पहेलियाँ

बाल पहेलियाँ

रचनाकार- कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

paheli

  1. जीवन जिसके बिना अधूरा,
    मिल जाये तो लगता पूरा.
    दो अक्षर का मेरा नाम,
    है अनेकों मेरे काम.

  2. ऐसा तरल निराला हूँ,
    चुस्ती फुर्ती देने वाला हूँ.
    अंग्रेजों की खोज हूँ भैया,
    नाम बता पाओ रुपइया.

  3. तीन खम्ब जब मिल जाते,
    गणित की आकृति बन जाते
    तीन अक्षर का उसका नाम
    नाम बताओ पाओ ईनाम.

  4. तीन अक्षर का मेरा नाम
    लिखने के मैं आती काम
    बताओ मेरा क्या है नाम

  5. सब देशों की खबर मैं लाता,
    चार अक्षर का मेरा नाम.
    बच्चे बूढ़े सब कोई चाहे,
    नाम बताओ भोलूराम.

  6. हरे पौधे बड़े निराले
    खूब आक्सीजन देने वाले,
    अपना भोजन स्वयं बनाते.
    बोलो बच्चों क्या कहलाते,

  7. मैं एक पक्षी अजब निराला,
    सबसे तेज में चलने वाला.
    प्यारे बच्चों नाम बताओ
    कुछ तो बोलो मत घबराओ.

  8. शांति मुझको अति प्रिय लागे,
    तुरंत मुझे लो पाल.
    लोग डाकिया कहते मुझको,
    बतलाओ तत्काल.

उत्तर- 1. जल, 2. चाय 3. त्रिभुज, 4. कलम, 5. अखबार, 6. स्वपोषी पौथे, 7. शुतुरमुर्ग, 8. कबूतर



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बाल पहेलियाँ

रचनाकार- कमलेंद्र कुमार

paheli3

  1. मुझमें होते धूल और कण,
    और होती जल वाष्प.
    टायरों में खूब भरो तुम,
    करो न तुम संताप.

  2. धरती में मैं पाया जाता,
    लोग कहें मुझको द्रव सोना.
    सोच समझ उपयोग करो,
    पड़ न जाये सबको रोना.

  3. तीन अक्षर से बनता हूँ,
    जरा राज बतलाना तुम.
    विश्व गुरु मैं कहलाया,
    क्यों बैठे हो तुम गुम-सुम.

उत्तर- 1. वायु, 2. पेट्रोलियम, 3. भारत

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