हम भूख से मर जाएंगे.उसने कुछ किसान भाइयों से कहा कि यहां से कुछ दूरी पर एक नाला बहता है और उसे नाले में हमेशा पानी रहता है.क्योंकि उस नले का पानी ऊपर पहाड़ से बर्फ पिघलने के कारण आता है.तो क्यों ना हम उसे नाले से अपने खेत तक पानी ले आए जिससे कि हमारे खेत में काम करने के लिए पानी की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी.पर गांव की सभी किसान कहने लगी कि इतनी दूर से पानी लाना गांव तक बहुत आसान काम नहीं है.रामू धीरे-धीरे सबका मनोबल बढ़ाने लगा पर इससे भी कुछ बहुत ज्यादा हासिल नहीं हुआ.रामू को लगा क्यों ना मैं अकेली ही इस काम में लग जाऊं अपने परिवार के साथ कुछ दिनों में जरूर पानी मेरे खेत तक आ जाएगा रामू अपने परिवार के साथ बहुत जल्द ही इस काम में लग गया.उसको इस काम में लगा हुआ देखकर गांव की अन्य महिलाएं भी अपने घर में चर्चा किये और उन्होंने भी रामू का साथ दिया .सब मिलकर मेहनत करने लगे.जमींदार इस काम से बहुत नाराज हुआ और इस काम में रामू का साथ नहीं दिया और जो उनके साथ दे रहा था उन सभी को धमकाने लगा.सभी ने रामू को अपना नेता मानकर धीरे-धीरे खुदाई करते हुए एक दूसरे की मदद से नले का पानी खेत तक लाने में सफल हो गए. अब देखते ही देखते सभी की खेत में पानी आने लगा खेतो में फसल लहलहाने लगी. इस बीच कंजूस जमींदार भी पानी की तलाश में सबको प्रलोभन देने लगा कि मेरे खेत की ओर नाले का पानी मोड़ दो मई तुम्हे मालामाल कर दूंगा. पर किसी ने उनका साथ नही दिया. सभी किसान एक स्वर में कहने लगे हम जमींदार को पानी नहीं देंगे. पर रामू ने सभी से आग्रह किया और उसके खेत के लिए पानी की एक नाली मोड़ दी .जिससे जमींदार बहुत प्रसन्न हो गया. उसने गांव वालों की हमेशा मदद करने की कसम खाई और कहा कि अब किसी भी प्रकार से मैं गांव वालों को तंग नहीं करूंगा और हमेशा उनका साथ दूंगा.इस तरह से गांव में फिर से एक बार सभी की मेहनत और लगन से खुशहाली छा गई.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

अंगूर खट्टे हैं

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एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी. एक दिन वह भूखी-प्यासी भोजन की तलाश में जंगल में भटक रही थी.

भटकते-भटकते सुबह से शाम हो गई, लेकिन वह शिकार प्राप्त न कर सकी. शाम होते-होते वह जंगल के समीप स्थित एक गाँव में पहुँच गई. वहाँ उसे एक खेत दिखाई पड़ा. भूख से बेहाल लोमड़ी खेत में घुस गई.

वहाँ एक ऊँचे पेड़ पर अंगूर की बेल लिपटी हुई थी, जिसमें रसीले अंगूर के गुच्छे लगे हुए थे. अंगूर देखते ही लोमड़ी के मुँह से लार टपकने लगी. वह उन रस भरे अंगूरों को खाकर तृप्त हो जाना चाहती थी. उसने अंगूर के एक गुच्छे पर अपनी दृष्टि जमाई और जोर से उछली.

इसके आगे क्या हुआ होगा? इस कहानी को पूरा कीजिए और इस माह की पंद्रह तारीख तक हमें kilolmagazine@gmail.com पर भेज दीजिए.

चुनी गई कहानी हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

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