छत्तीसगढ़ी बालगीत

नोनी बेटी

रचनाकार- सोमेश देवांगन

बहुत भाग मानी हन वो नोनी के दाई.
हमर घर जनम ले हवय लक्ष्मी माई..

नोनी के आये ल मोर घर जगमगात हे.
घर हर लगय मंदिर घर हर ममहात हे..

घर में लछमी आये पाँव ओखर पखार.
मोर नोनी के आये ल रोज लगय तिहार..

जनम ले के तय आये नोनी हमर घर-बार.
मोर नोनी बेटी कुल दिए तय हमर तार..

दुनिया म नई हवय मोर असन भागमानी.
का पून के परसाद दिए हवस मोर भवानी..

पढ़ा-लिखा के मोर बेटी सब सुख तोला देवाहूँ.
मोर बेटी के कन्यादान कर के सरग मय जाहूँ..

पताल चटनी

रचनाकार- हितेंद्र कोंडागंया

लाल पताल के चटनी सुग्घर
लाल भाजी अउ आलू के साग.
गुरतुर-गुरतुर गजब सुहावने
छत्तीसगढ़िया ल चाँऊर के भात
खावौ संगी ताते-तात.

आनी-बानी के खई-खजेना
रकम-रकम के चना-चबेना.
मैगी, पिज्जा बर्गर संगी
हाट-बजार ले झन तुम लेना.

अइरसा, पपची, ठेठरी-खुरमी
खावौ संगी सब जुरमिल.
मुठीया, लाटा करौंदा के चटनी
सुवाद लगा के खावौ अथान..

होरी आइस

रचनाकार- बलदाऊ राम साहू

होरी आइस, होरी आइस
रंग-गुलाल धर होरी आइस.

धरौ हाथ मा सब पिचकारी
डारौ रंग सब बारी-बारी.

लइका, बुढुवा जम्मो जवान
बन जावौ जी सब झन मितान.

छोटे - बड़े के भेद भुलावौ
हाँसो - गावौ खुशी मनावौ.

जात-पात, मजहब के भैया
नइ हे इहाँ कौनो पुछइया.

कँउआ बोलिस काँव-काँव

रचनाकार- विनयशरण सिंह

कँउआ बोलिस काँव-काँव,
सहर ले अच्छा लगथे गाँव.

चारों कोती खुल्ला-खुल्ला,
चिक्कन-चातर गली मुहल्ला.

हरियर-हरियर खेत अउ खार,
लीपे पोते घर दुआर.

हल्ला-गुल्ला भीड़ न भाड़,
चारों कोती झाड़े-झाड़.

एला छोंड़ के मैं नइ जाँव,
कँउआ बोलिस काँव-काँव.

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