अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी –

स्कूल खुलने पर तैयारी

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बालोद जिले के ग्राम सांकरा में मन्नूलाल अपने छोटे से परिवार के साथ रहता था. वह स्वयं पढ़ा- लिखा नहीं था. पर वह अपने बेटे जुगनू एवं बेटी रमशीला को पढ़ाना चाहता था. पिछले दो वर्षों से स्कूल और आंगनबाड़ी बंद थे. वह बच्चों को पढने भेज नहीं पा रहा था. उसने आनलाइन पढाई के बारे में सुन रखा था. पर उसके पास स्मार्टफोन नहीं था. वह इंटरनेट का खर्च भी नहीं उठा सकता था. उसकी पत्नी मीराबाई कक्षा पांच तक पढ़ी थी. उसके माता-पिता ने उसकी शादी छोटी उम्र में ही कर दी. शादी के बाद उसकी पढ़ाई छूट गयी.

मन्नूलाल के गाँव सांकरा के प्राथमिक स्कूल में महिला शिक्षिका ने उसे अपनी पत्नी को अंगना म शिक्षा कार्यक्रम के बारे में बताया. इस कार्यक्रम में माताओं को अपने छोटे बच्चों को घर पर रहकर पढ़ाने के लिए तैयार किया जा रहा है. गाँव में बच्चों की पढाई के लिए मोहल्ला कक्षाएं भी शुरू हुई है. मन्नूलाल ने अपने बेटे जुगनू को वहां भेजने का निश्चय किया. इस तरह दोनों बच्चों की पढाई धीरे-धीरे शुरू हो गयी. इतने में मन्नूलाल को पता चला कि सरकार स्कूल खोलने जा रही है. लेकिन प्राथमिक स्कूल खोलने के लिए पालकों को लिखित में सहमति देनी थी. मन्नूलाल सोच में पड़ गया. क्या मेरे लिखने मात्र से सरकार स्कूल खोल देगी?

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

अपर्णा दीपक द्वारा पूरी की गई कहानी

मन्नूलाल सोच में पड़ गया क्या मेरे लिखने मात्र से सरकार स्कूल खोल देगी. मन्नूलाल सोचने लगा जब मेरे बच्चे लिख कर देने मात्र से स्कूल जा पाएंगे तो मैं जरूर पढ़ लूंगा यह ठान लिया और अपनी पत्नी को 'अंगना म शिक्षा' कार्यक्रम में जुड़ने को कहा और उसकी शुरुआत अपने घर से किया. शाम को काम से वापस आने के बाद घर में अपने दोनों बच्चों के साथ पढ़ने बैठ जाता. उसकी पत्नी पढ़ाती थी.

मेहनत उसकी रंग लाई और वह बहुत जल्द पढ़ना- लिखना सीख गया, फिर लिखकर सहमति पत्र दिया. अब सरकारी स्कूल खोल दिए. बच्चे स्कूल जाने लगे अब मन्नूलाल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, अपने इस सफलता सेवा फूले नहीं समा रहा था. 'जब जागो तब सवेरा' यह कहावत उसके जीवन में चरितार्थ होने लगा, पर मन्नूलाल पहले जैसा नहीं रहा. अब उसकी सोच में बहुत परिवर्तन आ गया था. शिक्षा का महत्व समझ आ गया था. वह अपने दोनों बच्चे जुगनू और राम शीला को खूब पढ़ाना चाहता है, ताकि बेटा बड़ा होकर शिक्षक बने और बेटी डॉक्टर बन सके. उसके बच्चे भी खूब मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं. अब वैज्ञानिक पद्धति से खेती करना चाहता है जिससे मुनाफा ज्यादा होगा. इससे उसके बच्चों को उच्च शिक्षा देने का सपना साकार हो जाएगा. अब वह और उसका परिवार पहले से ज्यादा सुखी और खुशहाल है.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

ईमानदार वीर बालक

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रमेश बहुत ही प्यारा बालक था। वह कक्षा दूसरी में पढ़ता। रमेश विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय त्यौहार मनाया जाने वाला था. रमेश बहुत उत्साहित था इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए. रमेश को उसकी कक्षा अध्यापिका ने स्वतंत्रता दिवस की परेड में भाग लेने के लिए बोला था. उसके हर्ष का कोई ठिकाना नहीं था, वह खुशी-खुशी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तैयारियां करने लगा.

आगे क्या हुआ होगा, इसके बारे में आप सोचना शुरू करें और इस कहानी को पूरा कर हमें ईमेल से kilolmagazine@gmail.com पर भेज देवें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे. कहानी लिखने के साथ-साथ आप अपने आसपास ऐसे मन्नूलाल और मीराबाई को उनके सपनों को पूरा करने में सहयोग करें.

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