चित्र देख कर कहानी लिखो
पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी–
हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं
संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी
हाथी और ऊॅ॑ट की दोस्ती
बच्चों चित्र के माध्यम से हम हाथी और ऊॅ॑ट की कहानी शेयर कर रहे है.सदा आपस में लड़ने वाले हाथी और ऊॅ॑ट के मध्य श्रेष्ठता प्रमाणित करने के लिए प्रतियोगिता होती है.कौन जीतता है? क्या उनकी हाथी और ऊॅ॑ट की दोस्ती हो पाती है? जानने के लिए पढ़िए पूरी कहानी :
बहुत समय पहले की बात है.एक जंगल में एक हाथी और एक ऊॅ॑ट रहते थे.विशाल शरीर वाला हाथी बलशाली था.वह अपने बल से बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़ फेंकता था.अपने विशाल पैरों के नीचे छोटे पौधे और झाड़ियों को रौंद डालता था.वहीं ऊॅ॑ट तेज और फुर्तीला था.पलक झपकते ही बड़े-बड़े पौधों को झुका देता और रेतीला जमीनों में तेज रफ्तार से चलता था.
हाथी और ऊॅ॑ट दोनों को अपने-अपने गुणों पर अभिमान था और दोनों स्वयं को दूसरे से श्रेष्ठ समझते थे.इस बात पर प्रायः उनमें बहस होती,जो कई बार झगड़े का रूप ले लेती थी.लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकलता था.
जंगल में रहने वाला एक बंदरअक्सर हाथी और ऊॅ॑ट की लड़ाई देखा करता था.वह उनकी बहसबाजी और लड़ाई से तंग आ चुका था.एक दिन वह उन दोनों से बोला-'तुम दोनों की बहस मैं कई दिनों से देख रहा हूँ.आज फैसला हो ही जाये. क्यों न तुम दोनों में एक प्रतियोगिता करवाई जाये, जो जीतेगा, वही श्रेष्ठ होगा. क्या कहते हो?'
हाथी और ऊॅ॑ट बंदर की बातों को मान गये.एक स्वर में उन्होंने पूछा-'मगर प्रतियोगिता क्या होगी?'
बंदर बोला-'इस जंगल के थोड़ी दूर में एक पहाड़ है. वहाँ एक पुराना वृक्ष है, जिस पर एक अनोखा फल लगा हुआ है.वह अनोखा फल खाने से कोई भी जीव बुढ़ापा नहीं होता.तुम दोनों में से जो भी उस अनोखा फल को ले आयेगा,वह विजेता होने के साथ ही दूसरे से श्रेष्ठ होगा.'
हाथी और ऊॅ॑ट के बीच बंदर ने झंडा दिखाकर प्रतियोगिता प्रारंभ किया.ऊॅ॑ट फुर्ती से एक पेड़ से दूसरे पेड़ को झुकाते हुए,तो कुछ पेड़ को तोड़ते हुए, उछल-उछलकर आगे बढ़ने लगा.वहीं हाथी अपनी सूंड से रास्ते में आने वाले पेड़ों को उखाड़ता और रौंदता हुए आगे बढ़ने लगा.
कुछ ही देर में उन दोनों ने जंगल पार कर लिया.अब उनके सामने पहाड़ थी.पहाड़ चढ़ने के बाद ही वह पुराना वृक्ष है.जिसमें अनोखा फल प्राप्त करना है. हाथी और ऊॅ॑ट ने पहाड़ पर चढ़ने का भरपूर कोशिश किया.लेकिन पहाड़ अधिक ऊॅ॑चा एवं दोनों का शरीर भारी होने के कारण पहाड़ पर नहीं चढ़ पाया और वह अनोखा फल प्राप्त नहीं कर सका. हार थककर दोनों वापस पुनः उसी स्थान पर आ गए.
वापस आकर शर्मिंदा होते हुए हाथी और ऊॅ॑ट,बंदर से कहने लगे-'बंदर भाई, हम दोनों को अपने लंबे,मोटे,ताजे शरीर एवं अपनी बुद्धि पर बहुत घमंड था.हम अपने किए गए कार्यों पर बहुत ही शर्मिंदा है.हमें समझ आ गया है कि हम दोनों के गुण अपनी-अपनी जगह श्रेष्ठ हैं.हमने फैसला किया है कि अब से हम कभी नहीं लड़ेंगे और मित्र बनकर रहेंगे.'
बंदर का प्रयोजन सिद्ध हो चुका था.वह यही सीख दोनों को देना चाहता था.वह बोला- 'हर प्राणी एक दूसरे से भिन्न होता है.उनमें अपने गुण होते हैं और अपनी कमजोरियाँ भी होती है. कोई एक-दूसरे से श्रेष्ठ नहीं है,बस भिन्न है और अपने स्तर पर श्रेष्ठ है.हमें एक दूसरे से लड़ना नहीं हैं, बल्कि सबका सम्मान कर मिल जुलकर रहना है.'
उस दिन से हाथी और बंदर मित्र बन गये.
बच्चों इस कहानी से हमने सीखा कि एक दूसरे के गुणों का सम्मान कर मिलजुल कर रहना चाहिए ताकि जिंदगी सुखद हो.
आस्था तंबोली, जांजगीर द्वारा भेजी गई कहानी
एक समय की बात है जब तेज गर्मी पड़ रही थी. ऐसे में कुछ जानवर पानी की तलाश में इधर-उधर घूम रहे थे. उन्हें कहीं पानी नहीं मिल रहा था अचानक एक बंदर उछल कूद करता हुआ आया और उन जानवरों को पानी का रास्ता दिखाया. कि अपनी किसी और मिल सकता है सभी जानवर उस बंदर की बात मानकर आगे बढ़ने लगे. तभी बंदर ने कहा जहां आपको पानी मिले पानी पीने के बाद यह झंडा वहां लगा देना ताकि फिर कभी किसी को जरुरत पड़ेगा तो मैं उनकी मदद कर पाऊं ठीक है कह कर वे सभी जानवर पानी की ओर बढ़ने लगे आगे एक नदी मिली जहां बहुत ही पानी था सभी जानवरों ने वहां पानी पिया. पानी पीने के बाद वापस होते समय उन्होंने झंडा उस नदी के किनारे लगा दिया. ताकि सभी जीव जंतु को पानी का पता लग सके और सभी को इस भीषण गर्मी में पानी मिल सके.
कुमारी प्रिया राजपूत, कक्षा -आठवीं, शाला-शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय ककेड़ी, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी
कहानी तीन दोस्तों की
एक जंगल में हाथी,बंदर और ऊॅ॑ट तीनों दोस्त रहते थे.उन तीनों में गहरी मित्रता थी.जहाँ भी जाते,तीनों एक साथ रहते,साथ मिलकर भोजन करतेऔर जंगल में मौज मस्ती करते रहते थे.
एक दिन बंदर ने देखा कि जंगल में कुछ जानवर दौड़ लगा रहे हैं.तभी बंदर को मस्ती सूझी.उन्होंने जल्दी से हाथी और ऊॅ॑ट को बुलाकर कहा-'चलो मैं आज तुम दोनों का दौड़ का खेल कराऊॅ॑गा.दौड़ में कौन बाजी मारता है देखते हैं.जो दौड़ में पहला आएगा,वह इस जंगल का राजा होगा.दोनों उनकी बातों को मान गए.
अगले दिन हाथी और ऊॅ॑ट को एक साथ खड़े कर बंदर,झंडा दिखाकर दोनों का दौड़ प्रारंभ किया.दोनों हिस्ट-पुस्ट थे.दौड़ में प्रथम आने के लिए सामने में जो भी चीज आता था.उसे रौंदते हुए आगे बढ़ते गए. तभी अचानक ऊॅ॑ट के पैर फिसल गया.फिसलने के कारण उनके पैर में मोच आ गई और वह चलने में असमर्थ हो गया.हाथी भी अपने साथी ऊॅ॑ट को चलने में असमर्थ देखकर,जीत का प्रवाह ना करते हुए दौड़ के खेल को समाप्त किया.हाथीअपने साथी ऊॅ॑ट को कहा-दोस्त, इस खेल में तुम आगे थे.आपकी पैर में मोच आने के कारण,आप पीछे हो गए.इसलिए मैं जंगल का राजा आपको बनाता हूँ.तभी ऊॅ॑ट कहते हैं-नहीं भाई,खेल तो खेल ही होता है.प्रथम तो आप ही आए हो.इस कारण जंगल का राजा आप ही बनोगे.उन दोनों की बातों को बंदर सुनकर कहता है- आप दोनों की दोस्ती अटूट है.एक दूसरे के प्रति त्याग और समर्पण की भावना देखा गया. इस कारण आप दोनों जंगल के राजा हुए. हाथी और ऊॅ॑ट,बंदर की फैसले का स्वागत किया.तीनों साथी-खुशी से जंगल में अपना जीवन बिताने लगे.
साथियों,हमें भी हाथी और ऊॅ॑ट की तरह खेल में जीत के परवाह न करते हुए खेल की भावना से खेल खेलना चाहिए और अपने साथियों के प्रति त्याग एवं समर्पण का भाव होना चाहिए.यही मित्र धर्म है.
अगले अंक की कहानी हेतु चित्र
अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर अगले माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे