पहेलियाँ
रचनाकार-डॉ.कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
- चासनी में डूबा रहता
किये बगैर मैं हल्ला,
बंगाल की हूँ एक मिठाई,
कहते मुझको -------------
- उदभव मेरा सब कोई ना जाने,
अंत ना मेरा देखा,
गणित की आकृति हूँ मैं बच्चों
कहते मुझको --------
- जो गिनने के आती काम,
प्राकृत संख्या उसका नाम,
वैसे संख्या रही अनेक
पहली प्राकृत संख्या है -----
उत्तर:-1. रसगुल्ला 2. रेखा 3. एक
पहेलियाँ
रचनाकार- श्वेता पुष्पेन्द्र तिवारी
- छोटे बड़े सभी को भाए उसको तो बूझो,
गोल मटोल रंग है पीला पेट में दाढ़ी मूछ.
- तन गोरा मुख चाँद-सा,
कोई न कहे अधूरी तोला मासा तोड़ लो,
फिर भी पूरी की पूरी
- तीन अक्षर का मेरा नाम
उल्टा सीधा एक समान
चिकनाई है रहती मुझमें
ज्यादा खाओगे तो गड़बड़ काम
- गोल गोल चीज मैं बहुत ही श्रेष्ठ हूँ
मानो मेरी इसको तुम सच समझो ना गप,
जब मैं रूठ जाऊँ तो हो जाए दुनिया ठप
- लाल बैल बड़ा प्यारा लगे,
पर टेढ़ा सिंग डराता है,
छूने को जब हाथ बढ़ाओ
हाथ नोच भगाता है.
- तीन अक्षर का मेरा नाम
मध्य कटे तो सार बनूंगा
अंत कटे तो सब खाए,
जो भारत के तीन ओर दिखाए.
- ऐसे वाहन का नाम बताइए
जिसका नाम आगे पीछे करने पर भी अर्थ में कोई भी बदलाव नहीं होती
- ना किसी से प्रेम ना किसी से बैर
फिर भी लोग लेते मेरी रोज खैर
सब के गानों की रौनक है बढाती
फिर भी मुझ पर एक थप्पड़ पड़ती.
- बरगद के वृक्ष के नीचे चार लोग बैठे हैं.
लंगड़ा बहरा अंधा लूला.
पेड़ से आम गिरने पर.
सबसे पहले कौन उठाएगा.
उत्तर:-1. आम 2. पुरी 3.डालडा 4. पहिया 5. गुलाब फूल 6. सागर 7. श्याम पट 8. जहाज 9. ढोलक 10.बरगद में आम नहीं फलते