सजीवों के लक्षण एवं वर्गीकरण

सजीवों के लक्षण हैं – श्वसन, पोषण, उत्‍सर्जन, गति, संवेदनशीलता वृध्दि, प्रजनन, निश्चित जीवनकाल और कोशिकाओं से बने होना.

श्वसन या सांस लेना

श्वसन में अक्सीजन गैस खर्च होती है – कांच के दो जार लें. दोनो में कुछ रुई पानी में भिगोकर रख दें. अब एक जार में कुछ अंकुरित जीवित बीज रखें. इसे हम जार ‘क’ कहेंगे. दूसरे जार में ऐसे अंकुरित बीज रखें जो कुछ देर पानी में उबालने से मृत हो गए हैं. इसे हम जार ‘ख’ कहेंगे. अब दोनों जार एयर टाइट करके बंद कर दें. इन्हें 24 घंटे इसी प्रकार रखा रहने दें. 24 घंटे बाद जार ‘ख’ के ढ़क्कन को ढ़ीला करें, परंतु पूरी तरह से न खोलें. अब एक मोमबत्ती को चित्र में दिखाये गये विशिष्ट प्रकार के होल्डर में रखकर जलायें और फिर जार ‘ख’ का ढ़क्कन खोलकर मोमबत्ती को जार में लटकाकर ढ़क्कन बंद कर दें. एक स्टप वाच से समय देखकर नोट करें कि मोमबत्ती कितने समय में बुझ जाती है. यही प्रयोग जार ‘क’ के लिये भी दोहरायें. आप देखेंगे कि जार ‘क’ में मोमबत्ती तुरंत ही बुझ जाती है परंतु जार ‘ख’ में यह लगभग 15 सेकेंड तक जलती है. इसका कारण यह है कि मोमबत्ती को जलने के लिये आक्सीजन की आवयकता होती है. जार ‘ख’ में क्योंकि बीज मृत थे इसलिये जार ‘ख’ की आक्सीजन का बीजों ने उपयोग नहीं किया था और जार ‘ख’ में आक्सीजन थी. जब तक मोमबत्ती के जलने से आक्सीजन पूरी तरह समाप्त नहीं हुई तब तक मोमबत्ती जलती रही. जार ‘क’ की आक्सीजन का पूरा उपयोग जीवित अंकुरित बीजों ने श्वसन के लिये कर लिया था इसलिये जार ‘क’ में आक्सीजन समाप्त हो चुकी थी. क्योंकि आक्सीजन के बिना मोमबत्ती नहीं जल सकती इसलिये मोमबत्ती तुरंत बुझ गई.

श्वसन में कार्बन-डाई-आक्साइड गैस निकलती है -

प्रयोग -1 - एक कोनिकल फलास्क में कुछ अंकुरित चना रख दें और फलास्क के मुंह को कार्क से बंद कर दें. एक छोटे टेस्ट ट्यूब में पोटेसियम हाइड्रोसाइड का घोल डालकर उसे इस फलास्क में धागे की सहयता से लटका दें. अब एक कांच की नली को इस कार्क के छेद में डालें. कार्क पर वेसलीन आदि लगाकर उसे अच्छी तरह से सील कर दें. एक बीकर में कुछ रंगीन पानी लें और मुड़ी हुई कांच की नली का दूसरा सिरा इस रंगीन पानी में डुबा दें. कांच की नली में रंगीन पानी के तल पर एक निशान लगा दें. कुछ घंटे बाद आपको रंगीन पानी कांच की नली में उठा हुआ दिखेगा. ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि अंकुरित चने के श्वसन से हवा में आक्सीजन कम हुई और कार्बन-डाई-आक्साइड गैस बनी, परंतु कार्बन-डाई-आक्साइड गैस को पोटेसियम हाइड्रोक्साइड ने सोख लिया. इससे फल स्‍वरूप फलास्‍क में हवा का दाब कम हो गया और रंगीन पानी ऊपर चढ़ गया.

प्रयोग – 2 – एक टेस्ट ट्यूब में कुछ जीवित चीज़ें जैसे घोंघा, कीड़े आदि रखें और उसे एल्यूमिनियम फायल से एयरटाइट करके बंद कर दें. दूसरे टेस्टु ट्यूब में कोइ निर्जीव वस्तु रखकर इसी प्रकार बंद कर दें. अब लगभग आधा घंटा इंतजार करें. इसके बाद एक प्लाीस्टिक की सिरिंज लेकर उसकी सुई एल्यूमिनियम फायल से टेस्ट ट्यूब के अंदर डालकर टेस्ट ट्यूब के भीतर की हवा सिरिंज में खींच लें और फिर एक अन्य टेस्ट ट्यूब में रखे हुए चूने के पानी में सिरिंज की सुई को डुबोकर उसकी हवा इस पानी में निकाल दें. पानी में यह हवा बुलबुलों की रूप में निकलेगी. जो हवा जीवित चीज़ों के टेस्ट ट्यूब से निकाली गई है उससे चूने का पानी दूधिया हो जाता है परंतु निर्जीव वस्तुओं के टेस्ट ट्यूब से निकाली गई हवा से चूने के पानी का रंग नहीं बदलता. इससे सिध्द होता है कि जीवित वस्तुएं श्वसन में कार्बन-डाई-आक्साइड बनाती हैं.

प्रयोग – 3 – एक फलास्क में सोडियम हाइड्राक्साइड का घोल रखें. दूसरे फलास्क में चूने का पानी रखें. तीसरे फलास्क में कुछ जीवित चीज़ें जैसे कीड़े-मकोड़े या घोंघे रख दें. चौथे फलास्क में फिर चूने का पानी रखें. इन फलास्कों को एयरटाइट करके बंद कर दें और नीचे चित्र मे दिये अनुसार आपस में कांच की नली से जोड़ दें.

अब इसे लगभग आधे घंटे रखा रहने दें जिससे जीवित वस्तुओं के श्वसन से फलास्क ‘सी’ में कार्बन डाई आक्साइड बन जाये. इसके बाद फलास्क ‘ए’ में कांच की नली में हवा डालें. यह किसी हल्के पंप से किया जा सकता है. हवा के बुलबुले दिखेंगे और फलास्क ‘बी’ में रखे चूने के पानी के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होगा क्यों कि फलास्क ‘ए’ में रखा सोडियम हाईड्राक्‍साइड का घोल हवा से कार्बन-डाई-आक्साइड को सोख लेगा परंतु फलास्क ‘डी’ में रखे चुने के पानी के घोल का रंग दूधिया हो जायेगा क्योंकि इसमें आने वाली हवा में फलास्क ‘सी’ से कार्बन-डाई-आक्साइड मिल जायेगी.

श्वसन में ऊर्जा निकलती है – दो थर्मस फलास्क लें. एक में कुछ अंकुरित बीज रखें. दूसरे में अंकुरित बीज रखने के पहले उन्हें कुछ देर उबाल दे जिसे वे मृत हो जायें और फिर उन्हें कुछ देर के लिये फार्मेलीन के घोल में भी रखें जिससे उनमें बैक्टीरिया से सड़न उत्पन्न‍ न हो क्योंकि सड़ने में भी ऊर्जा निकलती है. अब दोनो थर्मस फलस्क को बंद करके उनमें थर्मामीटर लगा दें. लगभग एक दिन बाद देखने पर जिस थर्मस फलास्क में अंकुरित जीवित बीज हैं उसमें तापमान बढ़ा हुआ दिखेगा, परंतु जिस थर्मस फलास्क में मृत बीज है उसमें तापमान नहीं बढ़ेगा. ऐसा इसलिये हाता है कि जीवित अंकुरित बीजों के श्वसन से ऊष्मा के रूप में ऊर्जा निकलती है जिससे तापमान बढ़ जाता है.

पौधों में संवेदनशीलता एवं गति के उदाहरण – बंद डिब्बे में एक ओर छेद करके उस डिब्बे के अंदर पौधा रखने पर कुछ दिनों में पौधा प्रकाश की ओर मुड़कर बढ़ने लगता है. यह पौधों की प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता और गति को दिखता है. इसी प्रकार छुईमुई की पत्ती को छूते ही उसका बंद हो जाना उसकी संवेदनशीलता दिखाता है. कुछ फूल केवल रात में ही खिलते हैं. सूरजमूखी के फूल दिनभर सूरज की ओर मुड़ते रहते हैं.

सजीवों के लक्षण गतिविधि से पढ़ाना

  1. बच्चों से कक्षा के बाहर की वस्तुएं एकत्रित करके उनका सजीव और निर्जीव में वर्गीकरण करने को कहें और फिर उनसे पूछें कि किन लक्षणों के कारण उन्हें बच्चो ने सजीव अथवा निर्जीव माना है.
  2. प्रत्येक बच्चें से एक सजीव और एक निर्जीव वस्तु का उदाहरण देने को कहें और उसके लक्षण पूछें.
  3. बच्चों से सजीव और निर्जीव वस्तुओं एवं उनके लक्षणों का पोस्टर बनाने को कहें.
  4. बच्चों से पत्र-पत्रिकाओं से सजीव और निर्जीव वस्‍तुओं की फोटो काटकर उनका कोलाज बनवाएं और उसपर उनके लक्षण लिखवाएं

सजीवों की विविधताएं एवं उनका वर्गीकरण पढ़ाना – पहले पुस्‍तक के अनुसार सजीवों के आकार, भोजन, आवास आदि की विविधताएं समझाएं. इसी प्रकार सजीवों का पौधों और जंतुओं में वर्गीकरण समझायें. पौधों का शाक, झाड़ी, वृक्ष एवं बेल में वर्गीकरण तथा जंतुओं का कशेरुकी एवं अकशेरुकी में वर्गीकरण समझाएं. इसके पश्चात उनसे इस वर्गीकरण के लिये पोस्टर और कोलाज इत्यादि बनवाएं.

सूक्ष्मगदर्शी से बच्चों को कोशिकाएं दिखाएं – यदि आपके पास सूक्षमदर्शी अथवा मैगनिफाइंग लैंस है तो आप बच्चों को प्याज की कोशिकाएं दिखा सकते हें. सूक्षमदर्शी से आप अन्‍य वस्तुओं को भी बड़ा करके दिखा सकते हैं. यदि आपके पास लैंस या सूक्ष्मदर्शी नहीं है तो आप नीचे दिये गये तरीकों से लैंस या सूक्ष्मदर्शी बना भी सकते हैं –

  1. पानी की बूंद का लैंस – एक कांच का स्लाइड लें और उसे अपने बालों पर हल्के से रगड़ लें जिससे उसपर तेल की एक पतली परत बन जाये. इसके बाद इस स्लाइड पर एक पानी की बूंद हल्के से टपकाएं. अब स्लाइड को घुमाकर पानी की एक बूंद स्लाइड के दूसरी ओर भी इस प्रकार टपकाएं कि वह दूसरी ओर की बूंद के ठीक ऊपर हो. आपका लैंस तैयार है, और आप इससे छोटी वस्तुओं को बड़ा करके देख सकते हैं. आप पानी के स्थान पर ग्लीसरीन का उपयोग करें तो लैस अधिक शक्तिशाली बनेगा.

  2. बिजली के बल्ब का लैंस – बिजली के बल्ब को ऊपर से खोलकर उसमें पानी भर लें. बिजली का बल्ब लैंस की तरह काम करता है. बल्ब जितना छोटा होगा लैंस उतना अधिक शक्तिशाली होगा. इसलिये टार्च का बल्ब लैंस बनाने के लिये अधिक उपयोगी है. बिजली के बल्ब के अतिरिक्त कांच के किसी भी गोल बर्तन में पानी भरकर लैंस की तरह उपयोग किया जा सकता है.
  3. स्मार्टफोन के कैमरे पर पानी की बूंद से सूक्ष्मदर्शी बनाना – स्मार्टफोन के कैमरे के लैंस पर पानी की एक बूंद डालकर उसके माध्यम से फोटो लेने पर स्मार्टफोन एक सूक्ष्मीदर्शी की तरह काम करता है.

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