अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी –

प्रवीण की परेशानी

आज अर्धवार्षिक परीक्षा का रिज़ल्ट मिला था, शिक्षक ने प्रवीण को बुलाकर उसे बताया कि वह दो विषयों में फेल हो गया है. ऐसा प्रवीण के साथ आज पहली बार हुआ था कि वह किसी विषय में फेल हो जाए. प्रवीण रुआंसा हो गया, उसे परीक्षाओं के पहले पापा की कही बातें याद आ रहीं थी. परीक्षाएँ शुरू होने से पहले पापा ने प्रवीण से पूछा था कि क्या उसने अपनी पूरी तैयारी कर ली है? तब प्रवीण ने थोड़ा झिझकते हुए कहा था कि, हाँ पापा मैं रोज आधा सुबह पढ़ लिया करूँगा और आधा रात के खाने के बाद पढ़ लिया करूँगा. पापा ने उसे समझाया भी था कि बेटा केवल परीक्षा के एक दिन पहले पढ़ लेने से सबकुछ पूरी तरह याद नहीं हो जाता, यदि हर दिन थोड़ा-थोड़ा पढ़ने की आदत बनाओगे तो तुम्हें परीक्षा के पहले सिर्फ एक बार देखने की जरूरत होगी. प्रवीण को पापा की यह बातें सोचकर बहुत पछतावा हो रहा था. वह हर बार ऐसे ही पढ़ता था और अच्छे नंबर से पास हो जाता था. इस बार भी उसने ऐसा ही किया, यह सोचकर कि हर बार की तरह इस बार भी वह अच्छे नंबर से पास हो ही जाएगा. घर वापस जाते समय प्रवीण रोने लगा और यह सोचने लगा कि अब वो अपने मम्मी-पापा को अपना रिजल्ट कैसे बताएगा?

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम निचे प्रदर्शित कर रहे हैं.

टेकराम ध्रुव 'दिनेश' द्वारा पूरी की गई कहानी

दो विषयों में फेल हो जाने के कारण प्रवीण बहुत उदास हो गया था. वह जब घर जा रहा था तो रास्ते भर उसे पापाजी की बातें याद आ रही थीं कि अगर मैं उनकी बात मान कर रोज पढ़ाई करता तो रिजल्ट कुछ और होता. लेकिन अब सोचने से क्या होगा?

वह जब घर पहुँचा तो माँ घर पर थीं, पापा ऑफिस से नहीं आए थे. उसका मन किसी काम मे नहीं लग रहा था. माँ ने प्रवीण की उदासी भाँप कर उससे पूछा- ' बेटा,आज तुम बुझे बुझे से लग रहे हो. क्या बात है?

'अनमने मन से प्रवीण ने माँ को अपना रिजल्ट दिखाया. रिजल्ट देखकर माँ ने कहा - 'जैसे तुमने पढ़ाई की है उस हिसाब से रिजल्ट आया है,जिन दो विषय में तुम फेल हो गए हो उसकी अच्छे से तैयारी नहीं की होगी.'

मुझे पापा से डर लग रहे माँ, प्रवीण ने कहा. हिम्मत से काम लो बेटे कुछ नहीं होगा , माँ ने कहा.

शाम को जब पापा घर आए और उन्हें प्रवीण के रिजल्ट का पता चला तो वे उसे पास बुलाकर समझाते हुए बोले - 'देखो बेटा मैंने तुम्हे पहले ही कहा था कि प्रतिदिन पढ़ने का एक टाइम टेबल बना लो, लेकिन तुम माने नहीं और अब परिणाम तुम्हारे सामने है. फिर ये उदासी क्यों? ये अर्द्ध वार्षिक परीक्षा थी, वार्षिक परीक्षा अभी बाकी है. सोच लो क्या उसकी भी तैयारी वैसे ही करनी है.

पापा की बात सुनकर प्रवीण का उदास चेहरा खिल उठा और उसने पापा से कहा नहीं पापा, वार्षिक परीक्षा में अभी काफी समय है,जिसकी तैयारी मैं आज और अभी से करना आरंभ करूँगा.

ये हुई न बात पापा ने हँसते हुए कहा.

संतोष कुमार कौशिक द्वारा पूरी की गई कहानी

प्रवीण ने घर पहुँचकर रिजल्ट के बारे में मम्मी पापा को रोते हुए बताया -' मैं दो विषयों में फेल हो गया हूँ. आपकी बातों पर ध्यान नहीं देने के फलस्वरूप ऐसा हुआ है.मुझे क्षमा कर दीजिए.'

पिताजी प्रवीण का रिजल्ट देखकर बहुत क्रोधित हुए लेकिन मम्मी ने उन्हें शांत कराया.

प्रवीण के चेहरे पर शर्मिंदगी दिखाई दे रही थी. मम्मी ने उसे शांतिपूर्वक समझाते हुए कहा कि बेटा तुम्हें पापा ने हर दिन थोड़ा थोड़ा पढ़ने को कहा था लेकिन तुम नहीं माने. इसीलिए तुम्हारा रिजल्ट ऐसा आया है.

जिस प्रकार गुल्लक में हर दिन एक-एक रुपए डालने पर हजार रुपये जमा हुए थे,और एक एक बूँद से घड़ा भरता है, उसी प्रकार थोड़ा-थोड़ा करके प्रतिदिन सभी विषय की पढ़ाई करनी होगी तभी तुम परीक्षा में अच्छे अंकों से पास हो जाओगे. अर्धवार्षिक परीक्षा में जो हुआ उसे भूल जाओ और वार्षिक परीक्षा की तैयारी करो.

प्रवीण ने विश्वास दिलाया कि वार्षिक परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करेगा. पापा की बातों को ध्यान में रखते हुए प्रवीण लगन से पढ़ाई में जुट गया. वार्षिक परीक्षा में प्रवीण ने सभी विषयों में अच्छे ग्रेड प्राप्त किए, अब वह पढ़ाई करने का सही तरीका समझ गया है.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

टीचर जी! मुझे भी देखिए

मम्मी मैं कल स्कूल नहीं जाऊँगी. प्रिया ने अपनी मम्मी से कहा. अरे, क्यों? तुम तो कभी स्कूल नहीं छोड़तीं. फिर क्या हुआ? मम्मी ने पूछा.

बस ऐसे ही. मेरा मन नहीं है. प्रिया बोली.

चलो ठीक है. लेकिन कोई समस्या हो तो बताओ. क्या तुमने अपना होमवर्क नहीं किया है? मम्मी ने प्रश्न किया.

होमवर्क कुछ था ही नहीं. तो क्या करती?

प्रिया के स्वर में कुछ चिढ़ झलक रही थी.

अच्छा चलो ठीक है. एक दिन की छुट्टी अपने मन से मना लो. मम्मी ने अपनी सहमति दे दी.

अगले दिन प्रिया स्कूल नहीं गई. दिनभर इधर-उधर अपना समय बिताती रही. वैसे प्रिया कभी भी स्कूल नहीं छोड़ती थी,कभी बीमार हो तो बात अलग है. पढ़ाई में उसकी रुचि थी. पाठ्यक्रम के अलावा भी किताबें पढ़ना उसे अच्छा लगता था. पर आज न जाने क्यों वह स्कूल नहीं गई. मम्मी को भी आश्चर्य हो रहा था.

शाम को मम्मी ने प्रिया से पूछा कि अगले दिन के लिए अपना स्कूल बैग तैयार कर लिया है या नहीं?

हाँ कर लिया है. प्रिया ने अनमने स्वर में उत्तर दिया.

मम्मी को लगा कि प्रिया का कल भी स्कूल जाने का मन नहीं है. जरूर कोई समस्या है. उन्होंने प्रिया से पूछा कि आखिर क्यों वह स्कूल नहीं जाना चाहती है?

अब प्रिया ने बताया कि स्कूल में आजकल उसका मन नहीं लगता है. शिक्षक अपना पूरा समय उन बच्चों को देते हैं जो पढ़ाई में कमजोर हैं. अर्धवार्षिक परीक्षा होने वाली है. मैं तो अपनी तैयारी पूरी कर चुकी हूँ, अब शिक्षक मुझसे कुछ पूछते भी नहीं हैं. मैं दिनभर स्कूल में खाली बैठी रहती हूँ, इससे मुझे बहुत बोरियत होती है.

अब इसके आगे आप अपनी कल्पना से इस कहानी को पूरा कीजिए और हमें माह की 15 तारीख तक ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर भेज दें. आपके द्वारा पूरी की गई कहानियों में से चुनी गयी श्रेष्ठ कहानी किलोल के अगले अंक में प्रकाशित की जाएगी.

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