अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी –

पिकनिक

आज श्रेया सुबह-सुबह ही उठ गई और शीघ्रता से तैयार भी हो गई. वह बहुत उत्साहित थी क्योंकि आज बहुत दिनों के बाद पूरे परिवार के साथ पिकनिक पर जाने का कार्यक्रम बना था.मम्मी पापा दादा दादी भैया सभी अपनी-अपनी तैयारियों में लगे थे. श्रेया बहुत उतावली हो रही थी, उसे लग रहा था कि बहुत देर हो रही है.

अंततः प्रातः 9 बजे सभी लोग घर से एक बड़ी सी कार से रवाना हो गये. पिकनिक के लिए तय जगह तक पहुँचने में लगभग एक घण्टे का समय लगने वाला था.

आधे घण्टे की यात्रा के बाद अचानक कार रुक गई. ड्राइवर ने बताया कि कार में कोई गड़बड़ी आ गई है. पापा ने ड्राइवर के साथ खराबी समझने और ठीक करने का प्रयास किया पर सफल नहीं हो सके. श्रेया के मुख पर उदासी छा गई. ड्राइवर आसपास किसी मैकेनिक की खोज में चला गया.अब उन सबके पास प्रतीक्षा करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था.

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

सीमा यादव द्वारा पूरी की गई कहानी

श्रेया के पापा कार को ठीक करने की कोशिश में लगे हुए थे. थोड़ी देर में ड्राइवर एक मैकेनिक को साथ लेकर आ गया. मैकेनिक ने जल्दी ही कार ठीक कर दी. श्रेया के चेहरे पर खुशी वापस आ गयी. सपरिवार पिकनिक स्पाॅट पर पहुँचकर सभी अपने-अपने तरीके से आनंद लेने लगे.

इधर श्रेया बगीचे में रंग-बिरंगे फूलों की सुंदरता देखकर अकेले ही घूमने चली गई. बाग का रास्ता भूलभुलैया जैसा था. इसलिए श्रेया गुम हो गयी. काफी देर हो जाने पर भी जब श्रेया कहीं नजर नहीं आई,तो उसके परिवार वाले ने उसे ढूँढ़ना शुरू कर दिया. आखिरकार श्रेया का भाई भूलभुलैया के पास पहुँचा और उसे श्रेया मिल गयी. सभी ने उसके भाई को शाबाशी दी. सभी खुशी-खुशी पिकनिक से वापस घर पहुँच गए. इस बार की पिकनिक श्रेया के लिए सबसे अलग और यादगार बन गयी थी

संतोष कुमार कौशिक पूरी की गई कहानी

श्रेया को उदास देखकर दादी ने उसे एक कहानी सुनाई. कहानी सुनकर भी श्रेया खुश नहीं हुई. तब मम्मी कहने लगीं- देखो श्रेया, कुछ ही दूर नदी किनारे एक बगीचा है, चलो वहीं जाकर कार ठीक होने तक विश्राम करते हैं. दादी, दादा, मम्मी सभी अपने साथ लाई हुई खाद्य सामग्री और अन्य खेल सामग्री लेकर बगीचे में पहुँच गए. बगीचे में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों को देखकर श्रेया बहुत खुश हो गई. पूरे परिवार के साथ बगीचे में घूमने लगे.

दादाजी, श्रेया को वृक्ष लगाने के फायदे बताने लगे. बोले बेटा, वृक्षों से हमें फल, फूल, छाया, जड़ी-बूटी, ईंधन के लिए लकड़ी, शुद्ध हवा (ऑक्सीजन)आदि मिलते हैं. अगर पेड़ पौधे न हों तो विश्व में शुद्ध हवा की कमी हो जाएगी, जिससे हमें साँस लेना भी मुश्किल होगी. आजकल हम देख रहे हैं कि कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी के कारण हजारों व्यक्तियों की मृत्यु हो रही है. पैसा होते हुए भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है, इसलिए हर व्यक्ति को अपने गाँव के तालाब, नदी, विद्यालय और अपने घरों के आसपास वृक्ष लगाने चाहिए तथा वृक्षों को काटना नहीं चाहिए.

दादाजी की बातों से प्रभावित होते हुए श्रेया कहने लगी -'दादाजी मैं भी अपने स्कूल में पेड़ लगाऊँगी और उसकी सुरक्षा करूँगी. श्रेया की बातें सुनकर दादाजी खुश हो गये.

इधर भैया मोबाइल से सुंदर स्थानों की एवं परिवार की फोटो खींचने में व्यस्त थे. श्रेया ने भी अपनी खेलते हुए विभिन्न स्थानों पर फोटो खिंचवाईं. पास ही बह रही नदी जिसमें पानी कम,बालू अधिक थी के पास श्रेया अपने भैया के साथ पहुँची. बालू से दोनों ने कई प्रकार की आकृतियाँ बनाईं और सभी के चित्र अपने मोबाइल में कैद कर लिए.

तब तक पिताजी और ड्राइवर कार को ठीक करवाकर बगीचे में पहुँच गए. अब सभी ने बगीचे में बैठकर भोजन किया.

भोजन के बाद सभी पास के एक मंदिर में पहुँचे और सपरिवार दर्शन किए. अब पिताजी बोलें कि शाम होने वाली है,अब हम आगे नहीं जाएँगे. श्रेया सोचने लगी कि पिकनिक के लिए तय की गई जगह पर नहीं पहुँच पाने के बाद भी इस अनजान जगह' पर पूरा आनंद प्राप्त हुआ जो अविस्मरणीय है. वहीं से अपने घर सपरिवार वापस आ गये.

आज का दिन मोबाइल में ली गई फोटो में यादगार के रूप में सुरक्षित हो गया था.

जिज्ञासा वर्मा, कक्षा नवमीं क. उ. मा. वि. रतनपुर, कोटा, बिलासपुर द्वारा पूरी की गई कहानी

जब श्रेया की परिवार गाड़ी ठीक होने की प्रतीक्षा कर रहा था, तभी एक भले मानस ने वहाँ अपनी कार रोककर श्रेया के पापा से कहा कि आप तो वही हैं जिन्होंने मेरे पिताजी को रास्ते में हार्ट अटैक आने पर अपनी कार से ले जाकर हॉस्पिटल में भर्ती कराया था. उस दिन मैं जल्दबाजी में आपका शुक्रिया अदा भी नहीं कर पाया था क्योंकि मेरा सारा ध्यान पिताजी की ओर था. वैसे आप लोग कहाँ जा रहे हैं, क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ.

श्रेया की पिताजी ने सारी बात उन्हें बताई. तब उस भले मानस ने कहा कि आप सभी मेरे कार से चलिए. तब तक आपका ड्राइवर कार ठीक करा लेगा. श्रेया के पापा को यह सुझाव अच्छा लगा, सभी उस भले मानस की कार में बैठकर पिकनिक वाली जगह पर पहुँच गए.

श्रेया ने अपने परिवार के साथ अंताक्षरी और कई तरह के खेल खेले एवं पकवानों का भी आनंद लिया. बाद में ड्राइवर कार ठीक करवाकर पिकनिक स्थल पहुँच गया. सभी खुशी-खुशी वापस आ गए.

श्रेया अपने पापा से बोली- मैं भी आपकी तरह लोगों की मदद किया करूँगी.

वाणी मसीह द्वारा पूरी की गई कहानी

अभी भी पिकनिक के लिए तय जगह पर पहुँचने के लिए आधी दूरी तय करना बाकी था. श्रेया बहुत उदास हो गई थी. परिवार के सभी सदस्य पेड़ के नीचे छाया में बैठे हुए थे. सभी ड्राइवर की प्रतीक्षा कर रहे थे कि वो किसी मैकेनिक को ले कर आए. श्रेया के पापा ने सभी बच्चों को समझाया कि हमें कठिन परिस्थिति में धैर्यपूर्वक विचार करना चाहिए और उसमें भी कुछ अच्छा ढूँढने की कोशिश करनी चाहिए. अब सभी यह सोचने लगे कि समय का कैसे उपयोग किया जाए. अंततः सभी आपस में एक दूसरे से कहानियाँ,गीत और चुटकुले आदि सुनने सुनाने लगे. मम्मी ने सभी को खाने के लिए नमकीन आदि दिए. सभी को बहुत मजा आ रहा था. कुछ देर में ड्राइवर, मैकेनिक को साथ लेकर आ गया और कार ठीक करवा ली. श्रेया और सभी बहुत खुश थे कि अब पिकनिक के स्थान पर जा पाएँगे.

पिकनिक वाली जगह पर पहुँचने के बाद सभी ने बहुत मजे किए. खेलकूद, घूमना फिरना सब शाम तक चलता रहा. बहुत सारी फोटो और अच्छी यादें लेकर सभी वापस घर आए. आज की पिकनिक बहुत शानदार रही थी.

सुधारानी शर्मा द्वारा पूरी की गई कहानी

ड्राइवर मैकेनिक की तलाश में चला गया, श्रेया एवं सभी को कार के अंदर बहुत गर्मी लग रही थी. सब कार से उतरकर इधर उधर देखने लगे, उन्हें थोड़ी दूर पर एक बड़ा सा वृक्ष दिखाई दिया, वे सब वहाँ पहुंचे तो देखा वहाँ घनी छाया थी, घना पेड़ होने के कारण ठंडी हवा भी आ रही थी. गर्मी से बेहाल श्रेया को वहाँ पहुँचकर बहुत शांति मिली.

श्रेया ने अपने भाई और बहन के साथ जाकर कार की डिक्की से चटाई और नाश्ते का सामान निकाल लिया.

पेड़ के नीचे चटाई बिछाकर दादी मम्मी पापा सभी बैठ गए और नाश्ता किया. आसपास का वातावरण बहुत ही शांत और हरियाली से भरा हुआ था, थोड़ी दूर एक छोटा सा झरना भी था.

श्रेया एवं उसके भाई बहन बहुत खुश हुए, उन्हें बहुत अच्छा लगा, वे जाकर कार से खेल का सामान भी ले आए और खेलना शुरू कर दिया.

दादी ने कहा देखो प्राकृतिक वातावरण कितना सुंदर होता है, यहाँ शुद्ध हवा, पानी, छाया सब कुछ है. इस पेड में न जाने कितने छोटे-छोटे जीव जंतुओं का बसेरा है. इस भीषण गर्मी में इस वृक्ष ने हम लोगों को कितनी राहत दी है. हमें प्रकृति से शिक्षा लेनी चाहिए, और धन्यवाद करना चाहिए, कि उसने निस्वार्थ रूप से हम सबको अपना खजाना दिया है, हम सब को इसकी रक्षा करनी चाहिए.

कुछ देर बाद ड्राइवर एक मैकेनिक को लेकर आ पहुँचा, मैकेनिक ने गाड़ी ठीक कर दी, परंतु अब सब लोगों ने कहा कि आज पिकनिक यहीं पर मनाएंगे आगे नहीं जाएंगे. आनंद देने वाले सारी चीजें हमें यहीं पर मिल गई हैं.

हमें भी प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए, जो हमें जीवन जीने का सारा सामान निःशुल्क प्रदान करती है.

शालिनीपंकज दुबे द्वारा पूरी की गई कहानी

श्रेया के उदास चेहरा देखकर मम्मी उसे समझाने के लिए उसके पास जा रही थीं कि श्रेया की दादी ने उन्हें रोक लिया और कहा कि 'बच्चों को कुछ समझाने का सबसे अच्छा तरीका है कि स्वयं उनके सामने उदाहरण प्रस्तुत किया जाए. बच्चे जो देखते है वही सीखते है. '

दादी की बात श्रेया की मम्मी को समझ आ गई. परिवार के सभी सदस्य चटाई बिछा कर पेड़ की छाँव में बैठ गए. बैठने के बाद समय बिताने के लिए अंत्याक्षरी खेलना शुरू किया गया. लगभग दो घण्टे बाद जब ड्राईवर भैया आये तो यहाँ हंसी ठहाकों का दौर चल रहा था. अंत्याक्षरी के बीच न जाने कितने गानों पर श्रेया थिरकी थी. दादाजी खूब अच्छे अंदाज में अपने बचपन के किस्से बताए जा रहे थे जिन्हें सुनकर सबको आनंद आ रहा था. गाड़ी के ठीक होने पर हॉर्न की आवाज सुनकर सबने जल्दी-जल्दी समान समेटा और पिकनिक के लिए आगे निकल पड़े.

यशवंत कुमार चौधरी द्वारा पूरी की गई कहानी

उदास बैठी श्रेया पर उसके दादा जी की नजर पड़ी तो दादाजी ने कहा चलो जब तक कार ठीक होती है तब तक हम सब लुका छिपी खेलते हैं. सब खेलने को तैयार हो गए. श्रेया खुश हो गई और सब खेल में रम गए. थोड़ी देर तक खेलने के बाद सभी पास के नाले के पास जाकर रेत पर खेलने लगे. श्रेया ने रेत से कई घर बनाए और उसे इस खेल में बहुत आनंद आया. कुछ समय बाद ड्राइवर के साथ आए मैकेनिक ने कार ठीक कर दी. सभी वहाँ से पिकनिक स्थल पहुँच गए.

श्रेया ने अपने दादा दादी मम्मी पापा भैया के साथ खूब आनंद लिया सबने बहुत सारी फोटो खिंचवाई और इन लम्हो को स्मृति में कैद कर लिया.

श्रेया को अब भूख लग आई थी, सभी ने साथ बैठकर खाना खाया. खाने के बाद बगीचे में घूमते हुए श्रेया ने उड़ती हुई रंग-बिरंगी तितलियाँ देखीं और वह उन्हें पकड़ने के लिए उनके पीछे दौड़ लगाने लगी.

सभी ने थोड़ी देर विश्राम किया और बैठे हुए ही अंत्याक्षरी जैसे खेल खेले और चुटकुले, गीत आदि से मनोरंजन किया. शाम होने लगी तो सभी घर लौट आए. आज की पिकनिक का दिन सभी के लिए यादगार बन गया था.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

बूढ़े बाबा की बाँसुरी

गाँव के बाहर नदी किनारे कुटिया बनाकर एक बूढ़ा व्यक्ति रहा करता था. उस बूढ़े को गाँव के लोगों ने हमेशा अकेला ही देखा था.

उसके परिवार के किसी और सदस्य के विषय में कोई भी कुछ नहीं जानता था. उस बूढ़े ने कुटिया के पास फलों का एक बगीचा लगा रखा था और प्रत्येक ऋतु में लगने वाले फलों को बेचकर मिलने वाले धन से ही उसकी आजीविका चलती थी.

गाँव के लोग उसे बूढ़े बाबा के नाम से संबोधित करते थे. किसी को उसका असली नाम नहीं मालूम था.

बूढ़े बाबा का बस एक ही काम था बाँसुरी बजाते हुए अपने फलों के बगीचे की रखवाली करना. वे अपना भोजन स्वयं पकाते और भोजन के बाद अपनी बाँसुरी लेकर बगीचे में किसी भी पेड़ की छाया में बैठ जाते, और फिर बाँसुरी की स्वर लहरियाँ आसपास के वातावरण में तैरने लगतीं. नदी किनारे जानवरों को चराने के लिए लाने वाले चरवाहों के साथ साथ जानवरों को भी बूढ़े बाबा की बाँसुरी की धुन सुनने की आदत सी हो गई थी.

अब इसके आगे आप अपनी कल्पना से इस कहानी को पूरा कीजिए और हमें माह की 15 तारीख तक ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर भेज दें. आपके द्वारा पूरी की गई कहानियों में से चुनी गयी श्रेष्ठ कहानी किलोल के अगले अंक में प्रकाशित की जाएगी.

Visitor No. : 6729152
Site Developed and Hosted by Alok Shukla