चित्र देख कर कहानी लिखो
पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी–
हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं
संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी
आईना झूठ नहीं बोलता
एक गाँव में छोटी सी प्यारी सी लड़की थी,उसका नाम था चंचल, वो बात-बात पर गुस्सा होती थी.उसकी माँ उसे हमेशा समझाती रहती कि 'चंचल बेटा, इतना गुस्सा करना अच्छी बात नहीं है,लेकिन फिर भी उसके स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया.एक दिन चंचल अपना होमवर्क करने में व्यस्त थी.उसकी टेबल पर एक सुंदर-सा खिलौना रखा हुआ था.तभी उसके छोटे भाई का हाथ उस खिलौने से टकराया और गिरने पर उसके कई टुकड़े हो गए.
अब क्या,चंचल गुस्से से बौखला उठी.उन्होंने अपने छोटे भाई को गुस्सा में जो नहीं कहना चाहिए,वह कह डाली.उसकी मानसिक स्थिति खराब हो गई. वह पढ़ना चाहती थी.लेकिन क्रोध की वजह से पढ़ नहीं पा रही थी.तभी वहाँ उसकी माँ ने एक आईना लाकर उसके सामने रख दिया.और वह छुपकर उसे देखने लगी.अब गुस्से से भरी चंचल ने अपनी शक्ल आईने में देखी,जो कि गुस्से में बहुत ही बुरी लग रही थी.अपना ऐसा बिगड़ा चेहरा देखते ही चंचल का गुस्सा छू-मंतर हो गया.कुछ देर पश्चात ही वह सामान्य हो गई.अपनी माँ को आवाज दी.तब उसकी माँ ने कहा, देखा चंचल! गुस्से में तुम्हारी शक्ल आईने में कितनी बुरी लगती है,क्योंकि आईना कभी झूठ नहीं बोलता.अब चंचल को पता चल गया था कि गुस्सा करना कितना बुरा होता है.तभी से उसने गुस्सा न करने का एक वादा अपने आप से किया और अपने छोटे भाई से क्षमा मांगी.
बच्चों इस कहानी के माध्यम से हमने समझा कि क्रोध करना मानसिक एवं शारीरिक रूप से हानिकारक है.अतः थोड़ी-थोड़ी बातों में हमें क्रोध नहीं करना चाहिए. जो भी कहना हो, शांत रूप में अपनी बातों को रखनी चाहिए.
अगले अंक की कहानी हेतु चित्र
अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर अगले माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे