अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी –

मोहन की मुश्किल

आज तो यह तय था कि मोहन को हिन्दी के गुरूजी से डाँट खानी पड़ेगी. बात यह थी कि मोहन लगातार तीन दिनों से अपना होमवर्क पूरा नहीं कर रहा था. उसने अपने दोस्तों से पूछा कि क्या उन सब ने अपना -अपना होमवर्क पूरा किया है ? सभी बच्चे हिंदी का होमवर्क गुरूजी से डर के कारण हर दिन पूरा करके आते थे. मोहन हिंदी में कमज़ोर था,उससे मात्राओं में बहुत गलतियाँ होती थीं. वह इसी कारण गुरू जी से कई बार डाँट खा चुका था. पिछले दो दिनों से गुरू जी किसी कारणवश विद्यालय नहीं आ रहे थे. मोहन दो दिनों तक तो बच गया,पर आज उसे डाँट पड़ना पक्का था. कक्षा में आते ही सबसे पहले गुरू जी ने मोहन से ही होमवर्क देखने की शुरुआत की. मोहन की कॉपी देखकर गुरू जी का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था और बेचारा मोहन डरा सहमा सा सिर झुकाकर गुरूजी के सामने खड़ा था.

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम निचे प्रदर्शित कर रहे हैं.

संतोष कुमार कौशिक द्वारा पूरी की गई कहानी

मोहन को डरा सहमा सिर झुकाए देखकर गुरुजी ने अपने क्रोध को काबू करते हुए कक्षा के सभी बच्चों का होमवर्क देखा.मोहन को छोड़कर सभी बच्चों ने होमवर्क पूर्ण कर लिया था. अब तक गुरुजी का गुस्सा पूरी तरह शांत हो गया था.गुरुजी ने मन ही मन सोचा कि सभी बच्चों ने अपना गृह कार्य किया है लेकिन मोहन ने नहीं किया जरूर उसे घर में या पढ़ने में कुछ समस्या होगी, उसकी वास्तविकता पता करना चाहिए. गुरुजी ने मोहन के पास जाकर प्यार से पूछा -बेटा! डरो मत सही-सही मुझे बताओ तुम्हें गृह कार्य करने में क्या समस्या होती है?मोहन ने गुरुजी को शांत देखकर कहा-गुरुजी मुझे अक्षर की पहचान तो है लेकिन मात्राओं को समझने में मुझसे बहुत गलतियाँ होती है.मेरे घर में मुझे पढ़ाने वाला कोई नहीं है मेरे माता-पिताजी पढ़े लिखे नहीं हैं दोस्त लोग मेरी हंसी उड़ाते हैं.मैं अपनी समस्या किसको बताऊं समझ में नहीं आता इसी लिए मैं गृह कार्य पूर्ण नहीं कर पाता मुझे क्षमा करें. मोहन की बात सुनकर गुरुजी की आँखें भर आईं. गुरूजी ने मोहन से कहा बेटा-यह बहुत बड़ी समस्या नहीं है पढ़ाई में ध्यान दोगे और बार-बार अभ्यास करोगे तो यह समस्या दूर हो जाएगी.मैं तुम्हें अतिरिक्त कक्षा लेकर मात्राओं का सही उपयोग बताऊँगा.

मोहन गुरुजी की बातों को सुनकर बहुत खुश हुआ. गुरूजी की मदद और अपनी मेहनत के कारण कुछ ही दिनों में मोहन को मात्राओं के सही उपयोग की बात समझ में आ गई. अब मोहन कभी अपना होमवर्क अधूरा नहीं छोड़ता है.

यशवंत कुमार चौधरी द्वारा पूरी की गई कहानी

शिक्षक के सामने बेबस खड़ा बेचारा मोहन सोच रहा था कि आखिर वह करे तो क्या करे? उसकी मुश्किल को कोई समझने वाला न था. सब उसे डाँटते फटकारते रहते जिससे वह हतोत्साहित हो गया था.

शिक्षक ने डाँटते हुए मोहन से पूछा -तुम्हें होमवर्क करने में क्या परेशानी है मोहन?

मोहन ने उदासी भरी नजरों से गुरुजी की ओर देखा और धीरे से बोला - जब से मेरी माताजी का निधन हुआ है तब से मेरा मन पढ़ाई में नही लगता. अक्सर माँ ही मुझे हिन्दी पढ़ाती थीं, उनके बाद घर पर मुझे कोई पढ़ाई में सहयोग नहीं देता, जिससे मेरी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. मोहन की बातें सुनकर शिक्षक की आँखों में आँसू आ गए और उनका गुस्सा कपूर की तरह उड़ गया. शिक्षक ने मोहन की मदद करने की ठान ली.

अगले ही दिन से शिक्षक ने सुबह जल्दी स्कूल आकर मोहन को हिन्दी पढ़ाना शुरू कर दिया. शिक्षक की मदद और अपनी मेहनत से कुछ ही सप्ताह में मोहन की भाषा की गलतियाँ कम होने लगीं. जिससे मोहन का आत्मविश्वास बढ़ा और वह खुश रहने लगा.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

प्रवीण की परेशानी

आज अर्धवार्षिक परीक्षा का रिज़ल्ट मिला था, शिक्षक ने प्रवीण को बुलाकर उसे बताया कि वह दो विषयों में फेल हो गया है. ऐसा प्रवीण के साथ आज पहली बार हुआ था कि वह किसी विषय में फेल हो जाए. प्रवीण रुआंसा हो गया, उसे परीक्षाओं के पहले पापा की कही बातें याद आ रहीं थी. परीक्षाएँ शुरू होने से पहले पापा ने प्रवीण से पूछा था कि क्या उसने अपनी पूरी तैयारी कर ली है? तब प्रवीण ने थोड़ा झिझकते हुए कहा था कि, हाँ पापा मैं रोज आधा सुबह पढ़ लिया करूँगा और आधा रात के खाने के बाद पढ़ लिया करूँगा. पापा ने उसे समझाया भी था कि बेटा केवल परीक्षा के एक दिन पहले पढ़ लेने से सबकुछ पूरी तरह याद नहीं हो जाता, यदि हर दिन थोड़ा-थोड़ा पढ़ने की आदत बनाओगे तो तुम्हें परीक्षा के पहले सिर्फ एक बार देखने की जरूरत होगी. प्रवीण को पापा की यह बातें सोचकर बहुत पछतावा हो रहा था. वह हर बार ऐसे ही पढ़ता था और अच्छे नंबर से पास हो जाता था. इस बार भी उसने ऐसा ही किया, यह सोचकर कि हर बार की तरह इस बार भी वह अच्छे नंबर से पास हो ही जाएगा. घर वापस जाते समय प्रवीण रोने लगा और यह सोचने लगा कि अब वो अपने मम्मी-पापा को अपना रिजल्ट कैसे बताएगा?

कहानी को इस मोड़ पर छोड़ते हुए हम आपको जिम्मेदारी देते हैं आप इसे पूरा कर हमें माह की 15 तारीख तक ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगल अंक में प्रकाशित करेंगे

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