अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी–

चूहों की समझदारी

AKSep23

एक छोटे से जंगल मे हाथी रहते थे. उस जंगल मे एक झील थी. झील का पानी पीकर सभी हाथी अपनी प्यास बुझाते थे. उस समय गर्मी बहुत पड़ रही थी.

ज्यादा गर्मी के वजह से झील का सारा पानी सूख गया था. अब हाथी पानी के लिए बहुत परेशान रहने लगे.

कई दिनों तक वे बिना पानी के रहे. एक दिन उनमे से एक हाथी जोर से कहता है – अब आप सब चिंता मत कीजिये. पानी मिल गया है.

यह सुनकर सभी हाथी बहुत खुश हो जाते है ओर कहते है – तुम्हें कहाँ मिला पानी ?

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

वह हाथी कहता है-' यहाँ से थोड़ी दूरी पर एक नदी है, वहाँ पूरे नदी में पानी है.चलो मैं तुम सबको अपने साथ ले चलता हूँ.तभी पास में बैठा चूहा कहता है,यह गलती कभी नहीं करना.उस नदी के पास कोई भी जीव-जंतु,पानी पीने जाता है तो शिकारी के जाल में फंस जाता है और वह उनका शिकार बन जाता है.नदी के चारों ओर शिकारी जाल फैला कर रखा हुआ है.

उनकी बातों को सुनकर हाथी कहता है-'चूहा भाई,हमें क्या करना चाहिए.ताकि हम पेट भर पानी पीकर वहाँ से सुरक्षित लौट सके.'तब चूहा कहता है-हाथी भैया,आप हमें अपने साथ ले चलो.हम बेशक छोटे हैं,पर कभी ना कभी हम भी आपके काम आ सकते हैं.चूहा की बातों को सुनकर उसमें से एक हाथी हंसते हुए कहता है-तुम इतने छोटे हो,हमारे क्या काम आओगे? साथी हाथी के बाद को काटते हुए समझदार दूसरी हाथी कहता है- ठीक है हम सब उस नदी के पास चलते हैं.

अगले दिन चुपचाप शिकारी के सो जाने के बाद धीरे-धीरे सभी हाथी और चूहे नदी के पास पहुँचने वाले ही रहते हैं.तभी सभी हाथी शिकारी के फैलाए हुए जाल में फंस जाते हैं.चूहे तो छोटे होने कारण वे सभी जाल से निकल जाते हैं.लेकिन सभी हाथी जाल में बुरी तरह से फंस जाते हैं.जैसे ही हाथी जाल से बाहर निकलने के लिए छटपटाता है.वह और जाल में फंसते जाता है.चूहे की ओर देखकर सभी हाथी प्रार्थना करते हैं कि चूहे भाई,कोई भी तरह से हमें शिकारी के आने के पहले जाल से बाहर निकालें.

चूहे,हाथी को धीरज रहने की बात कहते हैं.फिर सभी चूहे मिलकर अपने दांतों से रस्सी और जाल को काटकर हाथी को बाहर निकलते हैं.हाथी चूहे को धन्यवाद देते हैं. तत्पश्चात सभी हाथी नदी में पहुँचकर पेट भर पानी पीते हैं.जिन हाथी ने उन चूहों का मजाक उड़ाया था.वह कहता है-चूहा भाई,मुझे माफ कर दीजिए!मैं उस दिन आपको छोटा समझकर मजाक बनाया था.

चूहा उसे क्षमा करते हुए कहता है की हाथी भाई, इस धरती पर सभी प्राणियों का अलग-अलग गुण होता है.एक दूसरे को अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए.कब,कौन, किसका काम आ जाए.इसे कोई नहीं जानता.इस तरह जंगल में सभी हाथी और चूहे मित्र बनकर,सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करते हैं.

बच्चों इस कहानी से हमने समझा कि-छोटे लोगों का कभी भी मजाक नहीं बनना चाहिए. मुश्किल समय में कोई भी काम आ सकता है.जो काम चूहे ने किया.वह काम हाथी कभी नहीं कर सकते.

आस्था तंबोली, जांजगीर द्वारा भेजी गई कहानी

पानी मिल गया है यह सुनकर सभी हाथी बहुत खुश हो जाते हैं .और कहते हैं तुम्हें कहां मिला पानी हाथी कहता है मेरे पीछे आओ एक जगह है जहां बहुत पानी है वह जंगल के रास्ते सभी को पानी के पास ले जाने लगा. तभी अचानक एक शिकारी जंगल में दिखा सभी हाथी घबरा गए और इधर-उधर भागने लगे. शिकारी ने एक हाथी को पकड़ लिया और एक पेड़ से बांध दिया बाकी हाथी शिकारी से बचकर भाग गए .जिस हाथी को शिकारी ने बांधा था वह बहुत परेशान हो गया उसे प्यास भी लगी थी वह हाथी पानी के लिए इधर-उधर देख रहा था.तभी उसे वहां कुछ चूहे दिखे हाथी ने चूहों से मदद मांगी हाथी ने अपनी सारी बातें चूहों को बताई चूहों को हाथी पर दया आ गई .जैसे ही शिकारी वहां से गया वैसे ही सभी चूहे रस्सी को उतरने लगे धीरे-धीरे करके सभी रस्सी को कुतर डाला और हाथी को शिकारी से बचा लिया.हाथी और चूहा दोनों दोस्त बन गए. हाथी अपने दोस्तों के पास चला गया और मन भर के पानी पी लिया.

कुमारी दिव्यानी साहू, आठवीं, शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय ककेड़ी, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

तब वह हाथी कहता है. चलो मैं उस जगह पर ले जाता हूँ. सभी हाथी उस हाथी के पीछे-पीछे चलते हैं.कुछ दूर जाने के पश्चात एक बरगद का विशाल वृक्ष मिलता है,उसी के किनारे एक बहुत बड़ा तालाब था.जिसमें पानी भरा हुआ था.सभी जानवर पेट भर पानी पीने की बाद बरगद के पेड़ के पास आराम करते हैं.

इसी बरगद की वृक्ष के पास चूहे का बिल था.जिसमें बहुत से चूहे रहते थे.कुछ देर आराम करने के बाद सभी हाथी वापस घर जाते हैं.जैसे ही हाथी चलना प्रारंभ करते हैं.देखते हैं कि सभी हाथी के पैर में रस्सी फंसा हुआ है.रस्सी को छुड़ाने की कोशिश करता है.लेकिन रस्सी और उसके पैर में बंधते जाता है. वास्तव में वह रस्सी नहीं शिकारी द्वारा फैलाए हुए जाल था.जिसमें सभी हाथी बुरी तरह फंस जाते हैं.सहायता के लिए सभी हाथी जोर-जोर से चिंघाड़ते (चिल्लाते) हैं.हाथियों की आवाज को सुनकर सभी चूहे बिल से निकलते हैं.उसे देखकर हाथी कहते हैं-'चूहा भाई!कृप्या हमारी सहायता करें.' चूहों को हाथियों का दु:ख देखा नहीं गया.उन्होंने तुरंत शिकारी के आने के पहले,फंसे हुए रस्सी को अपने नुकुली दांत से काटते हैं और हाथी को जाल से छुड़ा देते हैं. हाथी सभी चूहों को धन्यवाद देते हैं. दोनों में अच्छी मित्रता हो जाती है. कुछ दिन के पश्चात बारिश का मौसम आ गया.फिर बहुत तेज बारिश होने लगी. सभी तालाब, नदी-नाले और झील पानी से भर गए.सभी जानवर खुशी से नाचने लगे.

साथियों इस कहानी से हमने यह सीखा की विपत्ति किसी भी व्यक्ति के ऊपर आ सकती है.अपनी तरफ से जितना हो जाए.उस विपत्तियों को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए.यही इंसानियत है.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

बाज की उड़ान

AKOct23

एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया.

कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमें से एक था .

वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिट्टी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीं की तरह चूँ-चूँ करता .

बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोड़ा सा ही ऊपर उड़ पाता ,और पंख फड़-फड़ाते हुए नीचे आ जाता .

इसके आगे क्या हुआ होगा? इस कहानी को पूरा कीजिए और इस माह की पंद्रह तारीख तक हमें kilolmagazine@gmail.com पर भेज दीजिए.

चुनी गई कहानी हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

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