पहेलियाँ

छत्तीसगढ़ी जनऊला

रचनाकार- कन्हैया साहू 'अमित', भाटापारा

Chhattisgarh_janaula

01- रहिथे बादर के ओ पार। सूरुज चंदा के घर द्वार।।
दिखथे नीला-नीला रंग। लगथे जइसे हावय संग।।

02- लकलक-लकलक बरते जाय। लाली करिया लपट उठाय।।
येखर ताकत सबो डराय। जेला पावय राख बनाय।।

03- जिनगी खातिर अमरित मान। जीव जगत के बसथे प्रान।।
भाप, बरफ येहा बन जाय। ऊपर ले खाल्हे बोहाय।।

04- दिखय नहीं पर चलथे जोर। सरसर-सरसर करथे शोर।।
जीव जगत के सिरतों आस। येखर बल मा सबके साँस।।

05- गोल-गोल मैं घूमत जाँव। बइठ सकँव नइ एक्के ठाँव।।
दाई कहिथे मोला संसार। रखँय तभो तरपौंरी पार।।

06- धरती के ये संग सहाय। ढेला, फुतका जघा कहाय।।
दुनिया भर ला ये उपजाय। आखिर अपने संग मिलाय।।

07- बड़े बिहनिया येहा आय। संझौती बेरा मा जाय।।
येखर संगे संग अँजोर। नइ ते अँधियारी घोर।।

08- सरी जगत के करथे सैर। भुँइयाँ मा नइ राखय पैर।।
दिन मा सोवय, जागय रात। करय अँजोरी रतिहा घात।।

09- गिनत-गिनत मनखे थक जाँय। बगरय बादर कहाँ समाँय।।
रतिहाकुन मा इन टिमटाम। बोलव झटपट का हे नाम।।

10- ना भुँइया मा माढ़ै भार। ना ऊपर मा रहय सवार।।
करै अँजोरी अउ अँधियार। कभू बरसजय मूसलधार।।

अगास, आगी, पानी, हवा, धरती, माटी सूरुज, चंदा, चँदैनी, बादर

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पहेलियां

रचनाकार- जानवी कश्यप ,आठवीं ,स्वामी आत्मानंद तारबाहर बिलासपुर

paheliya

1) लाल रंग का हूं ,
पर बाजार में सबसे महंगा हूँ.

2)हरा भी हूं लाल भी हूं,
लोग मुझे खाते हैं,
पर उनके आंखों से आंसू निकल आते हैं.

3) मेरे बिना कोई साँस नहीं ले सकता, पर लोग मुझे काँट देते हैं.

4) नारंगी रंग का हूं,
लोग मुझे रोज सलाद बनाकर खाते हैं.

5) लोग मुझे कॉपी में लिखते हैं,
मैं हरा, लाल, नीला, काला ,गुलाबी ,सब रंग का हूं..

उत्तर-(1) टमाटर (2) मिर्च (3) पेड़ (4) गाजर (5) कलम

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बूझो तो जानें

रचनाकार- गौरीशंकर वैश्य विनम्र, लखनऊ

paheliya

  1. जीवन वृक्ष या श्रीफल कह लो
    इसकी गाथा बहुत पुरानी
    इसके तने से घर बन जाते
    फल दे दूध, तेल और पानी

  2. मांस का सेवन नहीं जो करता
    उसको देता है प्रोटीन
    तेल, दूध, टोफू भी बनता
    आधा सोया, आधा बीन

  3. मछली, जिसका रंग सुनहरा
    देख ले पराबैंगनी तरंग
    आँखें खोलकर सो सकती है
    कीड़े खाकर भरे उमंग

  4. सफेद रंग का द्रव होता है
    इसमें वसा, प्रोटीन कैसीन
    पी लो या घी, दही बना लो
    देता है बल - बुद्धि नवीन

  5. केरोटीन - प्रोटीन से बनी
    सिर के ऊपर उगे फसल
    काटो तो हो दर्द नहीं
    काला, सफेद में जाए बदल
1 नारियल 2 सोयाबीन 3 गोल्डफिश 4 दूध 5 बाल

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पहेलियाँ

रचनाकार- शगुन बर्मन, कक्षा 7, उच्च प्राथमिक विद्यालय सबदलपुर, सहारनपुर

paheliya

  1. पंख है लेकिन चिड़िया नहीं,
    चलता है लेकिन बढ़ता नहीं,
    गर्मी भागना इसका काम,
    झट बतलाओ क्या है नाम.

  2. एक लाठी की सुनो कहानी,
    इसमें छुपा है मीठा पानी.

  3. लाल पूंछ हरी बिलाई,
    इसका बनता हलवा भाई.

  4. पैरों में जंजीर लगी है,
    फिर भी दौड़ लगाये,
    पगडंडी पर चले झूम के,
    गांव शहर पहुंचाए.

  5. टिक टिक टिक चलती जाऊं,
    सबको ही में समय बताऊं,
    काम समय से जो कर पाए,
    वो ही मेरा नाम बताएं.

  6. आंखें दो हों चाहे चार,
    मेरे बिना कोट बेकार,
    घुसा आंख में मेरे धागा,
    दर्जी के घर से फिर मैं भागा.
उत्तर - 1. पंखा 2. गन्ना 3. गाजर 4. साइकिल 5. घड़ी 6. बटन

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बाल पहेलियाँ

रचनाकार- डॉ० कमलेन्द्र कुमार, उत्तर प्रदेश

paheliya

तीन अक्षर का मेरा नाम,
जल ही जल तुम पाओ.
सागर मुझको समझ न लेना,
जल्दी से बतलाओ.

जिस दिश जाएं सूरज दादा,
उस दिशि मैं हो जाती हूँ .
राम ,श्याम और मनोहर,
बोलो क्या कहलाती हूँ?

फूलों पर मडराता हूँ,
मधु पराग ले जाता हूँ.
सोचों समझो ध्यान लगाओ,
बोलो क्या कहलाता हूँ?

अंत हटे तो 'आका'हूँ मैं
प्रथम हटे तो 'काश'
मध्य हटे तो ''आश'' बनूँ मैं
बोलो राम प्रकाश.

अंत हटे तो ''पपी' बनूँ मैं,
प्रथम हटे तो पीता.
रंग है मेरा पीला पीला,
बोलो राम सुनीता.

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बाल पहेलियाँ

रचनाकार- डॉ० कमलेन्द्र कुमार, जालौन

paheliya

  1. तीन भुजाएं ऐसी आईं,
    जुड़ कर बच्चों क्या कहलाईं?
    आकृति रेखागणित की मानो,
    जल्दी से इसको पहचानों.

  2. तीन खम्ब जब मिले समान,
    बने बीच में कोण समान.
    इस आकृति का नाम बताओ,
    बोलो बच्चों बुद्धि लगाओ.

  3. दो भुजा दो कोण समान,
    झट बतलाओ उसका नाम.
    गणित आकृति उसको मानो,
    रानी राधा तुम पहचानो.

  4. तीन भुजायें जब जुड़ जाएं,
    बोलो आकृति क्या कहलाए ?
    न तो भुजा समान न कोण समान,
    बोलो राधा रामू राम.
उत्तर 1- त्रिभुज, 2-समबाहु त्रिभुज, 3- समद्विबाहु त्रिभुज, 4-विषमवाहु त्रिभुज

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