कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिए दी थी –

अधूरी कहानी – जादूई कछुआ

सर्दियों की दोपहर में एक छोटा लड़का तालाब के पास नीम के पेड़ के नीचे बैठा था. वह लड़का बहुत उदास था. नदी के पानी को देखते-देखते उसकी आँखों में मोटे-मोटे आंसू आने लगे. अचानक उसने देखा कि एक कछुआ तैरता हुआ उसके पास आ रहा था. वह कछुआ धीरे-धीरे तैर रहा था.

जब वह कछुआ तालाब के किनारे पहुचा, तब तक छोटे लडके ने रोना बंद कर दिया था. लडके ने कछुए से कहा – ‘‘तुम कैसे हो? आज मेरी अध्यापिका ने मुझे मेरी रिपोर्ट कार्ड दि‍या. मैंने अच्छी पढाई नही की इसलिये मेरा रिज़ल्ट भी बहुत गंदा आया है. मेरी माँ मेरे रिज़ल्ट को देखकर बहुत दुखी होगी. शायद वह मुझसे गुस्सा भी हो जायेगी. अब मै क्या करूं”

कछुआ लडके की बात ऐसे सुनने लगा जैसे उसे सब कुछ समझ आ रहा हो. लड़के ने आगे कहा “अगर मै अपने नम्बर ना बताऊं तो मेरी माँ उदास नही होगी. हां मै यही करूंगा.” लड़का अपनी समस्या का हल सोचकर संतुष्ट हुआ. उसके चेहरे पर थोड़ी हंसी आ गयी. वह खड़ा हुआ और घर जाने के लिए तैयार हो गया. तभी उसे कछुए की आवाज सुनाई दी -

इन्द्रभान सिंह कंवर व्दारा पूरी की गई कहानी

कछुये ने उसे रुकने को कहा. वह लड़का रुका तब कछुये ने कहा – ‘तुम्हारी बातों से तो लगता है कि तुम अपनी माँ से बहुत प्यार करते हो. उसे उदास नही देख सकते.’ लड़के ने हामी भरते हुए कहा – ‘जी हाँ मैं अपनी माँ को उदास नही देख सकता.’ तब कछुये ने कहा ज़रा सोचो, अगर तुम अपनी माँ से झूठ बोलोगे, और यदि उसे सच्चाई पता चली तो वह और भी दुखी होगी. वह तो तुमसे और भी ज्यादा नाराज़ होगी. क्यों न तुम अपनी माँ को सब सच बता दो और उसे विश्वाश दिलाओ कि अगली बार और ज़्पयादा मेहनत करोगे. तुम्हारी माँ भी तुमसे बहुत प्यार करती है. वह यह सच जानकर तुम्हें कुछ नही कहेगी. उसके लिये तुम्हारे अंक मायने नही रखते तुम्हारा विश्वास मायने रखता है.

लड़के ने कछुये की बात को ध्यान से सुना और कहा – ‘मित्र तुमने सच कहा. थोड़े समय के लिये डर के कारण मैं मार्ग से भटक गया था पर तुमने मुझमे आत्मविश्वास जगाया. अब चाहे जो भी हो मैं माँ को सच ही बताऊंगा और अगली बार अच्छे अंक लाकर माँ को खुश कर दूँगा. उसके बाद वह लड़का घर चला गया. उसने अपनी माँ को सब कुछ सच-सच बताया. माँ ने अपने लाल को कुछ नही कहा, बल्कि‍ प्यार से गले लगाया और आशीर्वाद दिया. संदेश - मित्रो इस समय परीक्षा परिणाम का समय चल रहा है. कम अंक पाने वाले छात्र उदास न हों और कुछ भी गलत कार्य न करें, क्योंकि माता पिता के लिये आपका विश्वास ही सब कुछ है. साथ ही ऐसे छात्रों को हतोत्साहित न करें बल्कि‍ उनके लिये जादुई कछुआ बनकर उनको प्रोत्साहित करें.

नेहा पैगवार व्दारा पूरी की गई कहानी

तभी कछुए की आवाज सुनाई दी. कछुए ने कहा – ‘रुक जाओ. तुम्हारी इस समस्या का समाधान मैं कर सकता हूं.’ लड़के ने बोला – ‘कृपया बताएं.’ कछुए ने कहा – ‘तुम अपने रिपोर्ट कार्ड की सच्चाई मां को जाकर बता दो.’ तब लड़के ने बोला –‘नहीं मां बहुत उदास एवं दुखी होंगी. मेरी मां मुझे बहुत प्यार करती हैं. मैं उन्हें नाराज नहीं कर सकता.’

तब जादुई कछुए ने कहा – ‘ठीक है, पर तुमने पढ़ाई की होती तो मां से झूठ कहने व नाराज करने की जरूरत नहीं पड़ती. लड़के ने कहा – ‘काश! मैं अच्छे से पढ़ता तो मेरा रिपोर्ट कार्ड खराब नहीं आता. मां मुझ पर बहुत भरोसा करतीं हैं. उनके अलावा मेरा कोई नहीं.’

कछुए को लड़के की बात सुनकर दया आ गई. उसने लड़के से कहा – ‘उदास न हो बच्चे. अगर तुम मुझे अगली बार थोड़ा-थोड़ा, धीरे-धीरे रोज पढ़कर अच्छे नंबर लाकर दिखाओगे, तो मैं अभी तुम्हारे रिपोर्ट कार्ड को अपने जादू से अच्छा बना सकता हूं.’ लड़का खुश होकर बोला – ‘मैं वादा करता हूं. अच्छे से मेहनत करूँगा. आखिरी परीक्षा मे बहुत अच्छे नंबर लाऊँगा.’ कछुए ने वादा लिया कि स्कूल मे वह अपने साथियों और शिक्षक का साथ लेगा. निरंतर प्रयास करेगा. उसने वादा किया. बोला – ‘रोज मैं पढ़ाई करूँगा और एक घंटे इस तालाब के किनारे आकर पढूंगा.’ फिर जादू से कछुए ने रिपोर्ट कार्ड अच्छा नंबर वाला बना दिया. फिर लड़का घर चला गया. मां को रिपोर्ट कार्ड दिखाया. मां बहुत खुश हुई परंतु लड़का मन ही मन लज्जित महसूस कर रहा था.

उसने ठानी-अब से रोज अच्छे से पढ़ेगा. वह नित मेहनत करने लगा. अब आखिरी परीक्षा भी हो गई. परिणाम का दिन आया. परिणाम के एक दिन पूर्व वह तालाब के किनारे उदास बैठा था. कछुए ने कहा – ‘अब क्या हुआ.’ लड़का बोला – ‘कल परिणाम आने वाला है. कहीं रिपोर्ट कार्ड खराब आया तो मैं........’ तब जादुई कछुए ने बोला – ‘देखो! तुमने अपनी पिछली गलती को भूलकर आगे निरंतर मेहनत की है. तुम अवश्य ही अच्छे नंबर लाओगे. मुझे पूर्ण भरोसा है.’

जब अगले दिन वह रिपोर्ट कार्ड लेने गया तो सभी उसे बधाई देने लगे. शिक्षक ने कहा- ‘तुमने कक्षा मे प्रथम स्थान प्राप्त किया है. अब तुम ऐसे ही निरंतर प्रयास करते रहना.’ खुशी से वह फूला नहीं समा रहा था.

वह रिपोर्ट कार्ड लेकर सीधे कछुए के पास गया. लड़के की आंखों मे खुशी के आंसू थे. उसने कछुए को बताया कि उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया है. ‘अगर तुमने मेरी समय पर आंखें न खोली होती एवं साथ न दिया होता तो मै आज अच्छे नंबर न ला पाता. बहुत-बहुत धन्यवाद.’ कछुए ने कहा – ‘तुम बहुत मेहनती व अच्छे बच्चे हो. तुम हमेशा मेहनत करना, आगे बढ़ना.’ ऐसा कहकर कछुआ हमेशा के लिए वहां से चला गया. लड़के ने मां को पूरी बात बताई. मां बहुत खुश हुई. बोली – ‘बेटा, अपनी स्वयं की मेहनत से कोई भी आगे बढ़ सकता है. तुमने मुझे झूठा रिपोर्ट कार्ड दिखाया था, परंतु उस कछुए ने सही मार्गदर्शन दिया तो तुम आज सफल हुए. याद रखना झूठ कुछ समय के लिए सुख दे सकता है, परंतु ईमानदारी और मेहनत से किया गया कार्य सफलता एवं स्थायी खुशी और आत्मसंतुष्टि प्रदान करता है.’ बच्चे ने मां को गले से लगा लिया.

सीख- मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है. देर से ही सही पर ईमानदारी, धैर्यपूर्वक, लगन से किया गया कार्य हमेशा सफलता का मार्ग सुनिश्चित करता है.

अगले अंक के लिये इस मज़ेदार कहानी को पूरा करके हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दीजिये. अच्छी कहानियां हम अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

अधूरी कहानी – कबूतर और बहेलिया

जंगल में एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। उस पर तरह-तरह के पक्षी रहते थे। एक दिन एक बहेलिए ने आकर उस पेड़ के नीचे अपना जाल फैला दिया और दाने डालकर स्वयं उस विशाल पेड़ के पीछे छिपकर बैठ गया.

कुछ समय बाद उधर से कबूतरों का एक झुंड आता दिखाई दिया। बहेलिए की खुशी का ठिकाना न रहा। धीरे-धीरे सारे कबूतर दानों के लालच में आकर उस स्थान पर बैठ गए, जहां पर जाल बिछा हुआ था.

कुछ समय बाद सभी कबूतर बहेलिए के बिछाए जाल में फँस गये। कबूतरों में उनका राजा चित्रग्रीव भी था। दूर से बहेलिए को आता देख चित्रग्रीव ने कहा, ‘‘मित्रों यह हमारे लिए संकट की घड़ी है। किन्तु हमें घबराना नहीं चाहिए। संकट की इस घडी का हमें मिलकर मुकाबला करना चाहिए। तभी इस संकट से छुटकारा मिल सकता है.

Visitor No. : 6751823
Site Developed and Hosted by Alok Shukla