अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी–

अंगूर खट्टे हैं

AkFeb23

एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी. एक दिन वह भूखी-प्यासी भोजन की तलाश में जंगल में भटक रही थी.

भटकते-भटकते सुबह से शाम हो गई, लेकिन वह शिकार प्राप्त न कर सकी. शाम होते-होते वह जंगल के समीप स्थित एक गाँव में पहुँच गई. वहाँ उसे एक खेत दिखाई पड़ा. भूख से बेहाल लोमड़ी खेत में घुस गई.

वहाँ एक ऊँचे पेड़ पर अंगूर की बेल लिपटी हुई थी, जिसमें रसीले अंगूर के गुच्छे लगे हुए थे. अंगूर देखते ही लोमड़ी के मुँह से लार टपकने लगी. वह उन रस भरे अंगूरों को खाकर तृप्त हो जाना चाहती थी. उसने अंगूर के एक गुच्छे पर अपनी दृष्टि जमाई और जोर से उछली.

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

लेकिन अंगूर के गुच्छे काफी ऊॅ॑चाई पर थे.लोमड़ी पुनः उछलकर गुच्छे तक पहुँचने की कोशिश करने लगी.लेकिन अंगूर तक वह पहुँच ही नहीं पाई.उन्होंने खेत के चारों ओर लकड़ी का घेरा लगा हुआ था.उस पर भी चढ़कर गुच्छे को पाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उसने अपनी पूरी शक्ति लगा दी.फिर भी अंगूरों तक नहीं पहुँच पाई.

तब उसने अपने आप को समझाया.अगर मुझे अंगूर खाने को नहीं मिले तो,कोई बात नहीं.शायद इससे भी अच्छी कोई चीज मुझे खाने को मिलने वाली है.वैसे भी यह अंगूर,अभी तक पके भी नहीं है.ऊपर से हरे-हरे दिखाई दे रहे हैं खट्टे हैं.... खट्टे!

तभी पास में पेड़ पर बैठा हुआ तोता लोमड़ी को देखकर कहा-'लोमड़ी मौसी,अंगूर खट्टे हैं.. खट्टे!'लोमड़ी को समझने में देर नहीं लगी.क्योंकि तोता उसे अंगूर नहीं पाने के कारण चिढ़ा रहा था.तुझे अभी देखती हूँ.ऐसा कहकर लोमड़ी ने तोता को मारने के लिए पास में पड़ा हुआ पत्थर को उठाने नीचे झुका,सहयोग से वहीं पर रस्सी पड़ा हुआ था.लोमड़ी का विवेक जगा.उसने तोता को मारने के बजाय,जल्दी से उस पत्थर में रस्सी को लपेटकर उसे गोल-गोल घूमाते हुए अंगूर के गुच्छे के ऊपर फेंक दिया.वह पत्थर गुच्छे को लपेट लिया.लोमड़ी ने थोड़ी बल लगाकर खींचा.अंगूर के गुच्छे नीचे गिर गया.उन्होंने अपने परिश्रम और बुद्धि के बल पर अंगूर को पानी में सफल हुआ. तब तोता ने कहा-'लोमड़ी मौसी! जो भी व्यक्ति सतत रूप से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिएअपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए परिश्रम करते हैं,उसे सफलता जरूर मिलती है.'जो आज मैंने आपको देखा.मौसी जी अब आप बताइए अंगूर कैसे हैं?तभी लोमड़ी ने हंसते हुए कहा-अंगूर खट्टे नहीं बल्कि बहुत ही मीठे.... मीठे हैं.

बच्चों इस कहानी से हमने समझा कि लोमड़ी अपने बुद्धि का उपयोग करते हुए अंगूर को पाने के लिए सतत प्रयास करते रहे.फल स्वरुपअंत तक अंगूर को हासिल कर ही लिए.इसी की तरह हमें भी पढ़ाई या अन्य कार्यों में योजना बनाते हुए सतत रूप से मेहनत करनी चाहिए ताकि हमें भी सफलता प्राप्त हो जाए.

राज कुमार साहू पथरिया द्वारा भेजी गई कहानी

लेकिन उसके हाथ अंगूर तक नहीं पहुंचे, और वह धड़ाम से नीचे गिर गई ठीक उसी समय एक खरगोश वहां से गुजर रहा था और यह सब देख कर मुस्काते हुए पूछा कि क्यों लोमड़ी बहन अंगूर कैसे हैं तब लोमड़ी सकुचाते हुए बोली अंगूर खट्टे हैं.

गौरव पाटनवार, कक्षा 3 री, केन्द्रीय विद्यालय 4 कोरबा द्वारा भेजी गई कहानी

वह अंगूर तक पहुंचने के लिए दोबारा उछलने लगी परंतु वह अंगूरों तक नहीं पहुंच सकी जिसकी वजह से निराश थी तब लोमड़ी ने अपने मन को शांत करने के लिए कहा की यह अंगूर बहुत खट्टे हैं मैं इन्हें खाकर बीमार नहीं पड़ना चाहती.

योगेश्वरी तंबोली जांजगीर द्वारा भेजी गई कहानी

लोमड़ी जब भूख से परेशान होकर भटक रही थी. अचानक उसकी नजर अंगूर के बेल पर पड़ी लेकिन बेल पेड़ के ऊपर थी.अंगूर बहुत रसीले एवं ताजे दिख रहे थे.जिसे खाने के लिए वह पेड़ के पास पहुंची और अंगूर को पकड़ने के लिए जैसे ही वह उछली नीचे जमीन पर गिर पड़ी उसे अंगूर नहीं मिला. कई कोशिश करने के बाद भी उसे जब अंगूर नहीं मिला तो वह उदास होकर बैठ गई और कहने लगी यह अंगूर खट्टे हैं. तभी अचानक उसकी नजर उस पेड़ पर बैठी गिलहरी पर पड़ी. लोमड़ी ने सोचा शायद गिलहरी उसकी कुछ मदद कर सकती है इसलिए उसने गिलहरी को अपने भूख के बारे में बताया कि उसने कई दिनों से कुछ नहीं खाया है.गिलहरी से कहने लगी कि क्या तुम मेरी मदद करोगी मुझे कुछ खाने का दे सकती हो तब गिलहरी ने कहा हां लोमड़ी बहन जरूर चलो हम दोनों मिलकर यह रसीले अंगूर तोड़ते हैं. लोमड़ी और गिलहरी दोनों मिलकर अब अंगूर तोड़ने लगे गिलहरी ऊपर पेड़ पर चढ़कर अंगूर नीचे गिराती और लोमड़ी उसे उठाती जाती इस तरह दोनों मिलकर ताजे और मीठे अंगूर खाने लगे. लोमड़ी और गिलहरी में अच्छी दोस्ती हो गई. अंगूर खाने के बाद दोनों जंगल की सैर के लिए निकल गए.

श्रीमती ज्योती बनाफर, बेमेतरा द्वारा भेजी गई कहानी

पर वह अंगूर तक नहीं पहुँच पायी. अब वह सोचने लगी कि कैसे इन अंगूरों तक पहुंच सकूं. इतने में ही वहां एक बंदर आया और लोमड़ी उस बंदर से बोली अरे बंदर भैया आप आज अचानक जंगल में कैसे घूम रहे हैं. बंदर ने उसकी बात सुनी और अकड़ कर कहा 'क्यों ,क्या यह जंगल मेरा नहीं है'. यह सुनकर लोमड़ी बोली अरे नाराज क्यों होते हो भैया जंगल तो पूरा आपका ही है.देखो तो ऊपर कितने सुंदर अंगूर लगे हुए हैं. बंदर ने अंगूर के गुच्छे को देखा फिर कुछ सोचने लगा. उसने लोमड़ी से कहा इस बार मैं तुम्हारी बातों में आने वाला नहीं हूं. मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं करूंगा क्योंकि तुम्हारे पूर्वजों ने हमारे पूर्वजों को बहुत सताया है. लोमड़ी ने बहुत ही प्यार से कहा अरे भैया ऐसी बात नहीं है. अभी कुछ ही देर पहले मैंने देखा कि एक चिड़िया आई और वह इन अंगूरों को खाई और अंगूर को खाते ही थोड़ी देर बाद वह उड़ने लगी और कुछ दूर जाकर के फड़फड़ा कर गिर गई.जब मैं वहां जाकर देखी तो वह चिड़िया मर चुकी थी.मुझे डर सताने लगा क्योंकि यह अंगूर के गुच्छे बहुत ज्यादा खट्टे होने के कारण जहरीले हो गए हैं और यहां तक बाकी जानवर तो कभी नहीं पहुंच सकेंगे. पर हमारे बंदर भाई कहीं इन अंगूरों को खा लिए तू बेकार में ही उनकी अकाल मृत्यु हो जाएगी. यह सोचकर मैं अंगूर के गुच्छों को देखकर बहुत घबरा रही हूं.लोमड़ी की बात सुनकर बंदर ने सोचा लोमड़ी बहन कह तो सही रही है. हमारे बंदरों का दल कहीं अंगूरों पर टूट पड़ा तो आज सर्वनाश हो जाएगा.बंदर ने आव देखा न ताव पेड़ पर चढ़ गया और सारे अंगूर के गुच्छों को फटाफट तोड़कर नीचे फेंकने लगा. लोमड़ी की आंखों में चमक आ गई.जैसे ही बंदर ने सारे गुच्छे तोड़कर नीचे फेंक डाले.लोमड़ी मजे से बैठकर अंगूर खाने लगी.बंदर को समझते देर ना लगी वह अपना सा मुँह लेकर वहां से चला गया.

श्रीमती सुनीता सिंह राजपूत, बेमेतरा द्वारा भेजी गई कहानी

एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी. एक दिन लोमड़ी ने गहरी जामुनी रंग के अंगूर देखकर अंगूर खाने की इच्छा जाहिर की. लोमड़ी को यह अंदाजा तो हो गया था कि यह अंगूर एकदम पके हुए और खाने के लिए एकदम तैयार है.

जब लोमड़ी ने अपने मुंह में अंगूर पकड़ने के लिए ऊंची ऊंची छलांग लगाई. लेकिन वह अंगूर तक नहीं पहुँच पाई. बहुत कोशिश के बाद भी वह अंगूर नही खा पाई क्योकि लोमडी बहुत भूखी थी. और अन्त में लोमड़ी ने कहा कि अंगूर खट्टे है करके वापस जंगल की और चली गई.

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी हार नहीं मानना चाहिए.

श्रीमती राजकिरण मिश्रा, बेमेतरा द्वारा भेजी गई कहानी

उसने अंगूर के एक गुच्छे पर दृष्टि जमाई जोर से उछली पर वह अंगूर तक नहीं पहुंच पाई फिर से उछलती है लेकिन वह अंगूर तक नहीं पहुंचती तो वह आलस में कहती है अंगूर खट्टे हैं,रहने देती हूं कुछ दूसरा खा लेती हूं. ऐसा सोच कर वहां से चली जाती है और दूसरा खाने का सोचती है और उसे कुछ हड्डियां मिलती है उसे वह चाटते रह जाती है इसी बीच कुछ बंदर उस अंगूर को खाने लगते हैं अंगूर काफी रसीले व मीठे थे कुछ अंगूर नीचे गिर जाते हैं वापस आते समय लोमड़ी गिरे हुए अंगूर को खाती है तब सोचती है मैंने आलस में ही अंगूर को खट्टे समझ लिया यह तो बहुत रसीले और मीठे हैं ऐसा सोचकर बहुत पछताती हैं.
सीख _ हमे किसी भी कार्य को आलस के कारण अधूरा नही छोड़ना चाहिए निरंतर प्रयास से निश्चित सफलता मिलती है.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

सच्ची शिक्षा

AKmarch24

प्रवीण नाम का एक छोटा लड़का था. उसे तरह-तरह की युद्ध-कलाएं सीखने का बहुत शौक था. उसने एक योद्धा का बहुत नाम सुना था. लोग कहते थे कि उनके जैसा तलवार चलाने वाला आज तक नहीं हुआ.

प्रवीण के मन में इच्छा हुई कि उनके पास जाकर तलवार चलाने की शिक्षा ली जाए.

वह उस शहर की ओर चल पड़ा, जहाँ वे रहते थे.

प्रवीण ने योद्धा के पास जाकर विनती की कि वे उसे शिष्य बना लें. योद्धा ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली. उन्होंने प्रवीण से कहा कि तलवारबाजी सीखने के कुछ नियम हैं. उसे उन नियमों का पालन करना होगा.

प्रवीण ने स्वीकार कर लिया.

इसके आगे क्या हुआ होगा? इस कहानी को पूरा कीजिए और इस माह की पंद्रह तारीख तक हमें kilolmagazine@gmail.com पर भेज दीजिए.

चुनी गई कहानी हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

Visitor No. : 6794849
Site Developed and Hosted by Alok Shukla