चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी –

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

संतोष कुमार कौशिक द्वारा भेजी गई कहानी

रोशन की डायरी

रोशन बचपन से ही शहर में पला बढ़ा है.पिताजी सरकारी सर्विस में शहर में ही पदस्थ हैं जिसके वजह से रोशन को गाँव जाने का मौका नहीं मिला था. गाँव के बारे में उसने पुस्तकों में ही पढ़ा था. लेकिन कुछ दिन पहले मामा के गाँव गया था वहाँ के अनुभव को अपनी डायरी में रोशन ने लिखा है.

मैं अपने मामा के साथ गाँव गया था. मुझे बहुत खुशी हो रही थी. गाँव शहर से बिल्कुल अलग लग रहा था. वहाँ का वातावरण शुद्ध, शीतल हवा, प्रदूषण से मुक्त, शोरगुल से मुक्त, प्रातः मुर्गे, गौरैया की आवाज, दोपहर में मिट्ठू की बोली, शाम को कोयल की कुहू- कुहू मन को भा रही थीं.

गाँव मे रहने वाले सभी लोग अपने-अपने कार्यों में व्यस्त रहते थे, वे काम करने के बाद शाम को वापस आते तो अपने-अपने घर के पास बैठकर अपने पड़ोसी से सुख-दुख बाँटते थे. रात्रि में जल्दी भोजन करके सोना और सुबह जल्दी जागकर अपनी दिनचर्या में लग जाना उनका हर दिन का कार्य था.गाँव में प्राय:सभी घरों में गाय,बैल, कुत्ता पाले हुए थे. अपनी आय बढ़ाने के लिए घर में मुर्गी, कबूतर,बकरी पालन करते थे. उनके लिए शहर की तरह रहने की व्यवस्था नहीं था. मुर्गी स्वयं अपने आसपास खाने की व्यवस्था कर लेती थी.गाँव के किसान अपने खेत का कार्य स्वयं करता था जिसमें बैल उनका सहयोग करता था. बैल के माध्यम से जुताई,बुवाई, गाड़ी खींचने का कार्य आदि होता था. मुझे मामा के पड़ोस में रहने वाला आकाश नाम का दोस्त मिला जो मुझे हर दिन गाँव के अलग-अलग जगह घुमाता व उनके बारे में जानकारी देता था. हम लोग सुबह उठकर तालाब में स्नान करने जाते थे वहाँ मुझे मेरे दोस्त ने तैरना सिखाया, पेड़ पर चढ़ने का तरीका बताया था. वहाँ शहर की तरह फुटबॉल, क्रिकेट, वॉलीबॉल आदि नहीं थे. हम लोग कबड्डी, खो-खो, गिल्ली डंडा, नदी-पहाड़, डंडा-पचरंगा आदि खेलते हुए मस्ती करते थे.

एक दिन सुबह आकाश मुझे गन्ने की बाड़ी ले गया और उसने मुझे गन्ने की खेती के बारे में समझाया. वहाँ कुछ कृषक गन्ने से गुड़ बना रहे थे. उस प्रक्रिया को मैंने ध्यान से देखा और उसे समझा. कृषक गन्ना स्वयं उत्पादन करके गुड़ बनाते हैं और उसे बैलगाड़ी में रखकर बेचने जाते हैं. यह सब देख कर मैं बहुत हैरान था.गाँव के लोग बहुत मेहनती होते हैं लेकिन उनकी मेहनत के अनुपात में आय नहीं होती. मेरा सपना है कि मैं बड़ा होकर किसान के सहयोग से शक्कर एवं गुड़ बनाने की फैक्ट्री लगाऊँगा ताकि गाँव वालों को रोजगार मिले एवं उनकी फसल का सही उपयोग किया जा सके.अंत में मैं कहना चाहता हूँ कि शहर की अपेक्षा गाँव बहुत बेहतर हैं. वहाँ मुझे सभी व्यक्तियों में प्रेम, सरल स्वभाव, ईमानदारी, सौहाद्रपूर्ण व्यवहार आदि नजर आया.

अगले अंक की कहानी हेतु चित्र

अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेलkilolmagazine@gmail.com पर अगले माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगल अंक में प्रकाशित करेंगे

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