Preparation for Public Service Commission Competitive Examination

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अनुसूचित जनजातियों के विकास की अभिनव योजनाएं

  1. मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना - नक्सल प्रभावित जिलों के बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु शिक्षा, आवास, भोजन, खेल एवं मनोरंजन आदि सुविधा प्रदान कर संरक्षक की भूमिका निभाते हुए रोजगार में स्थापित कर जीवन मे स्थायित्व पैदा करना इस योजना का उद्देश्य है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में इस योजनांतर्गत 985.80 लाख का प्रावधान किया गया है। इस योजना के चार घटक निम्नानुसार है: -
    1. आस्था: नक्सल हिंसा से अनाथ हुए बच्चों के लिए दन्तेवाड़ा जिले में आस्था गुरूकुल विद्यालय संचालित है. इस विद्यालय में कक्षा पहली से 12 वीं तक अध्ययन की निःशुल्क व्यवस्था है तथा पूरे वर्ष भर निःशुल्क आवासीय सुविधा दी जाती है. वर्तमान में संस्था में 310 विद्यार्थी (155 बालक 155 बालिका) इस योजना से निःशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन, खेल एवं मनोरंजन की सुविधा प्राप्त कर रहे हैं. उक्त आस्था गुरूकुल आवासीय विद्यालय 2007 से संचालित है.
    2. निष्ठा: इस योजना के अंतर्गत नक्सल हिंसा में मृत माता-पिता के बच्चे/पीड़ित परिवार के बच्चे तथा प्रभावित ग्राम/क्षेत्र के बच्चे प्रदेश के राजनांदगांव जिले में निजी शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययन कर रहें है. शासन व्दारा निजी संस्थाओं के प्रबंधन से चर्चा करके विद्यार्थियों को निःशुल्क प्रवेश दिलाया जाता है. जिला प्रशासन की अनुशंसा पर विद्यार्थी पर हुए कुल व्यय के 25 प्रतिशत शिक्षण शुल्क के रूप में राशि की प्रतिपूर्ति निजी संस्थाओं को की जाती है. वर्तमान में इस योजना के तहत नक्सल हिंसा प्रभावित ग्राम/क्षेत्र के वर्ष 2016-17 में 155 बच्चे राजनांदगांव एवं रायपुर जिले के कुल 16 निजी संस्थाओं में अध्ययन कर रहे है.
    3. प्रयास: प्रदेश की राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी में प्रथम प्रयास आवासीय बालक विद्यालय का उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री महोदय व्दारा 19 जुलाई 2010 को किया गया. नक्सल प्रभावित 16 जिलों कांकेर, कोण्डागांव, बस्तर, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, जशपुर, बलरामपुर, अंबिकापुर, कोरिया, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद , बालोद एवं राजनांदगांव के कक्षा 10वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण तथा चयनित प्रतिभावान छात्रों को कक्षा 11वीं एवं 12वीं विज्ञान/गणित विषय के अध्यापन के साथ-साथ अखिल भारतीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे जेईई (मेन/एडवांस) तथा एआईपीएमटी परीक्षाओं की तैयारी कराने के उद्देश्य से प्रयास आवासीय विद्यालय रायपुर, अंबिकापुर, जगदलपुर, दुर्ग एवं बिलासपुर में संचालित किये जा रहे है तथा कांकेर जिला मुख्यालय पर फीडर प्रयास आवासीय विद्यालय कक्षा 9वीं एवं 10वीं हेतु संचालित है. सत्र 2016-17 में 1606 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.
    4. सहयोग: इस घटक अंतर्गत कक्षा 12वीं उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है ताकि वे उच्च अध्ययन कर रोजगार प्राप्त कर सके. अनाथ बच्चों को पोस्ट मैट्रिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई के दौरान शिक्षण शुल्क एवं आने-जाने के व्यय आदि की प्रतिपूर्ति की जाती है.
  2. आर्यभट्ट विज्ञान वाणिज्य शिक्षण प्रोतसाहन योजना - प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्र में निवासरत अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति की प्रतिभाशाली छात्राएँ जिनकी विज्ञान एवं वाणिज्य में अभिरूचि है, किन्तु वनांचल क्षेत्रों में गुणवत्ता-परक शिक्षा से वंचित रह जाती हैं, उन्हें पूर्ण संसाधनों के साथ अवसर उपलब्ध करा कर विज्ञान/वाणिज्य विषय के साथ स्नातक, स्नातकोत्तर एवं बी.एड. की पढ़ाई के लिए उत्प्रेरित करते हुए अनुसूचित क्षेत्र में शिक्षकों के रूप में सेवाएँ प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह योजना वर्ष 2013-14 से अभिनव योजना के रूप में प्रारंभ की गई है. उक्त योजनांतर्गत 500 सीटर बालिका शिक्षण केन्द्र दुर्ग जिला मुख्यालय में वर्ष 2013-14 से प्रारंभ किया गया है। इसमें 330 बालिकाएँ प्रवेशित हैं तथा 500 सीटर बालक विज्ञान विकास केन्द्र जगदलपुर जिला मुख्यालय में स्थापित करने हेतु भवन निर्माणाधीन है.
  3. आदिवासी विकासखंड मुख्याभलय में विद्यार्थियों को नि:शुल्के आवासीय सुविधा - आदिवासी विकासखंड मुख्यालय में विद्यार्थियों को निःशुल्क आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के उददेश्य से 500 सीटर छात्रावास खोलने का निर्णय लिया गया है। प्रथम चरण में 13 छात्रावास स्वीकृत किये गये है.
  4. वनबंधु कल्याण योजना- आदिवासी विकासखंड तथा स्थानीय जनजातियों के समग्र विकास के उदेश्य से वनबंधु कल्याण योजना प्रारंभ की गई है. इस योजना के अंतर्गत कोण्डागांव जिले के विकासखंड कोण्डागांव का चयन किया गया है. वर्ष 2014-15 में इस योजना हेतु रू.1000.00 लाख का आबंटन भारत सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया है. योजनांतर्गत लाइवलीहुड, कौशल परीक्षण, पेयजल सुविधा, स्वास्थ्य परीक्षण एवं सुविधाएं, विद्यालयों में शैक्षणिक सुविधाएं तथा विद्यार्थियों को कोचिंग, गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं/बच्चों को पोषण आहार, हस्तशिल्प विकास एवं दस्तावेजीकरण, विद्युतीकरण तथा अन्य सामुदायिक अधोसंरचना इत्यादि कार्य विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से जिला प्रशासन व्दारा कराए जा रहे है। वर्ष 2015-16 में योजनांतर्गत अनुसूचित क्षेत्रों के निम्न साक्षरता क्षेत्र (Low Literacy Pockets) की बालिकाओं जिसमें विशेष पिछड़ी जनजाति की बालिकाएं भी शामिल है को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने हेतु भारत सरकार व्दारा कुल 10 आश्रम विद्यालय स्वीकृत किये गये हैं जो जिला मुख्यालयों में स्थापित करने का प्रस्ताव है. भारत सरकार व्दारा अब तक रू.1416.50 लाख की स्वीकृति दी गई है.
  5. खाद्यान्न्न सुरक्षा योजना- अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये संचालित प्रदेश के सभी छात्रावास-आश्रम में खाद्यान्न सुरक्षा योजना‘ लागू की गई है.
  6. एकलव्व्य आदर्श आवासीय वि‍द्यालय- भारत सरकार, जनजातीय कार्य मंत्रालय, नई दिल्ली व्दारा संविधान के अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्वक शिक्षा उपलब्ध कराकर सामान्य जाति के विद्यार्थियों के समकक्ष लाना, उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत कर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो इस हेतु एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय प्रारंभ किये गए हैं. वर्तमान में 06 बालक तथा 02 कन्या एवं 17 संयुक्त एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, इस प्रकार प्रदेश में कुल 25 आवासीय विद्यालय विभिन्न जिलों में संचालित किये जा रहें हैं. इन विद्यालयों में कक्षा 6वीं से 12वीं तक 60 सीटर प्रति कक्षा के मान से प्रत्येक विद्यालय में 420 विद्यार्थियों को प्रवेश देने का प्रावधान हैं. शिक्षण सत्र 2017-18 में 5302 विद्यार्थीं अध्ययनरत हैं. इन विद्यालयों में वर्तमान में छ.ग. माध्यमिक शिक्षा मण्डल बोर्ड से अध्यापन कराया जा रहा हैं. निकट भविष्य में इन विद्यालयों में सीबीएसई पाठ्यक्रम संचालित करने की विभाग की योजना है.
  7. सरस्वती सायकिल प्रदाय योजना- महिला साक्षरता को प्रोत्साहित करने हेतु अनु.जाति, अनुजनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य वर्ग की गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली छात्राओं तथा विशेष पिछड़ी जनजाति के छात्रों को कक्षा 8वीं पास कर कक्षा 9वीं में प्रवेश लेने पर सायकिल प्रदाय की जाती है.
  8. निःशुल्क गणवेश प्रदाय योजना- प्राथमिक स्तर की अनु.जनजाति एवं अनु.जाति की समस्त बालिकाओं तथा विशेष पिछड़ी जनजाति के कक्षा 1ली से 8वीं तक के बालक एवं बालिकाओं को निःशुल्क गणवेश प्रदान किया जाता है.
  9. निःशुल्क पाठ्यपुस्तक प्रदाय योजना- कक्षा 1ली से 8वीं तक की पाठ्य पुस्तकें सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से वितरित की जाती हैं. विभाग व्दारा 9वीं एवं 10वी की बालिकाओं को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें प्रदान की जाती है.
  10. मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना- अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग के मेधावी विद्यार्थियों में सतत् उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम देने हेतु पुरस्कृत कर प्रोत्साहित करने एवं प्रतियोगिता की भावना जागृत करना हैं यह पुरस्कार प्रतिवर्ष कक्षा 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षा में अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले अनुसूचित जनजाति के 700 एवं अनुसूचित जाति वर्ग के 300 छात्र-छात्राओं को प्रति विद्यार्थी राशि 15,000/- पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता हैं.
  11. नर्सिंग प्रशिक्षण योजना- नर्सिंग पाठ्यक्रम में निःशुल्क अध्ययन सुविधा योजना नर्सिंग पाठ्यक्रम में निःशुल्क अध्ययन सुविधा योजना वर्ष 2009-10 से प्रारंभ की गयी हैं. योजना अंतर्गत प्रतिवर्ष अनुसूचित जाति वर्ग के 155 एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के 245 इस प्रकार कुल 400 विद्यार्थियों को योजनांतर्गत लाभान्वित किये जाने का लक्ष्य हैं। योजनांतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 में अनुसूचित जाति विद्यार्थियों के लिए राशि रू0 759.00 लाख का बजट प्रावधान है. योजना प्रारंभ से अब तक 1605 विद्यार्थियों को लाभान्वित किया गया है.
  12. छात्र भोजन सहाय योजना- विभागीय मैट्रिकोत्तर छात्रावासों में प्रवेशित अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को विशेष पोषण आहार एवं मेस संचालन के लिए आवश्यक राशि की पूर्ति हेतु प्रति छात्र -छात्रा रू. 400/- प्रतिमाह की दर से सहायता राशि प्रदान की जाती है. इस योजना अंतर्गत वर्ष 2015-16 हेतु रू 1186.80 लाख का बजटीय प्रावधान एवं भौतिक लक्ष्य 23278 है.
  13. विशेष शिक्षण योजना- अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रावास/आश्रमों में रहने वाले विद्यार्थियों को निदानात्मक एवं विशेष शिक्षण के माध्यम से कठिन विषयों से संबंधित कमजोरी को दूर कर प्रवीणता बढ़ाना है जिससे इस वर्ग के छात्र-छात्राओं के परीक्षा परिणाम में गुणात्मक सुधार के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने योग्य बनाया जाता है. वर्तमान में यह योजना प्रदेश के सभी 146 विकासखंडों में संचालित है.
  14. कम्प्यूटर प्रशिक्षण योजना- विभागीय छात्रावासों में निवासरत अनुसूचित जाति/जनजाति के विद्यार्थियों को निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिलाया जाता है, ताकि वे कम्प्यूटर के बारे मे जानकारी प्राप्त कर सी.डी. आदि के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त करने एवं सूचना आदान-प्रदान की नवीन तकनीकों से परिचित हो सके.
  15. स्वस्थ तन स्वस्थ मन (स्वास्थ्य सुरक्षा योजना)- चिकित्सा सुविधा अप्राप्त/विहीन दूरस्थ क्षेत्रों में संचालित छात्रावास/आश्रमों में निवासरत विद्यार्थियों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण तथा गंभीर रोग दुर्घटना की स्थिति में तत्काल सहायता उपलब्ध करायी जाती है। वर्ष 2015-16 में लगभग 66000 छात्र/छात्राएं लाभान्वित रहे है.
  16. आदिवासी सांस्कृतिक दलों को सामाजिक, सांस्कृतिक संरक्षण- आदिवासी संस्कृति के परिरक्षण एवं परिवर्धन की दृष्टि से प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य ग्रामों के सांस्कृतिक दलों को आवश्यक सामग्री की व्यवस्था हेतु एक वित्तीय वर्ष में किसी एक जनपद पंचायत से अधिकतम 05 सांस्कृतिक दलों को रू. 10,000/- की सहायता राशि दी जाती है. वर्ष 2015-16 में राशि रू.100.00 लाख का बजटीय प्रावधान उपलब्ध रहा है.
  17. जनजातियों के पूजा स्थलों (देवगुड़ी) का परिरक्षण एवं विकास योजना- राज्य के समस्त आदिवासी ग्रामों के अनुसूचित जनजातियों के आदिवासी पुरातन संस्कृति को संरक्षित करने हेतु श्रद्धा स्थलों (देवगुड़ी) ग्राम देवता स्थलों का परिरक्षण एवं विकास करना है। योजना के तहत प्रति ग्राम रू. 50,000/- की सहायता राशि दी जाती है.
  18. युवा कैरियर निर्माण योजना- वर्ष 2003 में यह योजना परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण के नाम से संचालित थी। योजना अंतर्गत संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मुख्य रूप से शासकीय शिक्षकों को गेस्ट फैकल्टी के रूप में आमंत्रित कर की जाती थी जिसके कारण योजना में सफलता का प्रतिशत कम रहता था। उक्त योजना के प्रावधानों की समीक्षा कर वर्ष 2006 में युवा कैरियर निर्माण योजना के नाम से प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रशिक्षण का कार्य प्रतिष्ठित निजी कोचिंग संस्थाओं को Out Sourcing करके देने का महत्वपूर्ण परिवर्तन किया गया. जिसका परिणाम भी उत्साहवर्धक रहा है। वर्तमान में यह योजना परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र रायपुर, बिलासपुर तथा जगदलपुर में संचालित की जा रही है. वर्ष 2011 में योजना का विस्तार करते हुए बैंकिंग, रेल्वे भर्ती बोर्ड, कर्मचारी चयन आयोग इत्यादि परीक्षाओं की कोचिंग के कार्य को भी योजना में समाहित किया गया है.
  19. ट्रायबल यूथ हास्टल, नई दिल्ली- देश की राजधानी में रहकर संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा तथा अखिल भारतीय स्तर पर अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए द्वारका नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ शासन, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग व्दारा ट्रायबल यूथ हास्टल संचालित किया जा रहा है। इस संस्था का उददेश्य राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए प्रोत्साहित करते हुए मार्गदर्शन उपलब्ध कराना है। साथ ही संस्था में पोस्ट मैट्रिक स्तर के पाठयक्रम में प्रवेश लेकर उत्कृष्ठ शैक्षणिक संस्थाओं में उच्च अध्यन की सुविधा उपलब्ध कराना है। यह संस्था पूर्णतः आवासीय है जहां आवास करने वाले बच्चों को भोजन, आवागमन की सुविधा प्रदान की जाती है.
  20. सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना- सिविल सेवा परीक्षाओं में सफलता हेतु अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के विद्यार्थियों के लिए प्रोत्साहन योजना संचालित है. ऐसे अभ्यर्थी जिनके पालक आयकर दाता नहीं है उन्हे लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर रू 10,000/- एवं मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण होने पर रू 20,000/- तथा यू.पी.एस.सी. सिविल सर्विसेस प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर रू 1,00,000/- की राशि प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान की जाती है। अब तक 305 विद्यार्थियों को राज्य सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा हेतु एवं 64 विद्यार्थियों को मुख्य परीक्षा हेतु लाभान्वित किया गया है.
  21. प्री. मैट्रिक छात्रवृत्ति - छ0ग0 राज्य में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को शिक्षण में सहायता हेतु राज्य सरकार द्वारा प्री0मै0 अनुसूचित जाति तथा प्री0मै0 अनुसूचित जनजाति छात्रवृत्ति (कक्षा 10 वीं तक) प्रदान की जाती है. वर्ष 2016-17 में छ0ग0 राज्य में अनुसूचित जनजाति के 950111 विद्यार्थियों को प्री0मै0 छात्रवृत्ति प्रदान की गई जिस पर रु 95.074 करोड की राशि व्यय हुई. इसी.प्रकार अनुसूचित जाति के कुल 452165 विद्यार्थियों को प्री0मै0 छात्रवृत्ति प्रदान की गई जिस पर कुल रु. 45.627 करोड़ राशि व्यय हुई.
  22. पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति- कक्षा 11वी एवं उच्च कक्षाओं में अध्ययनरत छात्र/छात्राओं को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति दी जाती है. अनुसूचित जनजाति के रू. 2.50 लाख तक वार्षिक आय वाले परिवार के छात्र इस योजना के अंतर्गत छात्रवृत्ति की पात्रता रखते है. वर्ष 2016-17 में अनुसूचित जनजाति के 135585 छात्र/छात्राएं लाभान्वित हुए है, छात्र/छात्राओं को संस्था व्दारा प्रभारित शिक्षण शुल्क तथा अन्य देय राशि (Excluding amount refundable to the student on completion of the course) की भी पात्रता होती है. प्री0 मैट्रिक तथा कक्षा 11वीं व 12वीं तक की पो0 मैट्रिक छात्रवृत्ति शिक्षा विभाग व्दारा वितरित की जा रही है.
  23. छात्रावास/आश्रम- छ0ग0 राज्य में कुल 2047 छात्रावासों में 96445 विद्यार्थी प्रवेशित हैं. जिसमें से कुल 1288 अनुसूचित जनजाति प्री. मैट्रिक छात्रावासों की 61427 सीटों के विरूध्दस अनुसूचित क्षेत्र के (13 संपूर्ण जिले व अनुसूचित क्षेत्र में शामिल 06 आंशिक जिलों) 1130 अनुसूचित जनजाति प्री. मैट्रिक छा त्रावासों की 55218 सीट्स पर विद्यार्थी प्रवेशित है.
  24. खेल परिसर- राज्य में अध्ययन के साथ-साथ खेल प्रतिभा को विकसित करने के लिये विभाग व्दारा 16 खेल परिसर संचालित किए जा रहे हैं. जिनमें से 14 खेल परिसर अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं हेतु अनुसूचित क्षेत्रों में संचालित किये जा रहे है. इनमें से 6 परिसर कन्याओं के लिए है. प्रत्येक छात्र/छात्रा को प्रतिमाह रू. 850 शिष्यवृत्ति, 500 रू. पोषण आहार हेतु वर्ष में एक बार रू. 3000 संपूर्ण खेल पोशाक के लिये (जिसमें ड्रेस, जूता, मोजा तथा संबंधित खेल की पोशाक शामिल है) तथा रू. 500 शाला गणवेश के लिए दिए जाते है.
  25. अशासकीय संस्थाओं को अनुदान- छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के आर्थिक, परम्परागत मूल संस्कृति, सामाजिक उत्थान से संबंधित गतिविधियों में अशासकीय प्रयासों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अशासकीय संस्थाओं को अनुदान सहायता स्वीकृत करने हेतु अशासकीय संस्था अनुदान नियम-2006 बनाया गया है. राज्य में निवासरत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों के विकास हेतु संचालित विभिन्न प्रवृत्तियों के लिए कुल 12 अशासकीय संस्थाओं को विभाग व्दारा अनुदान दिया जाता है. इन अशासकीय संस्थाओं के द्वारा छात्रावास, औषधालय, बालवाड़ी, स्वास्थ्य केन्द्र, आरोग्य सेवा केन्द्र आदि प्रवृत्तियां संचालित की जा रही है. अशासकीय संस्थाओं को वित्तीय वर्ष 2016-17 में राशि रूपये 1445.96 लाख अनुदान स्वीकृत किया गया है.
  26. आदिम जाति विद्यार्थी उत्कर्ष योजना- राज्य में ऐसे प्रतिभावान आदिवासी छात्र/छात्रा जिन्होंने कक्षा 5वीं, तथा 8 वीं की बोर्ड परीक्षाओं में क्रमशः 85 प्रतिशत, तथा 80 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हों इस योजना के माध्यम से उन्हे राज्य स्तर पर चयन कर राज्य के बेहतर परिणाम वाले सर्वसुविधायुक्त पब्लिक स्कूलों में कक्षा 6वीं एवं 9वीं में प्रवेश दिलाया जाता है. इन शालाओं का संपूर्ण व्यय विभाग व्दारा वहन किया जाता है. इस योजना अंतर्गत वर्ष 2016-17 में राशि रू.925.00 लाख का प्रावधान रखा है जिसके विरूध्दा राशि रू.668.942 लाख जारी/व्यय किया गया. योजना अंतर्गत कुल 719 छात्र/छात्राएं लाभान्वित हुए है. उक्त छात्र/छात्राओं में अनुसूचित क्षेत्र के विद्यार्थी शामिल है.
  27. राहत योजनाएं -
    1. आकस्मिकता योजना नियम 1995:- अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों पर गैर अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्तियों व्दारा उत्पीड़न, हत्या, बलात्कार, अपमानित करने, शारीरिक आघात पहुंचाने, संपत्ति को हानि पहुंचाने आदि के मामलों में विभाग व्दारा आकस्मिता योजना नियम के प्रावधानों के अनुसार पीड़ितों को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जाती हैं साथ ही उत्पीड़ित व्यक्ति, उनके परिवार, आश्रितों को विभिन्न धाराओं में पुनर्वास के तहत मासिक निर्वाह भत्ता, रोजगार, पेयजल, कृषि भूमि, बच्चों की शिक्षा, सामाजिक पुनर्वास, स्वरोजगार, विकलांगों को कृत्रिम अंग आदि हेतु सहायता उपलब्ध करायी जाती है. वर्ष 2016-17 में अनुसूचित क्षेत्र के 13 पूर्ण एवं 06 आंशिक जिलों के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कुल 622 पीड़ितों/आश्रितों को अधिनियम के अंतर्गत राशि रू. 492.42 लाख की राहत राशि प्रदान की गई है. संशोधन अधिनियम/नियम के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन द्वारा अगस्त 2016 में आकस्मिकता योजना नियम के नियम 7 में संशोधन अनुसार बढ़ी हुई दरों पर पीड़ितों/आश्रितों को राहत सहायता राशि दी जा रही है.
    2. राहत योजना के अंतर्गत प्रदेश के अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के विपत्ति प्रभावित व्यक्तियों को जिला कलेक्टर के व्दारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, वर्ष 2016-17 में अनुसूचित क्षेत्र के 461 संकटपन्न व्यक्तियों को राशि रू.7.96 लाख की राहत सहायता प्रदान की गई है.
  28. आर्थिक विकास की योजनाएं-
    1. स्वरोजगार के लिए विभाग की पहल:- छ.ग. राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम रायपुर अनुसूचित जनजाति वर्ग के आर्थिक विकास के दायित्व का निर्वहन कर रहा है. राज्य शासन व्दारा प्रदेश के युवा बेरोजगारों को प्रशिक्षण हेतु उद्यमी विकास संस्थान की समस्त इकाईयां एवं पूर्व में विभाग द्वारा संचालित प्रशिक्षण सह-उत्पादन केन्द्रों का विलय इस निगम में कर दिया गया है. निगम की पूंजी का 51 प्रतिशत राज्य की अंश पूंजी हिस्सा एवं 49 प्रतिशत केन्द्रीय अंशपूंजी हिस्सा है. निगम व्दारा छत्तीसगढ़ राज्य के निर्धारित मापदंड में आने वाले अनुसूचित जनजाति हितग्राही वर्ग के आर्थिक उत्थान में वित्तीय ऋण सहायता निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत दी जाती है. वर्ष 2016-17 (दिसंबर 2016 की स्थिति) में आदिवासी स्वरोजगार योजना अंतर्गत 1832 हितग्राही लाभान्वित हुए है 180.21 लाख अनुदान एवं 799.32 लाख ऋण के रूप उपलब्ध कराया गया है.
    2. शहीद वीरनारायण सिंह स्वावलंबन योजना - इसके 823 हितग्राहियों को 1122.00 लाख की राशि उपलब्ध कराई गई है.
    3. व्यवसायिक प्रशिक्षण के अंतर्गत कौशल उन्नयन योजना में 1310 हितग्राहियों को 107.85 लाख रू की राशि उपलब्ध कराई गई है. इन योजनाओं के लाभान्वित हितग्राहियों में राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों के हितग्राही शामिल है.

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