पृथ्वी की आंतरिक संरचना

पृथ्वी की आंतरिक संरचना के संबंध में पाठ्य पुस्तक में बताया गया है कि इसे तीन प्रमुख परतों में बांटा गया है – भूपर्पटी, प्रावार और क्रोड. भूपर्पटी बाहरी ठोस परत है. प्रावार इसके अंदर की परत है जो बहुत गर्म है और पिघली चट्टानों से बनी है. सबसे भीतर क्रोड है जो सबसे अधिक गर्म है. इसके भी 2 भाग हैं. बाहरी भाग में पिघला हुआ लोहा है तथा भीतरी भाग में लोहा तथा निकल आदि धातुएं ठोस रूप में हैं.

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यहां विद्यार्थियों को निम्नलिखित बातें उदाहरण देकर और संभव हो तो गतिविधियों के माध्यम से समझाने की आवश्यकता है: -

  • किसी गर्म वस्तु को जब ठंडा किया जायेगा तो बहरी परत तेजी से ठंडी होगी और अंदरूनी हिस्से अधिक देर तक गर्म बने रहेंगे. यह बात समझाना कठिन नहीं है. मध्यान्ह भोजन के समय बच्चों को गर्म भोजन परोसते समय यह बताया जा सकता है कि हम गर्म भोजन को किनारे से खाना प्रारंभ करते हैं क्यों कि किनारे का हिस्सा शीघ्र ठंडा हो जाता है जबकि भीतर का हिस्सा देर तक गर्म बना रहता है. इसका कारण भी बच्चों को समझाया जा सकता है कि बाहरी परत बाहर की ठंडी जगह से संपर्क में आती है इसलिये शीघ्र ठंडी हो जाती है.
  • दूसरी बात बच्चों को यह समझाने की है कि किसी भी पदार्थ की तीन अवस्थाएं होती हैं- ठोस, द्रव और गैस. यह भी बताना आवश्यक है कि पदार्थ की अवस्थाएं तापमान और दाब के आधार पर बदलती हैं. ठोस पदार्थ को गर्म करने पर वह द्रव में और द्रव को गर्म करने पर वह गैस में बदल जाता है. इसी प्रकार गैस को ठंडा करने पर उसे द्रव और द्रव को ठंडा करने पर ठोस में बदला जा सकता है.

  • इसे हम पानी के बर्फ बनने और वाष्प बनने का उदाहरण देकर समझा सकते हैं और इसकी गतिविधि भी करा सकते हैं. पानी को गर्म करके वाष्प बनाने की गतिविधि करना आसान है. इसी प्रकार हम उबलते पानी के ऊपर एक ठंडी प्लेट रखें तो वाष्प उस ठंडी प्लेट से टकराकर पानी की बूंदों के रूप में परिवर्तित हो जाती है. यह गतिविधि करना भी आसान है.

  • पानी को ठंडा करके बर्फ में परिवर्तित करने की गतिविधि कक्षा में करने के लिये हमे बाहर से बर्फ लाकर और उसमे नमक मिलाकर फ्रीजि़ंग मिक्सचर बनाना होगा. उसके भीतर किसी तांबे या लोहे के बर्तन में थोड़ा सा पानी रखकर उसे जमाकर बर्फ बनाकर दिखाया जा सकता है.
  • दाब को बढ़ाने पर द्रव के ठोस बनने को दिखाने के लिये बर्फ के दो टुकड़ों को हथेली में पकड़कर एक-दूसरे के साथ जोड़कर दबाएं. कुछ देर दबाकर रखने पर यह टुकड़े आपस में जुड़ जाते हैं. इससे हम बच्चों को यह समझा सकते हैं कि बर्फ के टुकड़ों की बाहरी परत पर द्रव के रूप में पानी था जो हथेली में दबाने से बर्फ बन गया और इस कारण बर्फ के दोनो टुकड़े आपस में जुड़ गये.

इन गतिविधियों से बच्चे यह समझ सकेंगे कि पृथ्वी की बाहरी परत ठंडी और ठोस क्यों है और अंदरूनी भाग गर्म और पिघला हुआ क्यों है. दाब बढ़ाने पर द्रव के ठोस में परिवर्तन को दिखाकर यह समझाया जा सकता है कि क्रोड के अंदरूनी भाग में यद्यपि तापमान अधिक है तथापि पृथ्वी की बाहरी परतों के वज़न के कारण दाब इतना अधिक है कि अधिक तापमान पर भी लोहा द्रव से ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है.

अंत में यह बताने का प्रयास भी करना चाहिये कि वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी भूकंपों के कंपनो का माप लेकर प्राप्त की. यह कंपन दो प्रकार के होते हैं. एक तो वे कंपन जो ठोस तथा द्रव दोनो के पार जा सकते हैं, और दूसरे वे कंपन जो द्रव के पार नहीं जा सकते. वैज्ञानिकों ने भूंकपों के कंपनों को मापकर यह पाया कि यदि इन कंपनों को धरती के दूसरी ओर मापा जाये तो जो कंपन द्रव के आर-पार नहीं जा सकते हैं वे धरती के दूसरी ओर तक नहीं पहुंचते हैं. इस बात से यह सिध्द होता है कि धरती की अंदरूनी परत द्रव हैं.

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