कहानी पूरी करो
पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिए दी थी –
अनोखी तरकीब
बहुत पुरानी बात है. एक अमीर व्यापारी के यहाँ चोरी हो गयी. बहुत तलाश करने के बावजूद सामान न मिला और न ही चोर का पता चला. तब अमीर व्यापारी शहर के काजी के पास पहुँचा और चोरी के बारे में बताया.
सब कुछ सुनने के बाद काजी ने व्यापारी के सारे नौकरों और मित्रों को बुलाया. जब सब सामने पहुँच गए तो काजी ने सब को एक-एक छड़ी दी. सभी छड़ियाँ बराबर थीं. न कोई छोटी न बड़ी.
सब को छड़ी देने के बाद काजी बोला, “इन छड़ियों को आप सब अपने अपने घर ले जाएँ और कल सुबह वापस ले आएँ’’.
इस कहानी को बहुत से लोगों ने पूरा करके भेजा है. उसमें से कुछ हम नीचे दे रहे हैं.
दिलकेश मधुकर व्दारा पूरी की गई कहानी
काजी ने कहा कि यह छड़ी जादुई छड़ी है. जिसने भी चोरी की है उसकी छड़ी रातभर में एक उंगली बढ़ जाएगी. अगले सुबह सभी नौकर अपने अपने छड़ी के साथ उपस्थित हुए. काजी ने सभी की छड़ियां ले ली और चोर को पकड़ लिया. काजी ने कहा कि यह चौकीदार ही चोर है. यह बात सुनकर सभी अचम्भित भाव से काजी की ओर देखने लगे. अमीर व्यापारी ने पूछा आपको कैसे पता चला? तब काजी ने कहा कि चौकीदार की छड़ी एक उंगली छोटी है. इसने सोचा कि यह जादुई छड़ी अपने आप बढ़ जाएगी जिससे वह पकड़ में आ जाएगा. यह सोचकर चौकीदार ने छड़ी को काट दिया. यह छड़ी कोई जादुई छड़ी नहीं है. यह साधारण छड़ी है. चोर को पकड़ने के लिए मैंने यह तरकीब निकाली थी. आखिरकार चोर पकड़ा गया. चौकीदार पकड़े जाने पर व्यापारी और काजी से क्षमा मांगी और पूरा धन यथावत वापस कर दिया. व्यापारी ने काजी को धन्यवाद दिया.
डॉ॰ माया गुप्ता व्दारा पूरी की गई कहानी
क़ाज़ी ने यह भी कहा, “मैंने सभी को समान लंबाई की छड़ी दी है। जिसने चोरी की है उसकी छड़ी सुबह तक दो इंच लंबी हो जाएगी.’’ व्यापारी के सभी मित्र व नौकर छड़ी लेकर अपने-अपने घर चले गए और आराम से सो गए. व्यापारी के ही एक नौकर ने चोरी की थी. उसने छड़ी ले जाकर अपने घर में रख दी और सोने की कोशिश करने लगा. किन्तु उसे नींद नहीं आ रही थी. उसे डर था कि उसकी छड़ी रात भर में ज़रूर दो इंच लंबी हो जाएगी. काफी देर करवटें बदलने और सोच विचार करने के बाद उसे एक उपाय सूझा. यदि मैं अपनी छड़ी को काटकर दो इंच छोटी कर दूँ तो मेरी छड़ी भी सबके बराबर ही रहेगी, बड़ी नहीं, और मेरी चोरी पकड़ी ही नहीं जाएगी. वह छड़ी को दो इंच काटकर वह चिंता मुक्त होकर सो गया. अगले दिन क़ाज़ी ने सबकी छड़ी नापी. चोर की छड़ी दो इंच छोटी निकली. इस प्रकार क़ाज़ी ने अपनी बुध्दिमानी से चोर को पकड़ लिया.
अगले अंक के लिये अधूरी कहानी - मालपुए
लेखक - गुलजार बांधे
एक बार की बात है एक गांव में एक बूढ़ा आदमी रहता था. एक दिन वह जंगल में लकडी काटने गया. लकड़ी काटने के बाद वह घर चलने लगा. चलते-चलते वह बहुत थक गया. तभी उसे एक आदमी मिला. बूढ़े ने उस आदमी से कहा – बेटा तुम इस लकड़ी के गट्ठर को घर पहुंचा दो तो तुम्हे. एक चीज़ दूंगा.
उस आदमी ने लकड़ी का गट्ठर बूढ़े के घर पहुंचा दिया. बूढ़े बाबा ने उस आदमी को मालपुए दिए. फिर बूढ़े ने उस आदमी को बताया कि झाड़ी के पीछे एक गुफा है जिसमें तीन बौने रहते हैं. उसने कहा कि उन बौनो को मालपुए बहुत पसंद है. बूढ़े ने कहा कि मालपुए उन बौनों को दे देना. वे तुम्हे एक चक्की देंगे जिससे तुम अमीर बन जाओगे.
इस मज़ेदार काहनी आपको पूरा करके हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दीजिये. अच्छी कहानियां हम अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.