चहा

रचनाकार- टीकेश्वर सिन्हा ' गब्दीवाला '

मीठ-मीठ लगै चहा.
चुट-चुट जरै चहा..

बिहनिया ले घरोघर,
चूल्हा में डबकै चहा.

पानी गुर - चीनी पत्ती,
गंजी म बनै चहा.

दूध घलो डराथै येमा,
कोरा करिया दिखै चहा.

लइका सियान सब झन,
सुपुर-सुपुर झींकै चहा.

हमर नंदावत खेल

रचनाकार- महेन्द्र देवांगन माटी

जबले आहे किरकेट ह, गुल्ली-डंडा नंदागे.
लइकापन के बांटी -भंउरा, जाने कहां गंवागे..
पाराभर के लइकामन ह, हटरी म सकलाये.
खेलन छूछुव उला संगी, अब्बड़ मजा आये..
बेंदरा सही पेड़ में कूदन, खेलन डंडापचरंगा.
पटकीक-पटका कुसती खेलन, कोनों राहे बजरंगा..
तुकतुक के बांटी खेलन, अऊ चलावन भंऊरा.
रेसटीप अऊ नदी पहाड़ ल, खेलन चंऊरा-चंऊरा..
बदल गे जमाना संगी, जम्मो खेल नंदागे.
तइहा के बात ल बइहा लेगे, संसकिरती ल भुलागे..
टीवी अऊ मोबाइल में, सबो आदमी भुलाये हे.
सुन्ना परगे खोर-गली, कुरिया में दुनिया समाये हे..

चल रे नोनी स्कूल जाबो

रचनाकार- ऋषि प्रधान

चल रे नोनी स्कूल जाबो,
पढबो लिखबो नाम कमाबो.
तोर गियान के सागर भरबो,
चल रे नोनी स्कूल जाबो......

कछु बन के जिनगानी मा,
दाई ददा के दुख ला हरबो.
सबो गोती उजियारा फैलाबो
अज्ञानता ला दूर भगाबो.
चल रे नोनी स्कूल जाबो......

हमरो होही नाम जगत में,
अइसे बुता काम ला करबो,
पढ़ लिख के अपन निज के
अउ गांव के रोशन नाम ला करबो.
चल रे नोनी स्कूल जाबो....

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