चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी –

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

जिज्ञासा वर्मा, कक्षा नवमीं, शा. क. उ. मा. वि. रतनपुर द्वारा भेजी गई कहानी

बन्दर और मगरमच्छ

नदी के किनारे जामुन के पेड़ पर एक बन्दर रहता था. उस पेड़ पर बहुत मीठे-मीठे जामुन फलते थे.एक दिन एक मगरमच्छ पेड़ के पास आया. पेड़ पर बैठे बन्दर ने उससे आने की वजह पूछी तो मगरमच्छ ने बताया कि वह खाने की तलाश में घूम रहा है. बन्दर ने मगरमच्छ को बताया कि इस पेड़ के जामुन बहुत ही मीठे हैं और उसने मगरमछ को जामुन दिए.अब बंदर और मगरमच्छ की मित्रता हो गयी. बन्दर, मगरमच्छ को रोज़ खाने के लिए जामुन देता था.

एक दिन मगरमच्छ ने अपनी पत्नी को भी जामुन खिलाये. स्वादिष्ट जामुन खाने के बाद मगरमच्छ की पत्नी ने सोचा कि रोज़ ऐसे मीठे फल खाने वाले बंदर का दिल भी खूब मीठा होगा. उसने अपने पति से कहा कि उसे उस बन्दर का दिल चाहिए और वो ज़िद पर अड़ गई.

पत्नी की ज़िद से मजबूर मगरमच्छ ने एक चाल चली और बन्दर से कहा कि उसकी भाभी उससे मिलना चाहती है. बन्दर ने कहा कि वो नदी में कैसे जायेगा? मगरमच्छ ने उपाय सुझाया कि बंदर उसकी पीठ पर बैठ जाए और उसके घर चले.

बन्दर अपने मित्र की बात का भरोसा कर, पेड़ से कूदकर मगरमच्छ की पीठ पर सवार हो गया. जब वे नदी के बीचों-बीच पहुँचे तब मगरमच्छ ने सोचा कि अब बन्दर को सही बात बताने में कोई हानि नहीं और उसने भेद खोल दिया कि उसकी पत्नी बंदर का दिल खाना चाहती है. बन्दर का दिल टूट गया, लेकिन उसने अपना धैर्य नहीं खोया.

बन्दर मगरमच्छ से बोला 'ओह मेरे मित्र तुमने, यह बात मुझे पहले क्यों नहीं बताई. मैंने तो अपना दिल जामुन के पेड़ में सम्भाल कर रखा है. तुम मुझे वापस नदी के किनारे ले चलो ताकि मैं अपना दिल लाकर अपनी भाभी को उपहार में देकर उसे खुश कर सकूँ.'

मगरमच्छ वापस लौटा और बन्दर को जैसे ही नदी-किनारे ले कर आया बन्दर ने जामुन के पेड़ पर छलाँग लगाई और क्रोधपुर्वक बोला, “मूर्ख, दिल के बिना भी क्या कोई ज़िन्दा रह सकता है? जा, आज से तेरी-मेरी दोस्ती समाप्त.'

अभिषेक पुरोहित, कक्षा बारहवीं, शा. उ. मा. वि. कोड़ेकुर्से, कान्केर भेजी गई कहानी

एक घने जंगल के बीच एक विशाल नदी थी. उस नदी में एक बूढ़ा मगरमच्छ रहता था बूढ़ा होने के कारण वह शिकार नहीं कर पाता था. एक दिन वह भूखा, थका-हारा नदी किनारे जामुन के पेड़ के नीचे लेटा था. उस पेड़ पर एक बंदर बैठा जामुन खा रहा था.

मगरमच्छ ने बंदर से पूछा, तुम क्या खा रहे हो? मुझे भी कुछ खाने को दे दो बहुत भूख लगी है भाई. बंदर बोला ये जामुन है बहुत मीठे हैं तुम भी खाओ. मगरमच्छ बोला अरे, यह तो सच में बहुत मीठे हैं. शुक्रिया बंदर भाई मुझे बहुत भूख लगी थी और तुमने मेरी मदद की तुम बहुत अच्छे हो. मुझे बहुत खुशी होगी अगर तुम जैसे मेरा कोई दोस्त हो. बंदर बोला हाँ क्यों नहीं आज से तुम मेरे दोस्त हो.

अब मगरमच्छ रोज जामुन के पेड़ के पास आता और बंदर रोज उसे जामुन देता और दोनों खूब बातें भी करते. मगरमच्छ अपनी पत्नी के लिए भी जामुन ले जाता था. एक दिन मगरमच्छ की पत्नी ने कहा कब तक यह जामुन खा खा कर गुजारा करोगे? सोचो यह जामुन इतने मीठे हैं तो वह बंदर तो रोज जामुन खाता हैं तो सोचो उसका मांस कितना स्वादिष्ट होगा? और हमने बहुत दिनों से मांस का स्वाद भी नहीं चखा है. तुम अपने दोस्त का दिल लाकर मुझे दो ना.

पत्नी की बात सुनकर मगरमच्छ सोच में पड़ गया. मैं यह कैसे कर सकता हूँ बंदर मेरा दोस्त है मगरमच्छ बोला. मैं उसके साथ कैसे धोखा कर सकता हूँ?

मगरमच्छ की पत्नी गुस्से में बोली मुझे कुछ नहीं सुनना मुझे बस बंदर का दिल चाहिए,वरना मैं अपनी जान दे दूँगी. मगरमच्छ अपनी पत्नी की जिद से हार मानकर बंदर के पास पहुँचा और बोला बंदर भाई, तुम्हारे दिए जामुन से खुश होकर तुम्हें मेरी पत्नी ने घर बुलाया है. चलो आज हम सब साथ ही खाना खाएँगे.

बंदर,मगरमच्छ के साथ चल पड़ा. दोनों नदी के बीच पहुँचे तब मगरमच्छ को लगा कि अपनी पत्नी की इच्छा के बारे में बंदर को बता देता हूँ. वह कहने लगा बंदर भाई मैं तुम्हें एक बात बताना चाहता हूँ. मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है.

बंदर ने मगरमच्छ की बात सुनकर तुरन्त बचने के लिए एक तरकीब सोची. बंदर बोला अच्छा ऐसा है पर दोस्त तुमने ये बात पहले क्यों नहीं बताई. हम बंदर अपना दिल पेड़ पर ही संभाल कर रखते हैं. अब मेरा दिल लेने के लिए वापस जाना होगा. मुझे तुम पेड़ के पास ले चलो.

मगरमच्छ बोला, अच्छा ठीक है चलो जाकर तुम्हरा दिल ले आते है. मगरमच्छ वापस पेड़ पर बंदर को ले आया. बंदर जैसे ही पेड़ के पास पहुँचा छलाँग लगाकर पेड़ पर चढ़ गया और मगरमच्छ से बोला अरे बेवकूफ क्या कोई दिल के बिना भी जिंदा रहा सकता है? मैंने तुझे अपना दोस्त समझा, तुम्हारी मदद की और तुम ने मेरी दोस्ती का ये बदला दिया. अब तुम्हे न ही जामुन मिलेगे और न ही दिल.

इस प्रकार बंदर ने समझदारी से अपनी जान बचा ली और मगरमच्छ को अपनी बुरी नीयत के कारण दिल और जामुन दोनों से हाथ धोना पड़ा.

संतोष कुमार कौशिक द्वारा भेजी गई कहानी

बंदर और मगरमच्छ की मित्रता

एक जंगल के बीच विशाल नदी बहती है उस नदी में एक बूढ़ा मगरमच्छ अपनी पत्नी के साथ रहता था.मगरमच्छ.बूढ़ा हो गया था इसलिए अब वह शिकार नहीं कर पाता था.एक दिन भूखा,थका,हारा नदी किनारे जामुन के पेड़ के नीचे बैठा था. उस पेड़ पर बैठा बंदर जामुन खा रहा था, मगरमच्छ की नजर बंदर पर पड़ी उसने पूछा बंदर भाई-तुम क्या खा रहे हो, मुझे भी खाने के लिए कुछ दे दो, मैं बहुत भूखा हूँ. बंदर ने कहा यह जामुन है, बहुत मीठा फल है, लो तुम भी खाओ. मगरमच्छ ने जामुन खाकर कहा- यह तो सचमुच बहुत मीठे हैं. मुझे बहुत भूख लगी थी और तुमने मेरी मदद की, तुम बहुत अच्छे हो मुझे बहुत खुशी होगी अगर तुम मुझसे दोस्ती कर लो. बंदर ने कहा-हाँ क्यों नहीं ? आज से हम दोस्त हैं. अब मगरमच्छ रोज ही उस पेड़ के किनारे आता और बंदर उसे जामुन खिलाता दोनों खूब बातें भी करते. एक दिन बातों बातों में मगरमच्छ ने बंदर को अपनी पत्नी के बारे में बताते हुए कहा कि मेरी पत्नी अकसर बीमार रहती है. भोजन सही समय पर नहीं मिलता. बूढ़े हो जाने के कारण अब हम शिकार भी नहीं कर पाते. मगरमच्छ के बारे में जानकर बंदर बहुत दुखी हुआ और मगरमच्छ से बोला कि तुम अपनी पत्नी को भी साथ ले आया करो, मैं दोनों को खाने के लिए फल दे दिया करूँगा. हम साथ-साथ रहा करेंगे.

बंदर की बातें सुनकर मगरमच्छ खुश हो गया. अगले दिन वह अपनी पत्नी के साथ पेड़ के पास आया. बंदर ने उन दोनों को जामुन खिलाए.ऐसा अब रोज ही होने लगा. बंदर और मगरमच्छ की मित्रता और भी गहरी हो गई.

यशवंत कुमार चौधरी द्वारा भेजी गई कहानी

एक बार की बात है एक मटरू नाम का बंदर रहता था. वह बहुत ही नटखट,चंचल प्रवृत्ति का था. वह दिनभर उछल कूद करता था जिससे उसे जोरों की भूख लगी, भूख से व्याकुल मटरू को कुछ नहीं सूझ रहा था. उसने भूख मिटाने के लिए आसपास कुछ फल खोजा आखिरकार मटरू को एक बड़े झील के पास जामुन का पेड़ मिल गया जहां पेड़ पर खूब सारे जामुन लगे थे. मटरू झट से छलांग लगाया और जामून तोड़कर खा लिया,जामुन मटरू को स्वादिष्ट लगा जिससे जामुन की याद आते ही उसके मूंह में पानी आ जाता. अब तो मटरू का वास बन गया जामुन पेड़. जामुन पेड़ पर ही उछल- कूद करता और आसपास के जरूरतमंद जानवरों -लोगों की भूख शांत करने जामुन गिराता और खूब मजे लेता. मटरू जहां रहता था खूब सारे पेड़ पौधे,पहाड़,घास,झील और मैदान थे पर बहुत कम ही फलदार पेड़ थे. पास के ही स्वच्छ जलयुक्त झील में मगरमच्छ रहते थे एक दिन मगरमच्छ भूख से बेहाल होकर झील में घूमते- घूमते जामुन पेड़ के पास आ पहुंचा वहां उसने देखा कि एक बंदर खूब सारे फल खा रहा था उसने उससे मदद मांगी और कुछ जामुन फल खाने के लिए माँगा. मटरू बंदर झट से एक डगाली को नीचे कर दिया और मगरमच्छ को जामुन खाने बोला जब मगरमच्छ ने जामुन खाया उसे खूब स्वादिष्ट लगा और उसका पेट भर गया भूख शांत हुई और उसकी जान बच गई उसने मटरू बंदर को कोटिशः धन्यवाद दिया और कहा कि क्या मैं कुछ जामुन अपने घरवालों के लिए ले जा सकता हूँ ? खूब मीठे हैं ये सारे फल. मटरू बोला क्यों नही भाई जरूर ले जाओ और जब भी भूख लगे यहीं आ जाया कीजिये जिससे खाना ढूंढने की मशक्कत ना करना पड़े. अब मगरमच्छ और मटरू की दोस्ती हो गई और मटरू मगरमच्छ के पीठ में बैठकर झील की सैर भी कर लिया करता और दोनों साथ- साथ खूब मस्ती करते. उन दोनों की दोस्ती देख बाकी जानवर काफी खुश होते. मगरमच्छ का दिमाग फिर गया उसने सोचा रोज रोज जामुन खाने से अच्छा है आज मटरू के कलेजे को ही खा लिया जाए. जामुन खाने से इसका कलेजा भी खूब मीठा हो गया होगा यह सोचते हुए उसने बंदर को सैर कराने के बहाने झील पर ले गया और झील के मध्य में बंदर के कलेजे खाने की बात कही अब अपने मौत को करीब देख मटरू को कुछ सूझ नहीं रहा था आखिर बीच झील में करता क्या बेचारा ? मटरू ने वक्त को भांपते हुए हिम्मत और चालाकी से काम लेने की सोची और दुविधा को सुविधा में बदला उसने साजिस को समझते हुए मगरमच्छ से कहा मित्र मैंने अपना कलेजा तो आज जामुन पेड़ में ही रख दिया आपको पहले बताना था जिससे मैं अपना स्वादिष्ट रसभरा कलेजा ले आता आपके लिए. मगरमच्छ असमंजस में पड गया और उसके दिमाग में कुछ नहीं सूझ रहा था. बंदर ने कहा चलो मुझे जामून पेड़ के पास ले चलो जिससे कि आपको कलेजा मिल जाए, अब मगरमच्छ मटरू को लेकर झील के तट के पास पहुंचा जिससे मटरू कि रूकी हुई सांस वापस आई और मटरू छलांग लगाकर जामुन पेड़ पर चढ़ गया और बोला विश्वासघाती, स्वार्थी जीव, धोखेबाज मैंने तुम्हारी मदद किया और तुम मुझे ही खाने की सोच रहे थे अरे मंद बुद्धि कोई अपना कलेजा पेड़ पर रखता है भला ? मैंने तुम्हें झूठ बोला अपनी जान बचाने के लिए जाओ आज से हम दोनों की कोई दोस्ती नही कहकर वह मगरमच्छ को भगाने लगा. मटरू मन ही मन संकल्पित हुआ आज के बाद किसी अजनबी के साथ जाना जीवन के लिए ठीक नहीं और दोस्ती भी सोच समझकर करनी चाहिए. अब लालची मगरमच्छ उदास मन से वहां से भागने लगा और सोचा काश मेरे मन में इस तरह के ख़याल नहीं आते तो हमारी दोस्ती बनी रहती और विश्वास भी नहीं टूटता और मीठे जामुन भी मिलते रहते ये मैंने क्या कर दिया ? मगरमच्छ को खूब पछतावा हुआ और उसने संकल्प लिया कि जीवन में कभी किसी को धोखा नहीं दूंगा. मगरमच्छ खूब रोया पर उसने कुविचार से अपना एक प्रिय मित्र खो दिया.

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