छत्तीसगढ़ी लेख

नंदावत हे छिंद पान के मऊर

रचनाकार- संतोष कुमार तारक

छत्तीसगढ़ में बर-बिहाव में पहली छिंद पान के मऊर के अब्बड़ महत्ब रहय. ओकर बिन कोनो समाज के बिहाव नई होय. बिहाव म सबले बड़े जरूरी चीज मऊर रहय. येला छिंद पान के सुग्घर ढंग ले बनाये रथे. छिंद पान के बुता करईया पारधी जनजाति मन येला बनाये. कोनो-कोनो दूसर समाज के घलो मन जेन ल मऊर बनाये के कला आये बनात रिहिस.

छिंद के मऊर छिंद के पान के बनथे. जेला नान्हे बड़े पेड़ ले लु के लाये के पीछू बनाये जाय. बस्तर के जनजाति मन ले येला जादा बढ़िया ढंग ले बनाये.

छिंद के मऊर बनाना घलो कोई कलाकारी ले कम नई हे. मऊर बनाये के पीछू हरदी के पानी ले रंगाये ले अब्बड़ पिंयर-पिंयर चमक रथे. बीच-बीच म देवी-देवता के फोटू अउ कई रंग के चिकमिकी झिल्ली ल गाँथे ले अउ अब्बड़ सुग्घर दिखय. बाजार म बिहाव के लगती म जगह-जगह देखे ल मिल जाय.

छिंद के मऊर बस्तर के खजूर पाम प्रजाति के छिंद के पान ले बढिया बनाये जाय. जेकर वानस्पतिक नाम 'फोनिक सिलवेसट्रीस' आय, इंकर पत्ता ले चटई,बाहरी,टुकनी घलो बनथे. बस्तर म इंकर पत्ता अउ तना ले घर घलो बनाथे. आदिवासी समाज म मऊर ल बनाके बाजार म बेचे बर लेजथे. जेंकर ले उँकर मन के रोजगार घलो चलथे.

समय के संगे-संग अब बाजार म रंग-रंग के मऊर दिखे ल धर लेहे. अब दुनिया के देखा-देखी चकाचौंध के मारे हमन प्रकृति ले मिले चीज ल बिसरावत जावत हन. अब तो नेंगहा म छिंद के मऊर के उपयोग होवत हवे. तेल-हरदी के दिन नान्हे मऊर जेला तेलमौरी कथे तेहा दुलही-दुलहा के मूड म दिखथे. मंगरोहन, मंडवा,करसा,देवतला के नेंग अउ मऊर सौंपे के समे दाई-माई मन मुड़ म बांध के घूमथे. टिकान के समे साफा म कोई-कोई मनखे जेन ल अब घलो अपन संस्कृति ले लगाव हवे छोटे छिंद के मऊर ल ओधा में खोच ले रथे. नहिते अब साफा के जमाना मे कोई नई पहिरे. आदिवासी समाज में अभी घलो छिंद पान के मऊर अउ सफेद धोती-कुरता अब ले नई छूटे हे. आदिवासी समाज मन आज घलो जुन्ना संस्कृति ल बचा के रखे हवे. इहि मन सहीराये के लाईक सबले जादा संस्कृति ल बचाये बर भीड़े हवय.

अब के समे में छिंद के मऊर पहिरैया मन ल निचट देहाती समझते. नवा-नवा फेशन के लुगरा-कपड़ा ल पहिरे दुलही-दुलही ल पढ़े-लिखे अउ बड़का मनखे मानथे. अपन पुरखा मन के रीति-नीति अउ प्रकृति ले मिले चीज के उपयोग म कोनो बुराई नई हे. जरूरत हवे अईसन ल बढ़ावा देके. जेकर ले छिंद पान के सामान बनइया समाज मन ल रोजगार अउ काम बुता मिलत रहय.

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