चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी –

chitrak

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

सुधारानी शर्मा द्वारा भेजी गई कहानी

आज बच्चे बहुत खुश थे, क्योंकि पूर्वा ने उन्हें अपने फॉर्म हाउस पर पिकनिक के लिए आमंत्रित किया था. कोविड 19 लॉकडाउन के कारण बच्चे घर में रहकर परेशान हो गए थे.

पूर्वा का फोन आते ही सभी बच्चों ने अपने मम्मी-पापा की इजाजत लेकर पुरवा के फार्महाउस में पहुंचे.

फार्महाउस का वातावरण, वहाँ की हरियाली, गोबर का संयंत्र, जैविक खाद, शुद्ध ऑक्सीजन, पानी के स्रोत, खेतों में लहलहाती फसलें, किचन गार्डन, फलों से लदे हुए बगीचे, देखकर बच्चे बहुत खुश हुए और वहाँ के शुद्ध वातावरण में इधर-उधर घूमना शुरू कर दिए.

पलक ने कहा हमारा शहर कितना प्रदूषित हो गया है. हवा इतनी जहरीली हो गई है कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. मास्क लगाकर तो मेरा दम ही घुट जाएगा, ऐसा लगता है.

सभी बच्चे पलक की बात पर सहमत हुए. अनुज ने कहा पूर्वा हमें अपने मम्मी पापा से तो मिलाओ. यह सुनकर पुरवा थोड़ा उदास हो गई. फिर उसने कहा- चलो मैं तुम्हें अपनी माँ से मिलाती हूँ.

ऐसा कहते पूर्वा, अपने दोस्तों को खेतों के बीच में खड़े एक बड़े से आम के पेड़ के नीचे लेकर गई और आम के पेड़ से लिपट कर बोली, देखो यह है मेरी माँ, मेरी मम्मी तो बचपन में ही चल बसी. तब से लेकर अभी तक इस आम के पेड़ ने हीं मुझे अपनी शीतल छाया दी है, खाने के लिए मीठे फल दिए, सांस लेने के लिए शुद्ध ऑक्सीजन दिया और जब कभी भी मैं परेशान हुई, तो इसने मुझे अपने तने से लिपटा कर मीठी नींद भी सुलाई है. मेरी मम्मी तो भगवान के घर चली गई हैं, पर जाते-जाते उन्होंने शायद मेरी जिम्मेदारी मेरी इस नई मन को सौंप कर गई, आज भी मैं जब कभी भी अकेले होती हूँ, तो आकर अपनी इस नई माँ से ही बात करती हूँ और मेरी नई माँ ना सिर्फ मुझे प्यार करती है बल्कि यहाँ रहने वाले हजारों छोटे-छोटे पशु-पक्षियों को भी अपना आसरा दिए हुए हैं, ना जाने कितने पक्षियों के घोंसले, अंडे, उनका घर यहाँ सुरक्षित है.

सभी बच्चे बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा क्या हम भी तुम्हारी नई माँ से थोड़ा मिल सकते हैं, पूर्वा ने कहा- बिल्कुल. बस फिर क्या था, अमन अपना झूला डालने की तैयारी में लग गया. टायर मे रस्सी लगाकर झूला बना ही डाला.

रिशु अपनी कहानी की किताब लेकर ठंडी छाया में नीचे बैठ गया. पराग और आशु पेड़ के ऊपर ही चढ़ गए. गुंजन वहीं डाली पर ही लटकने लगी.

पेड़ पर रहने वाले छोटे-छोटे चिड़ियों-पक्षियों की चहचहाहट, उनके घोसले भी दिखाई दे रहे थे, सब बच्चे धमाचौकड़ी मचाने लगे.

पूर्वा अपनी नई माँ से लिपट कर कहने लगी थैंक यू माँ, तुमने ना सिर्फ मुझे, बल्कि मेरे दोस्तों को भी अपना भरपूर प्यार दिया और मेरे सारे दोस्तों को भी वृक्षों का महत्व समझ में आ गया.

हमें छोटे-छोटे पौधे रोपने चाहिए, प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए और हम सब मिलकर इस काम को आगे बढ़ाएंगे.

दिनभर प्रकृति की गोद में खेल कूद कर बच्चे शाम को वापस लौटे, तो उन्होंने अपने आप से वायदा किया कि हम सभी पौधे लगाएंगे. पूर्वा की मम्मी की तरह हम सब भी अपने पौधों से प्यार पाएंगे.

वाणी मसीह द्वारा भेजी गई कहानी

टिंकु नाम का एक छोटा बच्चा था. वह हमेशा टीवी में कार्टून या मोबाइल में कार्टून देखता रहता था. पापा मम्मी के बहुत समझाने के बाद भी टिंकू घर के अंदर ही टीवी में कार्टून देखता रहता था. एक दिन स्कूल में टिंकू की शिक्षिका ने पेड़ हमारे दोस्त नामक पाठ पढ़ाया. जिसमें टिंकु को पेड़ों के महत्व की जानकारी मिली कि पेड़ हमारे लिए कितने उपयोगी हैं.

पेड़ों की वजह से हमें ऑक्सीजन मिलता है, पेड़ों की वजह से बारिश होती है, गर्मी के समय में पेड़ों के नीचे कई लोग बैठ कर आराम कर सकते हैं. पेड़ों में कई पक्षियों के घोंसले होते हैं, रात के समय पक्षी आकर वहां रहते हैं, पेड़ों में कई प्रकार के पक्षी निवास करते हैं पेड़ों की जड़ों के कारण मिट्टी का जमाव होता है.

शिक्षिका ने बहुत ही अच्छे ढंग से पेड़ों के महत्व के बारे में बच्चों को बताया और सभी बच्चो से कहा क्या आपके घर के पास भी पेड़ हैं ? क्या आप कभी अपने उस पेड़ के पास जाकर खेलते हैं ? टिंकू ने सोचा कि हां मेरे घर के पास भी एक बड़ा सा आम का पेड़ है लेकिन मैं वहां कभी नहीं गया फिर टिंकू ने तय किया कि मैं उस आम के पेड़ के पास जरूर जाऊंगा और जब टिंकू वहां गया तो उसने देखा कि आम के पेड़ के पास एक छोटा सा कुत्ता बैठा हुआ था और पेड़ में बहुत सारे पक्षी थे. उनकी आवाज बहुत अच्छी लग रही थी और एक छोटी गिलहरी भी पेड़ में यहां से वहां कूद रही थी. अब टिंकू रोज स्कूल से आने के बाद घर में कार्टून नहीं बल्कि उस पेड़ के नीचे जाकर खेलता था कुछ पढ़ता था. उसे देखकर टिंकू के दोस्त मोना, विजय, लक्की, रुचि, गोल्डी भी रोज खेलने को आते थे और सभी बच्चे बहुत मजे करते थे.

पेड़ में विजय और गोल्डी ने मिलकर एक मचान भी बनाया था जहां वह ऊपर बैठ जाया करते थे और चिड़ियों पक्षियों को बहुत पास से देखते थे और पक्षियों के लिए छोटे-छोटे घर भी बनाए थे. और गिलहरी एक डाल से दूसरे डाल में घूमती रहती थी, रंग बिरंगी तितलियां आती थी. मोना, लक्की, रुचि पेड़ में चढ़कर छलांग लगाते रहती थी. विजय ने एक टायर से झूला भी बनाया था जिसमें सभी बच्चे झूला झूला करते थे और टिंकू नीचे बैठकर कहानी सुनाता था और सभी बच्चे पेड़ों के चारों तरफ खेलते हुए कहानी, चुटकुले का आनंद लेते थे और कभी कभी स्कूल की होमवर्क भी साथ मिलकर खेल खेल में पूर्ण कर लेते थे. टिंकू के मम्मी, पापा और सभी बच्चों के मम्मी पापा बहुत खुश हैं कि बच्चों ने पेड़ों के महत्व को समझा और प्रकृति के महत्व को जाना है.

अगले अंक की कहानी हेतु चित्र

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अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर अगले माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे

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