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संविधान के अनुच्‍छेद 1 से 4 तक का स्‍पष्‍टीकरण

अनुच्‍छेद - 1 - संघ का नाम और राज्‍यक्षेत्र

(1) भारत, अर्थात्‌ इंडिया, राज्यों का संघ होगा.

[ (2) राज्य और उनके राज्यक्षेत्र वे होंगे जो पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं।]

(3) भारत के राज्यक्षेत्र में,

(क) राज्यों के राज्यक्षेत्र,

[(ख) पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट संघ राज्यक्षेत्र, और]

(ग) ऐसे अन्य राज्यक्षेत्र जो अर्जित किए जाएँ,

समाविष्ट होंगे.

2. नए राज्य का प्रवेश या स्थापना –

संसद, विधि द्वारा, ऐसे बंधन और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ मे नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी.

[2क. [सिक्कम का संघ के साथ सहयुक्त कि‍या जाना]–

संवि‍धान (छत्‍तीसवां संशोधन) अधि‍नि‍यम, 1975 की धारा 5 द्वारा (26-4-1975 से) लोप कि‍या गया.]

3. नए राज्यों का नि‍मार्ण और वतर्मान राज्यों के क्षेत्रो, सीमाओं या नामों मे परिवर्तन –

संसद वि‍धि द्वारा –

(क) कि‍सी राज्य मे से उसका राज्य क्षेत्र को अलग करके अथवा दो या अधि‍क राज्यों को या राज्यों के भागों को मि‍लाकर अथवा कि‍सी राज्य क्षेत्र को कि‍सी राज्य के भाग के साथ मि‍लाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी ;

(ख) कि‍सी राज्य का क्षेत्र बढ़ा सकेगी ;

(ग) कि‍सी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी ;

(घ) कि‍सी राज्य की सीमाओं मे परि‍वर्तन कर सकेगी ;

(ङ) कि‍सी राज्य के नाम मे परि‍वर्तन कर सकेगी :

4. पहली और चौथी अनुसूची में संशोधन को अनुच्‍छेद 368 के अंतर्गत संविधान संशोधन नहीं माना जायेगा.

वर्ष 2023 में नई दिल्ली में आयोजित हुये G-20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण पत्र में पारंपरिक रूप से "प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया" के बजाय, निमंत्रणों पर "भारत के राष्ट्रपति" शब्द का प्रयोग किया गया. इसने देश के नामकरण और इसके ऐतिहासिक अर्थों को लेकर व्यापक बहस को जन्म दे दिया है.

भारत के संविधान का अनुच्छेद 1 में "इंडिया" और "भारत" दोनों ही शब्‍दों का परस्पर उपयोग किया गया है, जिसमें कहा गया है, "भारत, जो कि इंडिया है, राज्यों का एक संघ होगा." भारत के संविधान की प्रस्तावना "हम भारत के लोग" से शुरू होती है, लेकिन अंग्रेज़ी संस्करण में We the people of "India" शब्‍दों का प्रयोग किया गया है. इसससे लगता हे कि संविधान निर्माता दोनो शब्‍दों का एक ही अर्थ मानते थे जिन्‍हें आपस में बदल कर प्रयोग किया जा सकता है.

भारत नाम की उत्पत्ति:

  1. विष्णु पुराण में ‘भारत’ का वर्णन दक्षिणी समुद्र और उत्तरी बर्फीले हिमालय पर्वत के मध्य की भूमि के रूप में किया गया है.
  2. भरत एक प्रसिद्ध राजा थे. कहा जाता है कि उनके नाम पर देश का नाम भारत पड़ा.

इंडिया नाम की उत्पत्ति:

माना जाता है कि अरबी लोग 'सि' का उच्‍चारण नहीं कर पाते थे और उसका उच्‍चारण हि' के रूप में करते थे. इसी कारण वे 'सिंधु' नदी के पार रहने वालों को 'हिंदु' करने लगे. ग्रीक लागों ने भारत के बारे में अरबी लोगों से जाना. ग्रीक लोक 'हि' का उच्‍चारण 'इ' के रूप में करते थे, इसलिये वे सिंधु नदी को 'इंदुस' कहने लगे. और सिंधु के लोगों को 'ए़ंदुए' कहने लगे. यूरोपीय लोगों ने इसी से भारत का नाम ‘इंडिया’ अपनाया. ब्रिटिश शासन में यही हमारे देश का आधिकारिक नाम बन गया.

इंडिया और भारत के संबंध में संविधान सभा की बहस: वर्ष 1949 में संविधान सभा में भी देश के नाम को लेकर मतभेद था. कुछ सदस्यों को लगा कि "इंडिया" शब्द औपनिवेशिक उत्पीड़न की याद दिलाता है. उन्होंने आधिकारिक दस्तावेज़ों में "भारत" को प्राथमिकता देने की मांग की. जबलपुर के सेठ गोविंद दास ने "भारत" को "इंडिया" से ऊपर रखने की वकालत की. "हरि विष्णु कामथ ने भी आयरिश संविधान का उदाहरण देकर देश का नाम बदलकर "भारत" शब्‍द का प्रयोग करने को कहा.

सर्वोच्च्य न्यायालय ने 'इंडिया' का नाम बदलकर 'भारत' करने की याचिका को दो बार खारिज़ करा है. एक बार वर्ष 2016 में तथा फिर वर्ष 2020 में, यह पुष्टि करते हुए कि "भारत" और "इंडिया" दोनों का संविधान में उल्लेख है.

हमारे देश अन्‍य बहुत से नामों को उपयोग भी होता रहा है. गुरु नानक देव ने गुरबानी में "हिंदुस्तान" का उल्लेख किया है. गदर पार्टी ने अपने आंदोलनों में "हिंदुस्तान" शब्द का प्रयोग किया था. 21 अक्टूबर 1943 के दिन नेताजी ने सिंगापुर में आर्जी-हुकूमते-आज़ाद-हिन्द की स्‍थापना की थी. इसी प्रकार भारत के लिये आर्यावर्त का उपयोग भी होता है, जिसका अर्थ है, आर्यों के रहने का स्‍थान.

इंडिया और भारत नाम की डिबेट पर यूट्यूब की चैनल Indraprasth Vishwa Samvad Kendra पर Creative Commons Attribution license (reuse allowed) पर उपलब्‍ध यह वीडियों देखिये

अनुच्‍छेद 1(3) (ग) के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों को स्‍वतंत्रता के पश्‍चात् भारत में शामिल किया गया है -

  1. चन्‍द्र नगर को अध्‍यपर्ण संधि के व्दारा 9 जून 1952 को फ्रांस से अधिग्रहीत किया गया. इसके बाद यह अर्जित राज्‍यक्षेत्र के रूप में रहा. 2 अक्‍टूबर 1954 को चन्‍द्रनगर (विलयन) अधिनियम 1954 से इसे पश्चिम बंगाल में मिला दिया गया.
  2. गोवा, दमण और दीव का अधिग्रहण अर्जित क्षेत्र के रूप में 20.12.1961 को किया गया. संविधान (बारहवां संशोधन) अधिनियम, 1962 व्दारा इन्‍हें 29.3.1962 को संघ में मिलाया गया.
  3. पांडिचेरी, कराइकल, माहे और यनम को फ्रांस व्दारा 1954 में ही भारत को सौंप दिया गया था, परन्‍तु फ्रांसीसी संसद व्दारा अध्‍यर्पण संधि का अनुमोदन 16.08.1962 को किया गया. तब तक इनका प्रशासन विदेशी अधिकार क्षेत्र अधिनियम के अंतर्गत विदेशी राज्‍यक्षेत्र के रूप में किया गया. इसके बाद 28.12.1962 तक इनका प्रशासन अर्जित राज्‍य के रूप में किया गया और संविधान (चौइहवां संशोधन) अधिनियम 1962 व्दारा 28.12.1962 को इन्‍हें संघक्षेत्र में मिलाया गया.
  4. सिक्किम भारत का संरक्षित राज्‍य (Protected State) था. इसकी रक्षा, विदेशी मामलों एवं संचार का दायित्‍व भारत पर था. संविधान (35वां संशोधन) अधिनियम 1974 व्दारा सिक्किम को भारत का सहयुक्‍त राज्‍य (Associated State) बनाया गया. इसके बाद संविधान (36वां संशोधन) अधिनियम 1975 से इसे भूतलक्षी प्रभाव से 26 अप्रेल 1975 से भारत के राज्‍य के रूप मे शामिल किया गया.
  5. गोवा को कैसे पुर्तगाली शासन से स्‍वतंत्रता मिली इसका एक वीडियो यूट्यूब की चैनल Peepul Tree World (Live History India) पर Creative Commons Attribution license (reuse allowed) के अंतर्गत उपलब्‍ध है. वीडियो मैं आपको दिखा रहा हूं

    मूल संविधान में 3 प्रकार के राज्‍य थे. 'क' श्रेणी के राज्‍य वे थे जहां ब्रिटिश भारत में गवर्नर और निर्वाचित विधान मंडल थे. 'ख' श्रेणी के राज्‍य वे थे, जहां राजप्रमुख और निर्वाचित विधान मंडल थे. 'ग' श्रेणी के राज्‍यों में पूर्व मुख्‍य आयुक्‍त प्रॉविंस और कुछ रियासतें शामिल थीं. इसके बाद अनेक बार राज्‍यों का पुर्नगठन किया गया. आज भारत में केवल एक ही प्रकार के राज्‍य और केन्‍द्र शासित प्रदेश हैं. अंतिम पुर्नगठन व्दारा जम्‍मू-काश्‍मीर राज्‍य का विभाजन जम्‍मू-काश्‍मीर और लद्दाख में किया गया है. वर्तमान में भारत में 28 राज्‍य और 8 केन्‍द्र शासित प्रदेश हैं.

    संघ का तात्‍पर्य -

    संविधान के अनुसार भारत, राज्‍यो का संघ है, परन्‍तु संव‍िधान में फेडेरेशन शब्‍द का उपयोग नहीं किया गया है, बल्कि यूनियन शब्‍द का उपयोग किया गया है. इसका तात्‍पर्य यह है कि राज्‍यों का संघ राज्‍यों की सहमति से नही बना है, बल्कि संविधान व्दारा बना है, और राज्‍यों को संघ से अलग होने का अधिकार नही है.

    यह प्रश्‍न भी उठा है कि क्‍या संसद को अनुच्‍छेद 3 में भारत के क्षेत्र को कम करके किसी विदेशी को सौंपने की शक्ति है. re Berubari Union & Exchange of enclaves, AIR 1960, SC, 845 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुच्छेद 3 के तहत किसी राज्य के क्षेत्र को कम करने की संसद की शक्ति भारतीय क्षेत्र को किसी विदेशी देश को सौंपने को कवर नहीं करती है. इसके लिए, अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन करके ही भारतीय क्षेत्र को किसी विदेशी को सौंपा जा सकता है.

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