लेख

मेरा शहर बिल्हा

रचनाकार- विनय कुमार टंडन कक्षा पांचवीं , जनपद प्राथमिक शाला बिल्हा, संकुल कन्या बिल्हा, जिला बिलासपुर

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मेरा शहर का नाम बिल्हा है. बिल्हा नगर पंचायत है. जो कि बिलासपुर जिला के अन्तर्गत आता है. बिल्हा एशिया का सबसे बड़ा ब्लॉक है. बिल्हा बिलासपुर से 20 किमी की दूरी पर स्थित है है. हमारे शहर में हम सब एक - दूसरे की मदद करते है. हमारे शहर में बहुत सारे सरकारी स्कूल है जिसमें अच्छे से पढाई होती है. हमारे शहर में फैक्ट्री बहुत कम है. हमारे शहर में बहुत सारे पेड़ पौधे हैं. बिल्हा में सरकारी हॉस्पिटल, आईटीआई, कॉलेज, तहसील ऑफिस, थाना, रेलवे स्टेशन गेस्ट हाउस आदि हैं. मुझे बिल्हा बहुत पसंद है.

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बने विजेता वो सदा

रचनाकार- प्रियंका सौरभ, हरियाणा

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जीवन में सफल होने के लिए धैर्य रखना और अपने सपनों के लिए समर्पित रूप से कड़ी मेहनत करना महत्वपूर्ण है. जीवन में कुछ भी मुफ्त नहीं है, और इसलिए हमें जीवन में बड़ी चीजें हासिल करने के लिए अपने सभी प्रयास करने और अपनी सीमाओं को चरम तक पहुंचाने की जरूरत है. इसके अलावा, असफलताएं और निराशा वास्तव में हर किसी की यात्रा का हिस्सा होती हैं, और हमें उन्हें वैसे ही स्वीकार करना चाहिए जैसे वे आती हैं. हमें हमेशा वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए और एक बेहतर और सुखद कल बनाने के लिए इसे पूरी सावधानी और समर्पण के साथ करना चाहिए. हमें बोलना कम और काम ज्यादा करना चाहिए. यह न केवल हमें न्यूनतम संभव समय में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि हमारे महत्वपूर्ण कार्यों में निवेश करने के लिए कुछ आवश्यक ऊर्जा भी देगा.

दुनिया को केवल इस बात की परवाह है कि हम क्या करते हैं, न कि हम क्या कहते हैं कि हम क्या करेंगे. जो शब्द हम आम तौर पर कहते हैं, वे हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्यों की तुलना में बहुत कम महत्व रखते हैं. हमें बोलना कम और काम ज्यादा करना चाहिए. यह न केवल हमें न्यूनतम संभव समय में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि हमारे महत्वपूर्ण कार्यों में निवेश करने के लिए कुछ आवश्यक ऊर्जा भी देगा. इस तथ्य को समझना जरूरी है कि हमारे पास जो ऊर्जा है वह वास्तव में सीमित है, और इसलिए इसे बुद्धिमानी से उपयोग करना बहुत आवश्यक हो जाता है.

इस तथ्य को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि हमारे कार्य हमें परिभाषित करते हैं न कि हमारे विकल्पों को. एक विजेता हमेशा सही विचारों को अच्छे कार्यों में बदलने के तरीके खोजता है. वह अपने सपनों को देने और उन्हें हकीकत में बदलने के तरीकों की तलाश करेगा. साथ ही, याद रखें कि वास्तविकता कठिन है और इतनी सरल नहीं है जितना हम इसे मान लेते हैं. बाद में भागदौड़ से बचने के लिए हमें अपने कार्यों को पहले ही पूरा कर लेना चाहिए. अपने फैसलों को ध्यान से देखना और उनका आत्मनिरीक्षण करना भी जरूरी है.

हमारे कार्य शब्दों से ज्यादा हमारी प्रतिष्ठा और अखंडता को परिभाषित करते हैं. हम जो कहते हैं उसे करने में असफल होना और इस व्यवहार को बार-बार दोहराना हमारे चरित्र के लिए हानिकारक है जो दूसरे हमें समझते हैं. यह हमारी विश्वसनीयता को मिटा देता है. यदि हम वह नहीं करते जो हम कहते हैं कि हम करने जा रहे हैं, तो हमारी विश्वसनीयता कम हो जाती है. हमारे प्रत्येक वादे के बाद और इसे पूरा करने में विफल रहने से हमारी सत्यनिष्ठा भी कम हो जाती है. इसके बाद हमारी बातों का कोई मतलब नहीं है.

यह अविश्वास भी पैदा करता है. भरोसा छोटी-छोटी क्रियाओं पर बनाया जाता है, न कि फिल्मों के लिए बने नाटकीय पलों पर. अंत में, यह अवसर को सीमित करता है. जब हमारी टीम किए गए वादों पर भरोसा नहीं कर सकती है, तो हमारे लिए खुद को साबित करने के अवसर कम होते जाएंगे. यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं जो वादों और अपेक्षाओं को पूरा नहीं करता है, तो आपको परिणाम भुगतने होंगे. अपने शब्द का कोई बनने का प्रयास करें. खासकर जब यह एक 'छोटी बात' है, तो सुनिश्चित करें कि आप इसे करते हैं. आखिरकार, यदि आप 'छोटी चीज़ों' में असफल होते हैं, तो कोई भी 'बड़ी चीज़ों' पर आप पर भरोसा नहीं करेगा.

इस तथ्य को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि हमारे कार्य हमें परिभाषित करते हैं न कि हमारे विकल्पों को. एक विजेता हमेशा सही विचारों को अच्छे कार्यों में बदलने के तरीके खोजता है. वह अपने सपनों को हकीकत में बदलने के तरीकों की तलाश करेगा. आप जो कहते हैं उसे लगातार करते रहना ईमानदारी की बुनियाद है.

दुनिया को केवल इस बात की परवाह है कि हम क्या करते हैं, न कि हम क्या कहते हैं कि हम क्या करेंगे. जो शब्द हम आम तौर पर कहते हैं, वे हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्यों की तुलना में बहुत कम महत्व रखते हैं. याद रखें कि जीवन वास्तव में एक खेल है और इसलिए हम सभी को जीतने का प्रयास करना चाहिए. असफलता और निराशा वास्तव में हर किसी के जीवन का एक हिस्सा है और इन चीजों के बारे में अधिक सोचना बेकार है. वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करना और अतीत के बारे में भूलना अधिक महत्वपूर्ण है. याद रखें कि विजेता अलग चीजें नहीं करते हैं; वे बस अलग तरीके से करते हैं.

जीवन में सफल होने के लिए धैर्य रखना और अपने सपनों के लिए समर्पित रूप से कड़ी मेहनत करना महत्वपूर्ण है. जीवन में कुछ भी मुफ्त नहीं है, और इसलिए हमें जीवन में बड़ी चीजें हासिल करने के लिए अपने सभी प्रयास करने और अपनी सीमाओं को चरम तक पहुंचाने की जरूरत है. इसके अलावा, असफलताएं और निराशा वास्तव में हर किसी की यात्रा का हिस्सा होती हैं, और हमें उन्हें वैसे ही स्वीकार करना चाहिए जैसे वे आती हैं. हमें हमेशा वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए और एक बेहतर और सुखद कल बनाने के लिए इसे पूरी सावधानी और समर्पण के साथ करना चाहिए. हमें बोलना कम और काम ज्यादा करना चाहिए. यह न केवल हमें न्यूनतम संभव समय में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि हमारे महत्वपूर्ण कार्यों में निवेश करने के लिए कुछ आवश्यक ऊर्जा भी देगा.

इस तथ्य को समझना जरूरी है कि हमारे पास जो ऊर्जा है वह वास्तव में सीमित है, और इसलिए इसे बुद्धिमानी से उपयोग करना बहुत आवश्यक हो जाता है. व्यक्ति को हमेशा समय की कद्र करनी चाहिए क्योंकि इसी से हमारा जीवन बना है. इसलिए जीवन में बड़ी चीजें हासिल करने के लिए हमें शुरू से ही बेसिक्स पर काम करने और अपने आधार को मजबूत करने की जरूरत है. जीवन में हमेशा याद रखिये- बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन. आँखों में आकाश हो, पांवों तले जमीन..

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युवाओं के प्रेरणाश्रोत विवेकानंद जी

रचनाकार- अशोक पटेल 'आशु'

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उठो जागो, और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए.

ऐसा कहने वाले युग पुरूष,हिन्दू धर्म के संचेतक, हिन्दू धर्म के रक्षक,युवाओं के प्रेरणा स्रोत युवा दिलों की धड़कन स्वामी जी को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित है.

ऐसा मात्र शुभकामनाएँ देना पर्याप्त नही है.

यदि हम उन्हें सच्ची शुभकामनाएँ प्रेषित करना चाहते है तो हमे उनके बताए गए आदर्शों पर चलना होगा.उनके सिद्धांतों पर चलना होगा.उनके बताए गए रास्तों पर चलना होगा.

उन्होंने देश की सेवा,मानव की सेवा,दीन-हीन की सेवा, सनातन धर्म की सेवा,आध्यात्मिक चिंतन को सरोपरी बताया.और युवाओं को इसके लिए प्रेरित भी किया.

स्वामी जी ने देश की सेवा और जनजन में राष्ट्रीयता की भावना भरने हेतु हमेशा तत्पर रहे. उनका मानना था कि साम्प्रदायिकता और कट्टरता से देश का कभी भला नही हो सकता.और वे इसका पूरजोर विरोध भी करते थे.और उनका यही उदार भावना, सहिष्णुता धर्म,राष्ट्रवाद का आधार माना जाता है.

स्वामी जी 'नर की सेवा को नारायण सेवा माना करते थे.'वो कहा करते थे-'नर की सेवा से ही भगवान की भक्ति,आराधना और सेवा हो जाती है.'उन्होंने दीन-हीन गरीब और बीमारों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया यही पवित्र भावना उन्हें महान बनाती है.

स्वामी जी अपने हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु गेरुवा वस्त्र और सर पर पगड़ी धारण कर हमारे देश की संस्कृति,सभ्यता और खोई हुई अस्मिता को बचाने के लिए कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक हिन्दू धर्म की पताका फहराने में कोई कोर कसर नही छोड़ा.तभी तो उन्होंने शिकागो के धर्म सम्मेलन का प्रतिनिधित्व किया.और अपना पहला सम्बोधन-'भाइयों और बहनों'कहकर पूरे विश्व से आये लोगो को चकित कर अपनी ओर आकर्षित कर लिया.यही हमारी हिंदी और हिन्दू धर्म की पहचान थी.

स्वामी जी युवाओं के प्रेरणाश्रोत और उनके दिलों की धड़कन भी रहे.तभी तो उन्होंने कहा-

उठो,जागो और तब तक आगे बढ़ते रहो जब तक तुम्हे लक्ष्य की प्राप्ति नही हो जाती.

उन्होंने देश की प्रगति,और देश के पुनरुथान में युवाओं को जिम्मेदार माना.उन्होंने युवाओं को आह्वान करते हुए कहा करते थे-

युवाओं में शक्ति है,ऊर्जा है,ताकत है,क्षमता है.युवा का दूसरा नाम वायु है.जिसमे सतत आगे बढ़ने की गति और अपार उत्साह और जोश है.

वो यह भी कहा करते थे-

युवाओं को अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए.और उसके लिए कमर कस के भीड़ जाना चाहिए.

स्वामी जी ने राष्ट्रीयता की भावना को जागृत किया,युवाओं को जागृत किया.युवाओं के धर्म को और उनके कर्तव्यों को जागृत किया.

स्वामी जी ने शिक्षा पर भी सारगर्भित बात कही-शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक का शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक विकास हो सके. शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक के चरित्र का निर्माण हो, मन का विकास हो, बुद्धि विकसित हो तथा बालक आत्मनिर्भर बने. बालक एवं बालिकाओं को समान शिक्षा दिया जाना चाहिए.'

इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि स्वामी जी के बारे में जितना भी कहा जाए कम है.स्वामी जी के आदर्श सिद्धान्त और उनके विचार हमेशा प्रासंगिक हैं,और रहेंगे.जो भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा देते रहेंगे.

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समय सबके पास होता है

रचनाकार- शिखा मसीह, कक्षा 7, स्वामी आत्मानंद शेख गफ्फार गवर्नमेंट इंग्लिश मीडियम स्कूल, तारबाहर, बिलासपुर

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समय सबके पास होता है

सबके पास 24 घंटे होते हैं
कुछ लोग समय का उपयोग अच्छे से नहीं करते हैं
हम समय का उपयोग करना सीख जाए तो हमें अपनी जिंदगी में कुछ हासिल होगा
समय बलवान होता है इंसान नहीं यह शायरी सभी के ऊपर लागू है
जो समय का कदर करता है समय उसका कदर करता है
समय को व्यर्थ में जाने दे तो हमें जिंदगी में नुकसान होगा

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10 जनवरी विश्व हिंदी दिवस विशेष

रचनाकार- अशोक पटेल 'आशु', धमतरी

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आज १० जनवरी 'विश्व हिंदी दिवस' है,भारत साहित पूरे विश्व में आज हिंदी दिवस धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. विश्व हिंदी दिवस हम भारतियों के लिए विशेष दिन है क्योंकि एक यही हिंदी है जो सबसे सहज,सरल,शालीन और मर्यादित भाषा है.यही हमारी अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है,हमारे विचार हमारी मनोवृतियाँ,हमारे हाव-भाव,हमारे मनोभावों की सबसे सुंदर माध्यम है.हिंदी के द्वारा हम अपने आचार विचार को सरल सहज रूप में व्यक्त करते हैं.जिसको हर कोई बड़ी आसानी से समझ सकता है.

विश्व हिंदी दिवस को मनाने का कारण-

विश्व हिंदी दिवस मनाये जाने का मात्र एक ही कारण है और वह है,हिंदी का पूरे विश्व में प्रचार-प्रसार करने ताकि इसकी लोकप्रियता बनी रहे.इसका प्रभाव और महत्व हमेशा बढ़ता रहे.हिंदी हमारी सांस्कृतिक विरासत है, हमारी पहचान है,हमारे एकता का परिचायक है.एक मात्र यही हिंदी है जो हमे आपस में एक सूत्र में बाँध के रखती है.हमे मान-सम्मान मर्यादा शालीनता सिखाती है.

विश्व हिंदी दिवस कब से मनाया जा रहा है-

१० जनवरी सन १९७५ को नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हुई.इसके बाद मॉरिशस, त्रिनिदाद और टोबैगो, यूनाइटेड किंगडम, सूरीनाम, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका में ११ ऐसे सम्मलेन भी हुए.इस प्रकार से हिंदी को पूरे विश्व में प्रसार-प्रसार करने के लिए और १० जनवरी को विशेष दिन मानते हुए हमारे देश के तात्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ने २००६ में हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की.उसके बाद विदेश मंत्रालय ने सबसे पहले १० जनवरी को विदेश में विश्व हिंदी दिवस २००६ में मनाया.

और तब से लेकर आज तक १० जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जा रहा है.इसका मूल उद्देश्य यही रहा कि हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाना और इसको अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में दर्जा दिलाना है.

हिन्दी भाषा कहाँ-कहाँ बोली जाती है-

हिंदी भाषा भारत के अलावा नेपाल, गुयाना, मॉरिशस, त्रिनिदाद और टुबैगो, सूरीनाम और फिजी में भी बोली जाती है.यहाँ पर हिंदी दिवस कार्यक्रम धूमधाम के साथ मनाया जाता है.हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हिंदी विषय पर कविता कहानी लेखन प्रतियोगिता कराई जाती है.साथ ही साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.

अंततः यह कहा जा सकता है की हमारी हिंदी हमारी पहचान है,हमारी अभिव्यक्ति है,आइए इसे हम पूरे विश्व में एक अलग पहचान दिलाने हेतु भरसक प्रयास करें,इसका पूरे विश्व में प्रचार-प्रसार करें.ताकि हमारी हिंदी का पूरे विश्व में भी एक अलग पहचान बन सके,और यह जन-जन की भाषा बन सके.

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परीक्षा पे चर्चा

रचनाकार- किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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वैश्विक स्तरपर दुनियां के हर देश के छात्रों के लिए जो अनेक शिक्षा क्षेत्र में अध्यनरत हैं, अनेकों के लिए चिंता मुश्किल व सोचनीय स्थिति तब उत्पन्न हो जाती है जब उनके जीवन पर असर डालने वाले बोर्ड की परीक्षाओं का पल सामने आता है. यह एक ऐसी घड़ी होती है कि अच्छे-अच्छे होशियार छात्र भी उम्मीद के विपरीत स्थिति महसूस करते हैं, या यू कहें कि परीक्षा के प्रति उनकी घबराहट चिंता ही कभी-कभी असफलता का कारण बन जाती है, इसलिए तो हमारे माननीय पीएम महोदय ने 7 वर्ष पूर्व छात्रों के लिए परीक्षा पे चर्चा, सहजता ग्रहण करने परीक्षा पर चर्चा की शुरुआत की गई थी जो आज एक विशाल वटवृक्ष बन चुका है. 29 जनवरी 2024 को होने वाले इस कार्यक्रम में रिकॉर्ड एक करोड़ से अधिक रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं, जो 12 जनवरी 2024 तक अभी चलते रहेंगे.उल्लेखनीय है कि इस सातवें संस्करण के लिए 11 दिसंबर 2023 से इसके रजिस्ट्रेशन शुरू हुए थे, जिसमें छात्र अभिभावक और शिक्षकगण बहुत बड़ी मात्रा में तेजी से रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं, जो अभी से ही इतनी विशाल संख्या में रजिस्टर्ड हो चुके हैं, जिसके और बढ़ाने की संभावना है जो एक एतिहासिक रिकॉर्ड बनेगा. इसीलिए ही परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम की ओर हितग्राहियों का झुकाव वह इसकी लोकप्रियता का अंदेशा लगाया जा रहा है, उससे कहीं अधिक होने की उम्मीद है. क्योंकि पिछले छह संस्करणों में छात्रों शिक्षकों व अभिभावकों को इस कार्यक्रम से अनेक फायदे और संतुष्टि का एहसास हुआ है. चूंकि परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम छात्रों को तनाव से मुक्ति का माहौल देता है, इसलिए आज हमपीआईबी और मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, देश भर के छात्रों अभिभावकों शिक्षकों में परीक्षा पे चर्चा के प्रति व्यापक उत्साह का माहौल बना हुआ है.

साथियों बात अगर हम परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम 2024 को समझने की करें तो, इस वर्ष कार्यक्रम 29 जनवरी 2024 को सुबह 11 बजे से भारत मंडपम, आईटीपीओ, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में टाउन-हॉल प्रारूप में आयोजित किया जाएगा. कार्यक्रम में लगभग 4000 प्रतिभागी प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करेंगे. प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश से दो छात्रों और एक शिक्षक तथा कला उत्सव एवं वीर गाथा प्रतियोगिता के विजेताओं को मुख्य कार्यक्रम के लिए विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जा सकता है. प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए 6 से 12वीं कक्षा के छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए ऑनलाइन बहुविकल्‍प प्रश्‍नोत्‍तर प्रतियोगिता 11 दिसंबर, 2023 से 12 जनवरी, 2024 के बीच माइगोव पोर्टल पर लाइव है. 5 जनवरी, 2024 तक, 90 लाख से अधिक छात्र, 8 लाख से अधिक शिक्षक और लगभग 2 लाख अभिभावक यानी एक करोड़ से ऊपर प्रतिभागी पंजीकरण करा चुके हैं. पीएम के स्कूली छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत कार्यक्रम परीक्षा पे चर्चा 2024 के 7वें संस्करण के लिए, अब तक मायगोव पोर्टल पर 1 करोड़ से अधिक पंजीकरण दर्ज किए गए हैं. यह देश भर में छात्रों के बीच व्यापक उत्साह को दर्शाता है. इस विशिष्ट कार्यक्रम में भाग लेने और पीएम के साथ बातचीत करने के लिए छात्रों में बहुत उत्‍साह है. प्रधानमंत्री ने इस अनूठे कार्यक्रम - परीक्षा पे चर्चा (पीपीसी) की परिकल्‍पना की है - जिसमें देशभर के साथ-साथ विदेशों से भी छात्र, अभिभावक और शिक्षक परीक्षाओं और स्कूल के बाद के जीवन से संबंधित चिंताओं पर चर्चा करने के लिए उनके साथ बातचीत करते हैं. यह आयोजन शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा पिछले छह वर्षों से सफलतापूर्वक आयोजित किया जा रहा है. परीक्षा पे चर्चा युवाओं के लिए तनाव मुक्त वातवरण बनाने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बड़े आंदोलन -एग्जाम वॉरियर्स का हिस्सा है. यह एक ऐसा आंदोलन है जो प्रधानमंत्री के छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और समाज को एक साथ लाने के प्रयासों से प्रेरित है ताकि एक ऐसे माहौल को बढ़ावा दिया जा सके जहां प्रत्येक बच्चे के अद्वितीय व्यक्तित्व का उत्‍सव मनाया जाए, प्रोत्साहित किया जाए और आत्‍माभिव्‍यक्ति की अनुमति दी जाए. प्रधानमंत्री की सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तक एग्जाम वॉरियर्स इस पहल को प्रोत्‍साहित कर रही है. लगभग 2050 प्रतिभागियों का चयन मायगोव पोर्टल पर उनके प्रश्नों के आधार पर किया जाएगा. उन्हें एक विशेष परीक्षा पे चर्चा किट प्रदान की जाएगी जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा लिखित पुस्तक हिंदी और अंग्रेजी में एग्जाम वॉरियर्स और एक प्रमाण पत्र शामिल होगा. 12 जनवरी (विवेकानंद के जन्‍म दिवस) 2024 यानी युवा दिवस से शुरू होकर 23 जनवरी (सुभाष चंद्र बोस के जन्‍म दिवस) 2024 तक मुख्य कार्यक्रम के अग्रदूत के रूप में, स्कूल स्तर पर विभिन्‍न गतिविधियों काआयोजन किया जाएगा जिनमें मैराथन दौड़, संगीत प्रतियोगिता जैसी आनंददायक सीखने की गतिविधियाँ शामिल होंगी. इनमें मीम प्रतियोगिता, नुक्कड़ नाटक, छात्र-एंकर-छात्र-अतिथि चर्चा आदि शामिल हैं. आखिरी दिन, 23 जनवरी 2024 यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती की जयंती पर, देश भर के 500 जिलों में एक चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी. इसके लिए चंद्रयान, भारत की खेल सफलता आदि विषय शामिल होंगे - जो दिखाते हैं कि परीक्षाएं कैसे जीवन का उत्सव हो सकती हैं.

साथियों बात अगर हम माननीय पीएम के पिछले एपिसोड में विचारों की करें तो उन्होंने कहा था, 30-40 साल बाद गर्व होगा पीएम ने आखिर में कहा, था आज जो मेरे सामने हैं, वो नया भारत हैं. 2047 में भारत जब आजादी की शताब्दी मनाएगा, तो आपके पास नेतृत्व होगा. आज से 30-40 साल बाद जब सफलता को चूमेंगे और मैं अगर जीवित रहूंगा तो गर्व से कहूंगा कि यह वही लोग हैं जिनका मुझ जनवरी को दर्शन करने का सौभाग्य मिला था. मैं गर्व करूंगा कि जब आपके हाथ में देश का नेतृत्व होगा. संतोष होगा कि इनसे मैंने बात की थी. परीक्षा जिंदगी नहीं है, परीक्षा जिंदगी में महज एक मुकाम है. आप में से बहुत से लोग हैं, जिन्हें शायद यहां मौका नहीं मिला. मैं उनसे क्षमा चाहता हूं. पीएम ने कहा था, जीवन में हर किसी को कुछ न कुछ जिम्मेदारियां निभानी होती हैं. अगर आप किसी की देखादेखी में कोई काम करते हैं, तो बहुत निराशा हाथ लगेगी. अगर अपने मन का काम करेंगे, तो मजा आएगा. जिंदगी में अगर एकाध एंट्रेंस में रह गए तो क्या. लाखों लोग पीछे रह जाते हैं. लेकिन अगर हम डर के कारण कदम ही न रखें तो उससे बुरा कुछ नहीं. हमेशा अपने अंदर के विद्यार्थी को जीवित रखें. जीवन जीने का यही मार्ग है, नया-नया जानना.

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम छात्रों को तनाव से मुक्ति का सशक्त माहौल देता है.परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम 29 जनवरी 2024 के एतिहासिक रिकॉर्ड बनाने की संभावना-पंजीकरण की 12 जनवरी 2024 अंतिम तारीख.देशभर के छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों में परीक्षा पे चर्चा के प्रति व्यापक उत्साहजनक माहौल है.

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बेटियाँ

रचनाकार- सुधारानी शर्मा, मुंगेली

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बेटियाँ सृष्टि की अनुपम सौगात होती हैं. ईश्वर का वरदान होती है, बेटी शारीरिक रूप से भले ही नाजुक होती है परंतु मानसिक रूप से बहुत मजबूत होती है. उनके पास अतुलित धैर्य होता है कुदरत का अद्भुत वरदान लड़कियाँ होती है ,बुद्धि विद्या का भली भांति उपयोग करना जानती हैं ,बहुत ही भावनात्मक रूप से सोचती समझती हैं, परिवार अभिभावकों के प्रति उनके मन में बहुत ही लगाव और जिम्मेदारी की भावना होती है, जिस घर में बेटियों का मान सम्मान होता है, उन्हें छोटा बड़ा नहीं समझा जाता या जेंडर समानता असमानता की बात नहीं होती , ऐसे घर की लड़कियां बहुत ही प्रगति करती हैं, घर परिवार समाज राष्ट्र में बहुत ही अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करती है, बेटियों को शिक्षित कीजिए, उन्हें अच्छे संस्कार दीजिए, प्रोत्साहित करिए ,उन्हें आत्मनिर्भर बनाये सही गलत का ज्ञान दीजिए ,सुरक्षा की बातें बताइए शारीरिक बदलाव के बारे में, सही ढंग से बात कर उनको स्वस्थ ज्ञान देना चाहिए,समझाइश देकर हम उनका जीवन बहुत अच्छे से सवांर सकते हैं, हर क्षेत्र में बालिकाओं को प्रोत्साहन दिया जाता है अनेक योजनाएं सिर्फ बालिकाओं के लिए ही चलाई जा रही है ताकि यह बच्चियों यह बेटियां पढ़ लिखकर आगे बढ़े ,एवं अपने साथ ही साथ पूरे परिवार की जिम्मेदारी बखूबी निभा सके. बेटियां पढ़ाई भी करे,रूचि का काम करे, साथ ही अन्य कला भी सीखें. यह जिंदगी के किसी न किसी मोड़ पर आपके काम ही आएंगे कोई भी कला व्यर्थ नहीं जाती है यह प्रतिफल जरूर देती है. शारीरिक मानसिक रूप से सभी में कुछ ना कुछ अंतर होता है रूप रंग अच्छा,बुरा,तुलनात्मक,पारिवारिक स्थिति को लेकर कभी भी मन में कोई भ्रम न पालने दे, गोरी ,काली ,सांवली ,यह सब चीज अतीत में चली गई है शिक्षा व्यवहार संस्कार आपको प्रत्येक क्षेत्र में सम्मान दिलाएंगे. बेटियों को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए, बेटियां हर वह काम कर सकती हैं जो एक आम इंसान कर सकता है. बस आवश्यकता है बेटियों को प्यार दुलार देने का, एक पुष्प के रूप में उन्हें पुष्पित पल्लवित होने का अवसर देने का, उनके ऊपर विश्वास कीजिए,उनके साथ मित्रवत व्यवहार करके उनके मन को उनकी सोच, सपने, को समझने जानने की कोशिश करे,बेटियां अपना समय अपने समय का सदुपयोग करें , अच्छे से मन लगाकर पढ़ाई करें मेहनत करें और अपना लक्ष्य , अपना सपना जरूर पूरा करें ,संस्कारो की खुशबू से उनके व्यक्तित्व को और भी उभारे,पहले से तय कर ले उन्हें क्या करना है, कहां जाना है, उनका उद्देश्य क्या है, वह क्या बनना चाहती है क्या करना चाहती है ,उनके लिए क्या करना अच्छा होगा यह सब चीज जानिए सोचिए उसे पाने का अपना उद्देश्य बना लीजिए, और उन्हे घर का ,रसोई का काम, अर्थात खाना बनाना, और घरेलु ,दैनिक जीवन के काम जरूर सिखाये,इसके बगैर पूर्णता अधूरी लगती है, गुणो को ज्यादा महत्व दे, बेटी होना बहुत ही गर्व की बात है. अगर आप एक बेटी हैं तो बेटी होने का क्या महत्व है. अपने सत्कार्यो और सद्व्यवहार से अपने घर परिवार को जरूर ही अवगत कराये, हर पिता अपनी बेटी को बहुत ही स्नेह,अपनत्व, लाड-प्यार से पालन पोषण करता है ,जरा सा भी उसके लिए गलत नही सुन पाता, बाहर से कितना भी भावनात्मक रूप से मजबूत दिखने की कोशिश करता है पर बेटी के लिए उसके मन मे बहुत ही कोमल भावनाऐ होती है अतः सभी बेटियां अपना बेटी होने का फर्ज निभाये,और मेरी बेटी मेरा अभिमान का सपना जरूर सच करके दिखाएं.

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नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य

रचनाकार- प्रियंका सौरभ, हिसार

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नए साल पर अपनी आशाएँ रखना हमारे लिए बहुत अच्छी बात है, हमें यह भी समझने की ज़रूरत है कि आशाओं के साथ निराशाएँ भी आती हैं. जीवन द्वंद्व का खेल है और नया साल भी इसका अपवाद नहीं है. यदि हम 'बीते वर्ष' पर ईमानदारी से विचार करें, तो हमें एहसास होगा कि हालांकि यह आवश्यक नहीं है कि वर्ष ने वह प्रदान किया हो जो हमने उससे चाहा था, लेकिन इसने हमें कुछ बहुमूल्य सीख और अनुभव अवश्य दिए. ये अलग से बहुत महत्वपूर्ण नहीं लग सकते हैं, लेकिन संभवतः ये प्रकृति का हमें उस उपहार के लिए तैयार करने का तरीका है जो उसने हमारे लिए रखा है जिसे वह अपनी समय सीमा में वितरित करेगी. साथ ही, अगर साल ने हमसे कुछ बहुत कीमती चीज़ छीन ली है, तो निश्चित रूप से उसने उसकी समान मात्रा में भरपाई भी कर दी है. वर्ष के अंत में, हमें एहसास होता है कि हमारी बैलेंस शीट काफी उचित है. तो, आइए हम आने वाले वर्ष में इस विश्वास के साथ प्रवेश करें कि नए साल का जादू यह जानने में निहित है कि चाहे कुछ भी हो, हर निराशा के लिए मुआवजा होगा, हर इच्छा की पूर्ति के लिए एक सीख होगी.

नया साल हमारे लिए नया समय ही नहीं बल्कि नए समय के साथ नई उम्मीदें, नए सपने, नया लक्ष्य, नए विचार और नए इरादे लेकर आता है. हम सभी को नए साल की शुरुआत अच्छे और नेक कामों के साथ करनी चाहिए. नया साल हमारे मन के भीतर आशा की नई किरण जगाता है. नया साल तो हर साल आता है लेकिन क्या कभी हमनें ये सोचने की कोशिश की है कि हमने इस साल क्या नया और खास किया जिससे ये साल हमारे लिए यादगार साल बन जाए. हम अपनी जिंदगी में बहुत से उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं और ये जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति के लिए हर साल अच्छा ही जाए या हर साल हर किसी के लिए बुरा ही जाए लेकिन इसका मतलब ये नहीं होता है कि हम बीते कल को भूल जाएं. बीता हुआ कल तो हमें आज के लिए और आने वाले कल के लिए सीख देकर जाता है कि कैसे हम अपने कल को आज से बेहतर बना सकते हैं-

*बीत गया ये साल तो, देकर सुख-दुःख मीत.

क्या पता? क्या है बुना ? नई भोर ने गीत.

जो खोया वो सोचकर, होना नहीं उदास.

जब तक साँसे ये चले, रख खुशियों की आस.*

हर साल, साल-दर-साल, हम अपने दिल में एक गीत और कदमों में वसंत के साथ नए साल में प्रवेश करते हैं. हमें विश्वास है कि जादुई वर्ष अपने साथ हमारी सभी समस्याओं का समाधान लाएगा और हमारी सभी इच्छाएँ पूरी करेगा. चाहे वह सपनों का घर हो, सपनों का प्रस्ताव हो, सपनों की नौकरी हो, सपनों का साथी हो, सपनों का अवसर हो.. और भी बहुत कुछ बेहतर हो. लेकिन जैसे-जैसे साल शुरू होता है और हम जो कुछ भी सामने आता है उससे निपटते हैं, नए साल की नवीनता, नए संकल्प, नई शुरुआत पहली तिमाही तक लुप्त होने लगती है. वर्ष के मध्य तक हम बहुत अधिक सामान्यता और कई फीकी आशाओं की चपेट में होते हैं, जो उस वादे से बहुत दूर है जिसके साथ हमने शुरुआत की थी. और आखिरी तिमाही तक हम अपनी वास्तविकता से इतने अभिभूत हो जाते हैं कि हम साल खत्म होने का इंतजार नहीं कर सकते. हम वर्तमान वर्ष को छोड़ते हुए और एक और 'नया साल' मनाने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाते हैं और शुभकामनाएं बांटते है-

*बाँट रहे शुभकामना, मंगल हो नववर्ष.

आनंद उत्कर्ष बढ़े, हर चेहरे हो हर्ष.

गर्वित होकर जिंदगी, लिखे अमर अभिलेख.

सौरभ ऐसी खींचिए, सुंदर जीवन रेख.*

नववर्ष वह समय है जब हमें अचानक लगता है कि, ओह, एक साल बीत गया. हम कुछ पलों के लिए स्तब्ध हो जाते हैं कि समय कितनी जल्दी बीत जाता है, और फिर हम वापिस अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं. मजेे की बात यह है कि ऐसा साल में लगभग एक बार तो होता ही है. यदि हम आश्चर्य के इन क्षणों की गहराई में जाएं, तब हम पाएंगे कि हमारे भीतर कुछ ऐसा है जो सभी घटनाओं को साक्षी भाव से देख रहा है. हमारे भीतर का यह साक्षी भाव अपरिवर्तित रहता है और इसीलिए हम समय के साथ बदलती घटनाओं को देख पाते हैं. जीवन की वे सभी घटनाएं जो बीत चुकी हैं, एक स्वप्न बन गई हैं. जीवन के इस स्वप्न-जैसे स्वभाव को समझना ही ज्ञान है. यह स्वप्न अभी इस क्षण भी चल रहा है. जब हम यह बात समझते हैं तब हमारे भीतर से एक प्रबल शक्ति का उदय होता है और फिर घटनाएं व परिस्थितियां हमें हिलाती नहीं हैं. हालांकि, घटनाओं का भी जीवन में अपना महत्व है. हमें घटनाओं से सीखना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए. नया साल नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य और नए आइडिया की उम्मीद देता है, इसलिए सभी लोग खुशी से बिना किसी मलाल के इसका स्वागत करते हैं-

*आते जाते साल है, करना नहीं मलाल.

सौरभ एक दुआ करे, रहे सभी खुशहाल.

छोटी सी है जिंदगी, बैर भुलाये मीत.

नई भोर का स्वागतम, प्रेम बढ़ाये प्रीत.*

हालाँकि नए साल पर अपनी आशाएँ रखना हमारे लिए बहुत अच्छी बात है, हमें यह समझने की ज़रूरत है कि आशाओं के साथ निराशाएँ भी आती हैं. जीवन द्वंद्व का खेल है और नया साल भी इसका अपवाद नहीं है. यदि हम 'बीते वर्ष' पर ईमानदारी से विचार करें, तो हमें एहसास होगा कि यह आवश्यक नहीं है कि वर्ष ने वह प्रदान किया हो जो हमने उससे चाहा था, लेकिन इसने हमें कुछ बहुमूल्य सीख और अनुभव अवश्य दिए. ये अलग से बहुत महत्वपूर्ण नहीं लग सकते हैं, लेकिन ये संभवतः प्रकृति का हमें उस उपहार के लिए तैयार करने का तरीका है जो उसने हमारे लिए रखा है जिसे वह अपनी समय सीमा में वितरित करेगी. साथ ही, अगर साल ने हमसे कुछ बहुत कीमती चीज़ छीन ली है, तो निश्चित रूप से उसने उसकी समान मात्रा में भरपाई भी कर दी है. वर्ष के अंत में, हमें एहसास होता है कि हमारी बैलेंस शीट काफी उचित है. तो, आइए हम आने वाले वर्ष में इस विश्वास के साथ प्रवेश करें कि नए साल का जादू यह जानने में निहित है कि चाहे कुछ भी हो, हर निराशा के लिए मुआवजा होगा, हर इच्छा की पूर्ति के लिए एक सीख होगी, दर्द-दुखों का अंत होगा, अपनेपन की धूप होगी-

*छँटे कुहासा मौन का, निखरे मन का रूप.

सब रिश्तों में खिल उठे, अपनेपन की धूप.

दर्द- दुखों का अंत हो, विपदाएं हो दूर.

कोई भी न हो कहीं, रोने को मजबूर.*

नए साल पर अपने लिए लक्ष्य निर्धारित कर लें. छात्र हों या नौकरीपेशा, सभी के लिए कोई न कोई लक्ष्य होना जरूरी होता है. भविष्य को बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकते हैं और किस दिशा में प्रयास करना है, इन सब का निर्धारण करने के बाद उसे पूरा करने का संकल्प ले लें. आपका संकल्प हमेशा लक्ष्य को पूरा करने की याद दिलाता रहेगा. सभी 'नए साल' को जीवनकाल से जोड़ते हैं और हमारा जीवनकाल आशाओं और निराशाओं, सफलताओं और असफलताओं, खुशियों और दुखों के बारे में है और यह वर्ष भी कम जादुई नहीं होगा. तो इस वर्ष आप अपने संकल्पों को कैसे पूरा कर सकते हैं? इस बारे सोच समझकर आगे बढिये, दूसरों से समर्थन मांगें, अपने मित्रों और परिवार से आपका उत्साह बढ़ाने के लिए कहें. उन्हें अपने लक्ष्य बताएं और आप क्या हासिल करना चाहते हैं. अपने लिए एक इनाम प्रणाली बनाएं, अल्पकालिक लक्ष्य निर्धारित करें और उन्हें पूरा करने के लिए स्वयं को पुरस्कृत करें. अपने ऊपर दया कीजिये, कोई भी एकदम सही नहीं होता. अपने आप को कोसने की बजाय गहरी सांस लें और नव उत्कर्ष के प्रयास करते रहें- *खोल दीजिये राज सब, करिये नव उत्कर्ष.

चेतन अवचेतन खिले, सौरभ इस नववर्ष.

हँसी-खुशी, सुख-शांति हो, खुशियां हो जीवंत.

मन की सूखी डाल पर, खिले सौरभ बसंत.*

ऐसा माना जाता है कि साल का पहला दिन अगर उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाए, तो पूरा साल इसी उत्साह और खुशियों के साथ बीतेगा. हालांकि भारतीय परम्परा के अनुसार नया साल एक नई शुरुआत को दर्शाता है और हमेशा आगे बढऩे की सीख देता है. पुराने साल में हमने जो भी किया, सीखा, सफल या असफल हुए उससे सीख लेकर, एक नई उम्मीद के साथ आगे बढऩा चाहिए. ताकि इस वर्ष की एक सुखद पहचान बने-

*खिली-खिली हो जिंदगी, महक उठे अरमान.

आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान.

छेड़ रही है प्यार की, मीठी-मीठी तान.

नए साल के पँख पर, खुशबू भरे उड़ान.

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