पहेलियाँ
बाल पहेलियाँ
रचनाकार- कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
- जीवन जिसके बिना अधूरा,
मिल जाये तो लगता पूरा.
दो अक्षर का मेरा नाम,
है अनेकों मेरे काम.
- ऐसा तरल निराला हूँ,
चुस्ती फुर्ती देने वाला हूँ.
अंग्रेजों की खोज हूँ भैया,
नाम बता पाओ रुपइया.
- तीन खम्ब जब मिल जाते,
गणित की आकृति बन जाते
तीन अक्षर का उसका नाम
नाम बताओ पाओ ईनाम.
- तीन अक्षर का मेरा नाम
लिखने के मैं आती काम
बताओ मेरा क्या है नाम
- सब देशों की खबर मैं लाता,
चार अक्षर का मेरा नाम.
बच्चे बूढ़े सब कोई चाहे,
नाम बताओ भोलूराम.
- हरे पौधे बड़े निराले
खूब आक्सीजन देने वाले,
अपना भोजन स्वयं बनाते.
बोलो बच्चों क्या कहलाते,
- मैं एक पक्षी अजब निराला,
सबसे तेज में चलने वाला.
प्यारे बच्चों नाम बताओ
कुछ तो बोलो मत घबराओ.
- शांति मुझको अति प्रिय लागे,
तुरंत मुझे लो पाल.
लोग डाकिया कहते मुझको,
बतलाओ तत्काल.
उत्तर- 1. जल, 2. चाय 3. त्रिभुज, 4. कलम, 5. अखबार, 6. स्वपोषी पौथे, 7. शुतुरमुर्ग, 8. कबूतर
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बाल पहेलियाँ
रचनाकार- कमलेंद्र कुमार
- मुझमें होते धूल और कण,
और होती जल वाष्प.
टायरों में खूब भरो तुम,
करो न तुम संताप.
- धरती में मैं पाया जाता,
लोग कहें मुझको द्रव सोना.
सोच समझ उपयोग करो,
पड़ न जाये सबको रोना.
- तीन अक्षर से बनता हूँ,
जरा राज बतलाना तुम.
विश्व गुरु मैं कहलाया,
क्यों बैठे हो तुम गुम-सुम.
उत्तर- 1. वायु, 2. पेट्रोलियम, 3. भारत
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