चित्र देखकर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको कहानी लिखने के लिये यह चित्र दिया था –

इस चित्र पर हमें कई मज़ेदार कहानियां मिली हैं. उनमें से दो को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं –

जादुई चिड़िया और दूधवाला

लेखक- इंद्रभान सिंह कंवर

एक था दूधवाला जो दूध लेकर प्रतिदिन बगीचे से गुजरता था. उसी बगीचे की एक पेड़ पर जादुई चिड़िया रहती थी, जो बहुत ही सुंदर गाना गाती थी. दूधवाला जब भी उसके पास से गुजरता थोड़ा सा दूध उस चिड़िया के लिए के लिए छोड़ जाता, जिसे वह चिड़िया पी जाती. इस तरह से यह प्रक्रिया प्रतिदिन चलने लगी. दोनों का एक दूसरे के प्रति काफी लगाव हो गया था.

एक दिन उस चिड़िया ने जहां पर वह दूधवाला दूध देता था उस जगह पर दो अंडे दिए. दूधवाला जब दूध लेकर आया तब चिड़िया ने अपने दोनों अंडे उसे दे दिए, और कहा इन्हेज ले जाओ. दूधवाला जब उन्हेद लेकर घर आया तो वह अंडे सोने के हो चुके थे. दूधवाला उन्हेब पा कर खूब खुश हुआ. उन अंडों को बेचकर उससे अपनी गरीबी दूर की और अमीर बन गया. फिर भी वह प्रतिदिन उस चिड़िया को दूध पिलाने जाता रहा.

उस दूध वाले की सुधरती हालत को देखकर उसके भाई ने उससे कारण पूछा‌. दूध वाले ने सच बात बता दी. उसके भाई के मन में भी अमीर बनने की इच्छा हुई. वह भी प्रतिदिन अपने भाई की तरह उस चिड़िया को दूध पिलाने लगा. मगर वह ईमानदार नहीं था. वह चिड़िया को पानी मिला हुआ दूध पिलाता था. चिड़िया ने उसकी चालाकी को भांप लिया. एक दिन उसने दो अंडे उस दूधवाले को भी दिये जिसे लेकर वह घर चला गया, मगर वह अंडे सोने के नहीं हुए. दूध वाले का भाई काफी निराश व दुखी हुआ. अगले दिन वह पुनः उस चिड़िया के पास गया और शिकायत करने लगा, कि मैंने तुम्हें दूध पिलाया मगर फिर भी तुमने मुझे सोने का अंडा नहीं दिया. इस पर जादुई चिड़िया ने जवाब दिया कि तुम्हारी सेवा में लालच और बेईमानी का भाव छिपा हुआ था, जिस कारण अंडा सोने का नहीं हुआ. तुम्हारे भाई की सेवा में सच्चाई और इमानदारी थी जिसका परिणाम उसे प्राप्त हुआ. दूधवाले की भाई को सब कुछ समझ आ गया. उसने उस चिड़िया से माफी मांगी और आगे से ईमानदारी तथा सच्चाई के रास्ते पर चलने की ठानी.

सीख - किसी भी नेक कार्य को करने के पीछे यदि लालच छिपा रहता है तो परिणाम दूधवाले के भाई की तरह प्राप्त होता है. यदि सच्चाई तथा ईमानदारी होती है तो परिणाम ठीक उल्टा दूध वाले की तरह सुखद प्राप्त होता है.

आजाद पंछी

लेखक – राघवराम गेवले कक्षा पांचवीं प्रा. शाला लावर

एक गांव में एक किसान रहता था. एक दिन वो एक पेड़ के पास गया. उस पेड़ में एक चिड़ि‍या बैठी थी. किसान ने सोचा कि यह चिड़ि‍या कहां से उड़कर आयी है. जरूर थकी हुई है. इसीलिये पेड पर आराम कर रही है. यह बहुत सुंदर दिख रही है. लगता है अपने बच्चों के लिये खाना ढ़ूंढ़ रही थी. यह आजाद पंछी है. इनपर कोई नियम लागू नही होते. काश हम भी इनकी तरह बिल्कुल उन्मुक्त बिना नियम-कानून के रहते. पर यह संभव नहीं है. इनकी जिन्दगी कितनी सरल दिखती है, पर वास्तव में है नहीं. मौसम परिवर्तन के कारण बेचारी को बार-बार अपना स्थान छोड़कर जाना पड़ता है. हर बार नया घर बनाना पड़ता है. हम लोग तो मजे से एक ही स्थान पर अपने पक्के मकान में रहते हैं. इनकी एक चीज़ मुझे बहुत अच्छी लगती है. वह यह है कि इन्हें कुछ करने के लिये पैसों की आवश्यकता नहीं है. ये अपने खाने-पीने की व्यवस्था भी कही से भी कर लेते हैं. हमें तो हर चीज के लिये मूल्य देने की आवश्यकता होती है.

फिर उस किसान ने सोचा कि सभी जीव अच्छे हैं. किसी भी पंछी या जीव को मारना नहीं चाहिये.

अब नीचे दिये चित्र को देखकर कहानी लिखें और हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दें. अच्छी कहानियां हम किलोल के अगले में प्रकाशित करेंगे.

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